UP में बिजली के निजीकरण पर सियासत तेज: क्या यूपी में बिजली का होने वाला है निजीकरण? अखिलेश यादव के दावे ने बढ़ाया सियासी पारा

क्या यूपी में बिजली का होने वाला है निजीकरण? अखिलेश यादव के दावे ने बढ़ाया सियासी पारा
  • यूपी में बिजली के निजीकरण होने पर बवाल
  • अखिलेश यादव ने भाजपा पर लगाया आरोप
  • राज्य में दावे से बढ़ा सियासी पारा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण की अटकलों के मुद्दों पर सियासी पारा हाई हो गया है। इसे लेकर समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने इस मुद्दे पर भाजपा पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार बिजली का निजीकरण कर जनता की कमर तोड़ने जा रही है। सपा चीफ ने आरोप लगाया कि इसके पीछे बड़ी कंपनियों से मोटा चंदा वसूलने की मंशा छिपी है।

अखिलेश यादव का भाजपा पर निशाना

अखिलेश यादव ने कहा, "बीजेपी निजीकरण के जरिए न सिर्फ सरकारी कर्मचारियों की नौकरियां खत्म कर रही है, बल्कि जनता की जेब पर डाका डालने की भी तैयारी कर रही है। महंगाई से जूझ रही जनता से बीजेपी खुद पैसा नहीं वसूल सकती, इसलिए पूंजीपतियों के जरिए शोषण करवा रही है।" सपा प्रमुख ने आगे कहा कि निजीकरण का असली फायदा सिर्फ बीजेपी और उसके करीबी उद्योगपतियों को मिलेगा। उन्होंने आशंका जताई कि "आज बिजली का निजीकरण हो रहा है, कल पानी, सड़क और यहां तक कि सरकार चलाने का भी ठेका दे दिया जाएगा।"

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि बीजेपी निजीकरण की आड़ में आरक्षण जैसे संवैधानिक अधिकारों को भी खत्म करना चाहती है। उन्होंने कहा, "बीजेपी पिछले दरवाजे से आरक्षण छीनने की कोशिश कर रही है। यह सीधे तौर पर सामाजिक न्याय और पिछड़े वर्गों के अधिकारों पर हमला है।" उन्होंने भरोसा दिलाया कि समाजवादी पार्टी इस लड़ाई में पूरी तरह से प्रदेश की जनता, बिजली विभाग के कर्मचारियों और आरक्षण के समर्थकों के साथ खड़ी है।

यूपी में बिजली निजीकरण पर सियासत तेज

बता दें, बीते कुछ समय से बिजली क्षेत्र में निजीकरण को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाएं चर्चा का विषय बनी हुई है। सरकार का तर्क है कि इससे व्यवस्था में सुधार होगा और उपभोक्ताओं को बेहतर सेवा मिलेगी। लेकिन कर्मचारी संगठनों और विपक्षी दलों का कहना है कि इससे हजारों लोगों की नौकरियों पर संकट आ जाएगा और बिजली की दरें बेतहाशा बढ़ेंगी।

पिछले सालों में देश के कई राज्यों में बिजली का निजीकरण हुआ है, जिनमें दिल्ली, ओडिशा और महाराष्ट्र प्रमुख हैं। वहां उपभोक्ताओं को अक्सर बढ़ी दरों और सेवा में कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। अखिलेश यादव के इस बयान के बाद यूपी की राजनीति में बिजली निजीकरण का मुद्दा और गरम हो गया है। आने वाले समय में यह मुद्दा चुनावी एजेंडा का हिस्सा बन सकता है।

Created On :   9 April 2025 9:09 PM IST

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