राज्यसभा उम्मीदवारों को लेकर कांग्रेस ने क्यों जताया दूसरे राज्यों के नेताओं पर भरोसा? जानें इसके पीछे की वजह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में होने वाले राज्यसभा सदस्यों के चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने भी तमाम उठापटक के बाद राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम नाम की घोषणा कर दी है। कांग्रेस पार्टी में उम्मीदवारों के नामों को लेकर आपसी कलह सामने आई है।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस नेतृत्व ने अबकी बार राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम में राज्यों के स्थानीय नेताओं को तवज्जो न देकर दूसरे राज्यों के नेताओं पर भरोसा जताया है। इसको लेकर जहां कांग्रेस के स्थानीय नेताओं में नाराजगी है, तो वहीं सियासत में इसको लेकर सवाल उठ रहे हैं। आइए जानते हैं कि कांग्रेस आलाकमान ने दूसरे राज्यों के नेताओं पर क्यों जताई उम्मीद?
सियासी समीकरण साधने की कोशिश
गौरतलब है कि अभी से ही कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव- 2024 की तैयारी शुरू कर दी है। जिसको लेकर हाल ही में राजस्थान के उदयपुर में चिंतन शिविर का भी आयोजन किया गया था। जिसमें कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेस के दिग्गज नेता भी शामिल हुए थे। जिसमें सोनिया गांधी ने अपने नेताओं से स्पष्ट कर दिया था कि वह वर्ष 2024 आम चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। पार्टी आलाकमान इसी को मद्देनजर रखते हुए व सियासी समीकरण को देखते हुए राज्यसभा उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें सबसे चौंकाने वाले दो नाम हैं।
पहला कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष इमरान प्रतापगढ़ी और दूसरा पूर्व लोकसभा सांसद और पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन की। एबीपी न्यूज के मुताबिक, इन दोनों को राज्यसभा भेजने की वजह उदयपुर चिंतन शिविर में कांग्रेस आलाकमान के लिए गए फैसले को बताया जा रहा है। चिंतन शिविर में पार्टी की तरफ से फैसला लिया गया था कि 50 साल से कम उम्र वालों को मौका दिया जाएगा। दूसरी सबसे बड़ी वजह रंजीत रंजन एक महिला होने के साथ-साथ ओबीसी समुदाय से आती हैं। कांग्रेस ने इन्हें अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर सियासी समीकरण बैठाया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी लोकसभा में रंजीत रंजन के कार्यों से काफी प्रभावित है, इस लिए उनके नाम पर मुहर उन्होंने खुद लगाई है।
मुस्लिम वोटरों को लुभाने की कोशिश
गौरतलब है कि इमरान प्रतापगढ़ी कांग्रेस के युवा नेता है। जिनकी उम्र भी 50 साल से कम है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने इनको राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर जातीय समीकरण भी साधा है। इमरान प्रतापगढ़ी के पास युवाओं की बड़ी तादाद में टीम है। मुस्लिम वोटरों में इनकी अच्छी खासी पैठ मानी जाती है। सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र कांग्रेस के कई नेता चाहते थे कि इमरान को राज्यसभा के लिए चुना जाए। क्योंकि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को कांग्रेस की तरफ से घेरने में इमरान माहिर है और पंसदीदा मुस्लिम चेहरा है।
इमरान खुद एक प्रसिद्ध शायर भी है। इनकी लोकप्रियता भी ओवैसी से कम नहीं है। हालांकि महाराष्ट्र के कई नेता इमरान को राज्यसभा उम्मीदवार बनाने पर नाराज हैं। हालांकि सवाल ये भी उठ रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक सरीखे महाराष्ट्र से ही हैं फिर उन्हें पार्टी ने क्यों नहीं राज्यसभा भेजना चाहा? बाहरहाल, कुछ वरिष्ठ नेताओं की सलाह पर पार्टी नेतृत्व ने इमरान प्रतापगढ़ी के पक्ष में मन बनाया।
मजबूरी या फिर जानबूझकर लिया गया फैसला
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने इमरान प्रतापगढ़ी को महाराष्ट्र से राज्यसभा भेजने का फैसला ले तो लिया लेकिन वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक के डैमेज कंट्रोल के लिए उन्हें राजस्थान से राज्यसभा भेजने का फैसला किया। क्योंकि कांग्रेस को पता था कि मुकुल वासनिक को कहीं दूसरे राज्य से राज्यसभा नहीं भेजा गया तो आगे मुश्किल हो सकती है। जी23 के माने जाने वाले नेता मुकुल भी कहीं बागी न हो जाएं। कांग्रेस ने राजस्थान से मुकुल वासनिक को राज्यसभा भेजने का फैसला इसलिए भी किया क्यों ये दलित नेता हैं। उधर राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इसको देखते हुए कांग्रेस ने जातीय समीकरण भी साधा है।
पी चिदंबरम को उनके गृह राज्य से राज्यसभा भेजा जा रहा है
गौरतलब है कि कांग्रेस ने नाराज नेताओं को कहीं न कहीं मनाने का प्रयास किया है। भले ही उन्हें किसी दूसरे राज्य से राज्यसभा भेजने का फैसला लिया गया हो। फिर चाहे वो अंबिका सोनी और जनार्दन द्विवेदी जैसे वरिष्ठ नेता ही क्यों ना हो। हालांकि एक मात्र पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को उनके गृह राज्य तमिलनाडु से राज्यसभा भेजा जा रहा है।
जबकि गांधी परिवार में वरिष्ठ नेता, पूर्व केन्द्रीय मंत्री और राहुल गांधी के करीबी अजय माकन को भी हरियाणा से राज्यसभा भेजने का फैसला किया है। वहीं जयराम रमेश को कर्नाटक से राज्यसभा भेजा जा रहा है, ये दोनों ही नेता गांधी परिवार के बेहद क़रीबी और सबसे ज़्यादा विश्वसपात्र माने जाते हैं। सबसे चिलचस्प बात यह रही है कि ग़ुलाम नबी आज़ाद और आनंद शर्मा का नाम उम्मीदवारों में शामिल नहीं किया गया। सियासत में इसको लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
Created On :   31 May 2022 12:06 AM IST