महाराष्ट्र: क्या गिले शिकवे भुलाकार दशकों बाद एक साथ आएंगे ठाकरे ब्रदर्स? राज ठाकरे के बयान से सियासी पारा हाई

डिजिटल डेस्क, मुंबई। क्या महाराष्ट्र की सियासत में दो भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आने वाले हैं? दरअसल, यह सवाल तब उठा जब महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) चीफ राज ठाकरे ने महाराष्ट्र हित में साथ आने की बात रखी।
इस पर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना (यूबीटी) उद्धव ठाकरे की प्रतिक्रिया सामने आई। उन्होंने कहा कि चलिए मेरी तरफ से कोई झगड़ा नहीं था, जो था वो भूल गए. लेकिन क्या आप (राज ठाकरे) बीजेपी के साथ आएंगे या राज्य का हित देखेंगे।
साथ आएंगे उद्धव और राज ठाकरे?
उद्धव ठाकरे ने कहा, ''मेरा तो मानना ऐसा है कि मराठी मानुस के लिए महाराष्ट्र के हित के लिए यह छोटे मोटे झगड़ को बाजू में रखने को मैं भी तैयार हूं. सभी मराठी मानुस को महाराष्ट्र के लिए साथ आने की गुजारिश करता हूं, लेकिन मेरी एक शिकायत है, जब हम लोकसभा के समय कह रहे थे कि महाराष्ट्र का उद्योग गुजरात लेकर जाया जा रहा है, उसी वक्त विरोध किए होते तो केंद्र में सरकार वहां नहीं होती.''
उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र के हित की सरकार हम केंद्र में स्थापित करते और राज्य में भी महाराष्ट्र के विचार करने वाली सरकार होती, लेकिन उस वक्त समर्थन दिया गया, फिर विरोध किया गया और फिर गठजोड़ करने का...ऐसा नहीं चलेगा।"
शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष ने कहा, "महाराष्ट्र के हित के बीच में जो भी कोई आएगा, मैं उसके घर नहीं जाऊंगा, घर नहीं बुलाऊंगा, उसका स्वागत नहीं करूंगा, उसके साथ नहीं बैठूंगा...पहले यह तय कीजिए और फिर महाराष्ट्र के हित की बात कीजिये।"
उद्धव ठाकरे ने कहा, "हमारे बीच, मेरी तरफ से कोई झगड़ा नहीं है, चलिए मिटा देता हूं, लेकिन पहले यह तय कीजिए कि बीजेपी के साथ जाना है कि शिवसेना के साथ, यानी मेरे साथ, गद्दार सेना के साथ नहीं। तय कीजिए किसके साथ जाकर महाराष्ट्र और हिंदुत्व का हित होने वाला है। बीजेपी के साथ या मेरे साथ।" उन्होंने कहा, "बाकी क्या करना है, समर्थन करना है, विरोध करना है, बिना शर्त समर्थन करना है, मुझे कुछ नहीं कहना। लेकिन मेरी एक ही शर्त है महाराष्ट्र का हित। बाकी किसी और के लिए समर्थन-प्रचार नहीं करेंगे, यह छत्रपत्ति शिवाजी महाराज के सामने शपथ लीजिए।"
बीएमसी चुनाव से पहले हलचल तेज
अभिनेता महेश मांजरेकर ने पॉडकास्ट में राज ठाकरे से सवाल किया, "क्या आप भी शिवसेना के साथ जा सकते हैं?" इस पर एमएनएस प्रमुख ने कहा, "महाराष्ट्र हित के सामने, हमारे झगड़े, हमारी बातें छोटी होती हैं, महाराष्ट्र बहुत बड़ा है। ये झगड़े और विवाद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए बहुत महंगे हैं। इसलिए मुझे नहीं लगता है कि एक साथ आने और एक साथ रहने में कोई कठिनाई है।"
राज ठाकरे ने कहा, "विषय केवल इच्छा का है, यह केवल मेरी इच्छा का मामला नहीं है और यह मेरे स्वार्थ का मामला भी नहीं है। मुझे लगता है कि बड़ी तस्वीर देखना महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आकर एक पार्टी बनानी चाहिए।"
गौरतलब है कि, बृहन्मुंबई म्युनिसिपल कारपोरेशन (बीएमसी) चुनाव से पहले राज ठाकरे का ये बयान काफी अहम माना जा रहा है। ऐसे में यह देखना मजेदार होगा कि इन बयानों से दोनों भाईयों में दूरी कितनी कम होती है।
राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे से नाराजगी के बाद शिवसेना से अलग होकर 2006 में एमएनएस का गठन किया था। हाल के चुनावों में राज ठाकरे को कोई सफलता नहीं मिली है। ऐसे में बीएमसी से उन्हें काफी उम्मीद है।
Created On :   19 April 2025 5:12 PM IST