कांग्रेस ने भाजपा को याद दिलाया : आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले पटेल ही थे, इसे राज्य के लिए खतरा कहा था

Congress reminds BJP: Patel was the one who banned RSS, called it a threat to the state
कांग्रेस ने भाजपा को याद दिलाया : आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले पटेल ही थे, इसे राज्य के लिए खतरा कहा था
नई दिल्ली कांग्रेस ने भाजपा को याद दिलाया : आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले पटेल ही थे, इसे राज्य के लिए खतरा कहा था

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभालने के मौके पर अपने भाषण में सरदार वल्लभभाई पटेल का जिक्र किया था और अपने दर्शकों को याद दिलाया था कि वह उस पार्टी की अगुवाई कर रहे हैं, जिसका नेतृत्व कभी महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल ने किया था।

खड़गे ने यह भी कहा कि वह गुजरात में अपनी पहली जनसभा को संबोधित करेंगे, जहां भाजपा ने सरदार पटेल को अपने नेता के रूप में आत्मसात किया है और उनके सम्मान में एक भव्य प्रतिमा का निर्माण कराया है। कांग्रेस ने कहा है कि भाजपा जवाहरलाल नेहरू को नीचा दिखाने के लिए सरदार पटेल का इस्तेमाल कर रही है। यह लोगों को यह नहीं बता रही है कि यह सरदार पटेल ही थे, जिन्होंने आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी को लिखे एक पत्र में पटेल ने कहा था : इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंदू महासभा का चरम वर्ग इस साजिश (महात्मा गांधी की हत्या) में शामिल था। आरएसएस की गतिविधियों ने सरकार और राज्य के अस्तित्व के लिए एक स्पष्ट खतरा पैदा किया।

प्रतिबंध को इस शर्त पर रद्द कर दिया गया था कि आरएसएस किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल नहीं होगा, लेकिन फिर मुखर्जी ने आरएसएस की मदद से जनसंघ का गठन किया थी, जो अब भारतीय जनता पार्टी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी 5 सितंबर को गुजरात में एक रैली को संबोधित करते हुए सरदार पटेल पर बात की थी। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए सीधा सवाल उठाया था कि अगर भाजपा को सरदार पटेल की विचारधारा पर गंभीरता से विश्वास होता तो वह कभी भी किसान विरोधी कानून पेश नहीं करती और उसे पारित नहीं करती।

परिवर्तन संकल्प सभा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा था, सरदार पटेल ने अपने पूरे जीवन में किसानों, मजदूरों, आम लोगों के लिए लड़ाई लड़ी, लेकिन भाजपा सरकार उनकी विचारधारा के बिल्कुल विपरीत काम कर रही है। उन्हें सरदार पटेल के अनुयायी कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने सरदार की सबसे ऊंची प्रतिमा का निर्माण कराया है, लेकिन उनके विश्वास, दर्शन और विचारधारा को समझने में विफल रहे हैं।

उन्होंने आगे कहा, क्या आपने कभी सुना है कि सरदार पटेल ने विरोध या आंदोलन के लिए अंग्रेजों से अनुमति ली थी? भाजपा दावा करती है कि वह सरदार पटेल में आस्था रखती है, लेकिन इसके शासन में लोगों को आंदोलन और विरोध करने के लिए अनुमति लेनी पड़ती है, पटेल होते तो ऐसा कभी नहीं होता। अगर वह जीवित होते, तो आपसे कहते कि इस तरह के प्रतिबंध लगाने वाली भाजपा को सत्ता से हटा दो।

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के मुद्दे का जिक्र किया और नेहरू को इसे हल करने में सक्षम नहीं होने का आरोप लगाया, तो कांग्रेस ने तुरंत जवाब दिया। भले ही पीएम मोदी ने नेहरू को नाम से नहीं पुकारा, लेकिन कांग्रेस ने कहा कि उन्हें पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए थी। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन शासक महाराजा हरि सिंह पर स्वतंत्रता के तुरंत बाद भारत में शामिल नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि उन्होंने यह निर्णय तब लिया, जब पाकिस्तान के आक्रमणकारियों ने राज्य पर कब्जा करने की कोशिश की थी।

