चुनावी मैदान में दोस्त से भिड़ेगा दोस्त! बीजेपी की इस रणनीति से क्या कांग्रेस को होगा भारी नुकसान?

Friend will fight with friend in the election field! Will Congress suffer huge losses due to this strategy of BJP?
चुनावी मैदान में दोस्त से भिड़ेगा दोस्त! बीजेपी की इस रणनीति से क्या कांग्रेस को होगा भारी नुकसान?
आमने-सामने राहुल और सिंधिया चुनावी मैदान में दोस्त से भिड़ेगा दोस्त! बीजेपी की इस रणनीति से क्या कांग्रेस को होगा भारी नुकसान?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोस्ती के किस्से एक समय सियासी गलियारों में चर्चा का विषय रहती थी। गांधी और सिंधिया परिवार की दोस्ती दो पीढ़ियों से चली आ रही थी। लेकिन साल 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए। इसी के साथ दोनों दोस्तों की राहें अलग हो गईं। बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया के राहुल गांधी के खिलाफ बोलने से बचते हुए दिखाई देते थे। राहुल के बयानों के बारे में पूछे जाने पर वे इसे कांग्रेस का आंतरिक मसला बताकर पल्ला झाड़ लेते थे। लेकिन बीते तीन साल में सियासत ने ऐसी करवट ली है कि दोनों आमने-सामने आ गए हैं।

मध्यप्रदेश में इस साल नवंबर माह में चुनाव होने वाले हैं। इस बीच बुधवार को सिंधिया ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला है। इस दौरान उन्होंने राहुल को स्वार्थी बताते हुए कांग्रेस की विचारधारा को देशद्रोही करार दिया। 

युवाओं के लिए बीजेपी का विकल्प

राहुल पर सिंधिया के आक्रामक रवैये को लेकर राजनीतिक जानकर अलग-अलग कयास लगा रहे हैं। जानकारों का मानना है कि सिंधिया का यह तेवर इस साल एमपी में होने वाले विधानसभा से जुड़े हैं। प्रदेश में बीजेपी सरकार एंटी इनकम्बेंसी से जूझ रही है। इस बात का अंदाजा बीजेपी को भी लग गया है कि इस बार का मुकाबला कड़ा होने वाला है। जहां एक ओर बीजेपी के खिलाफ समाज के कई तबकों में नाराजगी की आशंका जताई जा रही है, खासकर युवाओं में बीजेपी सरकार से नाराजगी मानी जा रही है, वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को मध्य प्रदेश में मिले समर्थन से बीजेपी खेमे में परेशानी का सबब बनी हुई है। उसे डर है कि युवाओं का वोट बैंक का हिस्सा कांग्रेस के पाले में न चला जाए। इसे देखते हुए बीजेपी चुनाव में सिंधिया को इस्तेमाल कर सकती है। 

बीजेपी की रणनीति

तीन राज्यों तक सिमट चुकी कांग्रेस एमपी में सत्ता हासिल करने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसे में राहुल गांधी की भूमिका मध्य प्रदेश के चुनाव में काफी अहम होगी। राहुल गांधी के लिए अच्छी बात यह है कि बीजेपी के पास उनसे मुकाबला करने के लिए कोई युवा चेहरा नहीं है। ऐसे में बीजेपी चुनावी कैंपेन में राहुल गांधी के खिलाफ सिंधिया को अपने हथियार के तौर इस्तेमाल कर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो पुराने दोस्त रहे सिंधिया और राहुल गांधी चुनावी मैदान में आमने सामने होंगे। युवाओं में सिंधिया की लोकप्रियता जगजाहिर है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का श्रेय भी काफी हद तक सिंधिया को ही मिला। यह बात और है कि 15 महीने के बाद राज्य में कांग्रेस सरकार के पतन की वजह भी वही ही बने। 

आमने-सामने होंगे पुराने दोस्त

प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी कांग्रेस का सबसे ज्यादा ध्यान ग्वालियर-चंबल क्षेत्र पर है। यह क्षेत्र सिंधिया का गढ़ है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ लगातार इस क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं। कांग्रेस की रणनीति सिंधिया के उसी के गढ़ में पटकनी देने की है ताकि उनसे बदला लिया जा सके। सिंधिया के सामने भी अपने गढ़ को बचाने की चुनौती होगी। अगर वे चुनावी मैदान में नहीं उतरते है तो उनके राजनीतिक वजूद पर ही खतरा पैदा हो सकता है। ऐसे में सिंधिया न चाहते हुए भी चुनावी मैदान में उतरेंगे। कांगेस से अपने गढ़ में मुकाबले के लिए उन्हें खुद मोर्चा संभालना होगा और उन्हें अपने पुराने दोस्त से टक्कर लेना उनकी मजबूरी होगी। शायद बुधवार को नई दिल्ली में सिंधिया का प्रेस कॉन्फ्रेंस इस का पहला चरण है। 


 

Created On :   7 April 2023 7:36 PM IST

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