किसान और केंद्र सरकार के बीच कैप्‍टन के नए सियासी समीकरण

Captains new political equation between the farmer and the central government
किसान और केंद्र सरकार के बीच कैप्‍टन के नए सियासी समीकरण
पंजाब किसान और केंद्र सरकार के बीच कैप्‍टन के नए सियासी समीकरण

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब में अब राजनीति  की एक नयी धार आ रही है। हालफिलहाल अमरिंदर सिंह ने नयी पार्टी के केंद्र में किसानों को रखा है। अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल के ऐलान से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि पार्टी की रणनीति क्या होगी ?उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है, "जल्द ही पंजाब और उसके लोगों के हितों की सेवा करने के लिए अपनी खुद की पार्टी का ऐलान करेंगे। इन लोगों में हमारे किसान भी शामिल हैं जो करीब एक साल से अपने अस्तित्व के लिए लड़ रहे हैं, आंदोलन कर रहे है।

                                                                    
एक अन्य ट्वीट में रवीन ठुकराल ने लिखा है, "अगर किसानों के हित में किसान आंदोलन का समाधान हो जाता है तो 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ समझौते की संभावना है।
करीब 80 साल के अमरिंदर सिंह पिछले चार पांच दशक से कांग्रेस के हाथ के साथ थे। लेकिन करीब एक साल से अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच टकराव बढ़ता गया और अंत में अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को सीएम बना दिया।

पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नए पार्टी बनाने के ऐलान के बाद से चर्चा और तेज हो गई है कि क्या अमरिंदर की नयी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन करेगी। करेगी भी तो क्या शर्ते रहेगी। चूंकि अमरिंदर सिंह किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं इसलिए वो चाहेंगे किसान आंदोलन का समाधान उनके हित में हों। वहीं बीजेपी सरकार भी चाहेगी कि किसान आंदोलन जल्द से जल्द खत्म हो क्योंकि आगामी साल में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले है। और करीब दो साल से किसान आंदोलन बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है। इसलिए बीजेपी और अमरिंदर दोनों को समझौते औऱ सहयोग करने में कोई गुरेज नहीं होगा। 

अमरिंदर के साथ बीजेपी की बढ़त
पंजाब में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव हैं और बीजेपी के पास वहां खोने के लिए अभी कुछ नहीं है। न संगठन, न सहयोगी। बीजेपी का पुराना सहयोगी अकाली दल अलग हो गया है और पंजाब में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मुकाबला होता दिख रहा है। अमरिंदर साथ आएं या कांग्रेस से अलग पार्टी बनाएं- दोनों ही स्थितियों में बीजेपी खुद को अच्छी स्थिति में देख रही है। बीजेपी पंजाब में खुद को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है ऐसे में अमरिंदर सिंह का साथ भाजपा के लिए बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है। अगर अमरिंदर सिंह भाजपा के साथ गठबंधन करते हैं तो भारतीय जनता पार्टी पंजाब में खुद को और मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेगी। अगर ऐसा होता है तो पंजाब ही नहीं यूपी समेत चुनाव वाले सभी राज्यों में यह समझौता गेमचेंजर हो सकता है।

कैप्टन और बीजेपी एक पिच पर
राष्ट्रवाद, बीजेपी की सबसे मजबूत पिच रही है। यहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह और बीजेपी में समानताएं हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू पर यह कहकर निशाना साधा था कि अगर सिद्धू पंजाब के सीएम बने तो यह देश की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। इसके बाद बीजेपी भी इसी पिच पर अमरिंदर की बात को आगे बढ़ाते हुए सिद्धू पर निशाना साधने लगी। मुख्यमंत्री रहते हुए भी जब जलियांवाला बाग के रिनोवेशन को लेकर कांग्रेस ने सवाल उठाए थे, तब अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार का बचाव किया था। अमरिंदर सिंह के लिए हमेशा बीजेपी के मन में सॉफ्ट कॉर्नर रहा है क्योंकि वह राष्ट्रवादी हैं। पंजाब में कांग्रेस को झटका देने के लिए बीजेपी कैप्टन को समर्थन दे सकती है।

अमरिंदर के साथ और कौन?

अब आगे सवाल है कि अमरिंदर सिंह की नई पार्टी बीजेपी के अलावा किन अन्य दलों के साथ गठबंधन कर सकती है, तो इसे लेकर पूर्व सीएम अमरिंदर सिंह ने पहले ही संकेत दे दिये हैं, कि वह उन सभी पार्टियों के साथ गठबंधन के लिए तैयार हैं, जो उनकी विचारधारा और रणनीति के तहत काम कर रही है। इसमें अकाली दल से अलग होकर बनी छोटी पार्टियां भी शामिल हैं। अमरिंदर सिंह नाराज नेताओं को भी अपने साथ लाने में लगे हैं जिससे पार्टी को और मजबूत बनाया जा सके।
पंजाब कांग्रेस में अचानक आयी राजनीतिक उठापटक के बीच चर्चा तेज थी कि अमरिंदर सिंह बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं। पिछले महीने गृह मंत्री अमित शाह के साथ अमरिंदर की मुलाकात ने इस राजनीतिक कयासों को सच में बदल दिया था। हालांकि बीजेपी के साथ जाने के सवाल पर अमरिंदर सिंह ने स्पष्ट कहा था कि वह बीजेपी में नहीं जाएंगे। अमरिंदर ने शाह से हुई मुलाकात को किसानों से जोड़ते हुए किसानों के हित में बताया था।

कैप्टन सुलझाएंगे किसानों का मुद्दा
अपने-अपने रुख पर अड़े केंद्र सरकार और किसानों के बीच फिर से बातचीत शुरू करने के लिए अमरिंदर मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। अगर इसमें सफलता मिलती है तो तनातनी खत्म होगी और पूर्व सीएम प्रदर्शनकारियों के साथ मजबूती से खड़े दिखेंगे। उधर, कैप्टन की बदौलत बीजेपी खुद को किसानों के और करीब ले जा सकेगी।


 

Created On :   20 Oct 2021 12:34 PM IST

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