भूपेंद्र यादव ने एनसीआर राज्यों, दिल्ली और पंजाब के पर्यावरण मंत्रियों के साथ की बैठक
- गतिविधियों की समीक्षा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने इस मौसम में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र को प्रभावित करने वाले वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सभी हितधारकों की समन्वित कार्रवाई और सहयोग के उद्देश्य से एनसीआर राज्यों, दिल्ली और पंजाब के पर्यावरण मंत्रियों के साथ बैठक की, जिसमें राज्यों की नियोजित गतिविधियों की समीक्षा की गई।
बैठक में जिन प्रमुख क्षेत्रों पर चर्चा की गई, उनमें कृषि पराली जलाना, औद्योगिक प्रदूषण, डीजल जनरेटर सेट से प्रदूषण, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, बिजली की आवाजाही, सड़क और खुले क्षेत्रों से धूल और निर्माण और विध्वंस गतिविधि से धूल शामिल हैं।
जबकि पराली जलाने का मुद्दा सभी हितधारकों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है, बैठक में राज्यों द्वारा धान के अवशेष जलाने की घटनाओं पर की गई कार्रवाई और योजना पर भी प्रकाश डाला गया। राज्य सरकारों ने सूचित किया है कि उन्होंने स्थानीय निकायों को शामिल किया है और फसल अवशेषों को संभालने के लिए इन-सीटू तरीकों को बढ़ावा देने के लिए किसानों को नवीन रूप से मशीनरी प्रदान कर रहे हैं।
बैठक में इन-सीटू स्टबल मैनेजमेंट की दिशा में एक महत्वपूर्ण रणनीति के रूप में बायो-डीकंपोजर के तहत क्षेत्र के विस्तार पर भी चर्चा की गई। राज्यों ने धान की पराली के वैकल्पिक उपयोग को आर्थिक संसाधन के रूप में बढ़ावा देने के लिए एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन और गतिविधियों की प्रगति के बारे में जानकारी दी।
वर्चुअल मीटिंग में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भाग लिया, जो राज्य पर्यावरण विभाग के प्रभारी भी हैं। उनके अलावा राजस्थान के हेमाराम चौधरी, दिल्ली के गोपाल राय, उत्तर प्रदेश के अरुण कुमार और पंजाब के गुरमीत सिंह मीत ने भागीदारी की।
हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली राज्यों ने भी धूल नियंत्रण और प्रबंधन कार्यो की जानकारी दी। 30 सितंबर, 2022 तक 2,72,01,113 पौधरोपण के साथ हरित आवरण के तहत क्षेत्र का विस्तार हुआ है। दिल्ली में 11, यूपी में 18, 17 में सड़क के मालिक/रखरखाव एजेंसियों के साथ साठ (60) धूल नियंत्रण और प्रबंधन प्रकोष्ठ स्थापित किए गए हैं। हरियाणा और राजस्थान में 14 राज्यों ने सड़कों की सफाई और पानी के छिड़काव के लिए मशीनें भी लगाई हैं।
अधिकारियों ने बताया कि निर्माण और विध्वंस गतिविधियों से होने वाली धूल से होने वाले प्रदूषण से निपटने के प्रयास किए जा रहे हैं। वेब पोर्टल जो दिल्ली, हरियाणा और यूपी में काम कर रहा है, निर्माण गतिविधि से धूल को नियंत्रित करने के निर्देशों का पालन करने के लिए 500 वर्गमीटर से अधिक आकार के भूखंडों पर परियोजनाओं के पंजीकरण को अनिवार्य करता है। धूल से होने वाले प्रदूषण का मुकाबला करने की आवश्यकता के रूप में कुल निर्माण क्षेत्र के अनुसार एंटी-स्मॉग गन की तैनाती पर भी चर्चा की गई।
बैठक में वाहनों के प्रदूषण के मुद्दे पर भी विचार-विमर्श किया गया और राज्यों को यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त कार्रवाई की जानकारी दी गई कि सभी वाहनों में प्रदूषण जांच (पीयूसी) प्रमाणपत्र है। साथ ही, सड़क यातायात प्रबंधन प्रणालियों पर भी चर्चा की गई।
आईएएनएस
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Created On :   11 Oct 2022 7:30 PM GMT