संचार विभाग के प्रभारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने यह बताने के लिए राजमोहन गांधी की पुस्तक का हवाला दिया : पीएम ने एक बार फिर वास्तविक इतिहास को सफेद कर दिया है। वह केवल जम्मू-कश्मीर पर नेहरू को लताड़ने के लिए निम्नलिखित तथ्यों की अनदेखी करते हैं। राजमोहन गांधी ने यह सब सरदार पटेल की जीवनी में लिखा है। ये तथ्य जम्मू-कश्मीर में पीएम के नए व्यक्ति भी जानते हैं।

उन्होंने आगे कहा, महाराजा हरि सिंह ने परिग्रहण पर ध्यान दिया। उन्होंने स्वतंत्रता के सपनों को पोषित किया। लेकिन जब पाकिस्तान ने आक्रमण किया, तो हरि सिंह भारत में शामिल हो गए। सरदार पटेल 13 सितंबर, 1947 तक चाहते थे कि जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होना स्वीकार कर लिया है, तब जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान में शामिल हो जाए। जयराम ने कहा, यह शेख अब्दुल्ला थे, जिन्होंने नेहरू के साथ अपनी दोस्ती और प्रशंसा और गांधी के प्रति सम्मान के कारण राज्य के भारत में विलय के पक्ष में थे।

जयराम ने राजमोहन गांधी की किताब का हवाला देते हुए आगे कहा, कश्मीर पर वल्लभभाई का गुनगुना रुख 13 सितंबर, 1947 तक चला। उस सुबह, तत्कालीन रक्षा मंत्री बलदेव सिंह को लिखे एक पत्र में उन्होंने संकेत दिया था कि अगर (कश्मीर) दूसरे डोमिनियन में शामिल होने का फैसला करता है, तो वह इस तथ्य को स्वीकार करें। बाद में उनका रवैया बदल गया, जब उन्होंने सुना कि पाकिस्तान ने जूनागढ़ के परिग्रहण को स्वीकार कर लिया है।

हालांकि, भाजपा अपनी बंदूकों पर अड़ी हुई है। हाल ही में जम्मू-कश्मीर के दौरे के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने घोषणा की कि सरदार पटेल का सपना तभी पूरा होगा, जब 1947 के सभी शरणार्थियों को उनकी जमीन और घर वापस मिल जाएंगे। रक्षा मंत्री ने जनसमूह को याद दिलाया था कि 22 फरवरी, 1994 को संसद में पारित एक प्रस्ताव में मांग की गई थी कि पाकिस्तान को अपने अवैध कब्जे वाला कश्मीर का हिस्सा खाली करने के लिए कहा जाए। राजनाथ ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर में एक नई शुरुआत हुई है। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर के लोगों ने भारत संघ के साथ जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण का समर्थन किया है। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश फल-फूल रहे हैं और समाज के हर वर्ग को इसके उचित अधिकार मिल रहे हैं।

उन्होंने 1947 में कहा था कि भारतीय सेना ने उस दुश्मन को करारा जवाब दिया है, जिसने कश्मीर पर अवैध रूप से कब्जा करके शरारत करने की कोशिश की थी। जम्मू-कश्मीर ही नहीं, पीएम मोदी ने अपने भाषणों में गोवा के मुद्दे का जिक्र करते हुए कहा था कि अगर सरदार वल्लभभाई पटेल लंबे समय तकजीवित होते तो भारत की आजादी के बाद गोवा को पुर्तगालियों से मुक्त होने के लिए और 14 साल इंतजार नहीं करना पड़ता।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   29 Oct 2022 7:00 PM IST

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