Maharashtra language controversy: हिंदी भाषा को अनिवार्य करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर हमलावर विपक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष बोले - 'विविधता में एकता' को मिटा रही महायुति सरकार..'

हिंदी भाषा को अनिवार्य करने को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर हमलावर विपक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष बोले - विविधता में एकता को मिटा रही महायुति सरकार..
  • महाराष्ट्र के प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने को सियासत गरमाई
  • राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष हमलावर
  • सीएम फडणवीस से फैसला वापस लेने की अपील की

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र के प्राथमिक स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य बनाने को सियासत गरमाई हुई है। राज्य सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष हमलावर है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए देश में विविधता में एकता के विचार को मिटाने का आरोप लगाया। उन्होंने सरकार से इस फैसले को जल्द से जल्द वापस लेने की अपील की।

मराठी महाराष्ट्र के लोगों की अस्मिता

नई शिक्षा नीति के तहत महाराष्ट्र सरकार ने हिंदी भाषा को स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक अनिवार्य करने का फैसला किया है। कांग्रेस इसका विरोध कर रही है। हर्षवर्धन सपकाल ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, "भाषा को लेकर सरकार ने जो कदम उठाया है, वह गलत है। मातृभाषा जरूरी है, मराठी सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि संस्कृति भी है। महाराष्ट्र के लोगों की यह अस्मिता है। सरकार ने हमारी अस्मिता के साथ बहुत ही घिनौना खिलवाड़ किया है। महाराष्ट्र सरकार के इस खिलवाड़ से बच्चे किसी काम के नहीं रहेंगे।"

ये सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश

उन्होंने कहा, "सरकारी स्कूलों को बंद करके सभी बच्चों को निजी स्कूल में भेजने की सरकार साजिश रच रही है। हिंदी भाषा को लागू करने पर बहुत सारे मुद्दे आ जाएंगे, जिससे बच्चे पढ़ नहीं पाएंगे। इसलिए इसका विरोध किया जा रहा है। हमारी सभ्यता भी इसकी पढ़ाई रोकती है, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने यह बहुत ही गलत कदम उठाया। इसके पीछे उनकी राजनीति है।"

देश की अखंडता के लिए खतरा

देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताते हुए उन्होंने कहा, "वे (भाजपा के नेता) 'विविधता में एकता' वाले भारत के विचार को मिटाना चाहते हैं। वे सारी संस्कृतियों और भाषाओं को मिटाना चाहते हैं। वे 'हिंदी, हिंदुस्तान और हिंदू' लाइन को स्थापित करना चाहते हैं। अगर ऐसा हुआ तो देश की एकता और अखंडता बच नहीं सकती। हम उन्हें इसके लिए आगाह करते हैं और गुजारिश करते हैं कि वे जल्द से जल्द यह फैसला वापस लें।"

Created On :   19 April 2025 1:35 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story