दागी उम्मीदवारों की बैक डोर से एंट्री की कोशिश
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। सभी राजनीतिक दलों ने भले ही दागी उम्मीदवारों से दूर रहने की कसम खाई हो, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, वे अपनी छवि से ज्यादा जीत को लेकर चिंतित नजर आ रहे हैं। इस बार के चुनावों में एक दिलचस्प घटनाक्रम यह है कि भाजपा और समाजवादी पार्टी (सपा) दोनों ही इन दागी नेताओं को सीधे अपने साथ लेने के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन इन उम्मीदवारों को छोटे दलों के माध्यम से रास्ता लेने से कोई गुरेज नहीं है।
माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी अपना छठा चुनाव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के टिकट पर मऊ से लड़ेंगे। एसबीएसपी अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने मुख्तार से जेल में मुलाकात की थी और उन्हें टिकट की पेशकश की थी। मुख्तार के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी पहले ही सपा में शामिल हो चुके हैं और गाजीपुर से चुनाव लड़ेंगे। दिलचस्प बात यह है कि यह मुख्तार की कौमी एकता दल का सपा में विलय किया गया था जिससे 2016 के मध्य में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच मनमुटाव चरम पर पहुंच गया था।
अखिलेश उस विलय का विरोध कर रहे थे जो पार्टी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल ने किया था। एसबीएसपी सपा की सहयोगी है और सूत्रों का दावा है कि अखिलेश को अब मुख्तार की उम्मीदवारी पर कोई आपत्ति नहीं है। एक और दागी राजनेता, जिसके पिछले दरवाजे से प्रवेश करने की संभावना है, वह है बसपा के पूर्व सांसद धनंजय सिंह। भाजपा पार्टी में उनका स्वागत नहीं करना चाहती है, लेकिन चाहती है कि सहयोगी अपना दल उन्हें जौनपुर के मल्हानी से अपना उम्मीदवार बनाए।
हाल के पंचायत चुनावों में धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेड्डी को अपना दल के समर्थन से जिला पंचायत प्रमुख के रूप में चुना गया था। एक अन्य पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू, जो भाजपा में शामिल हो गए थे और बाद में अपने आपराधिक इतिहास को लेकर हंगामे के बाद उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, अब उनका लक्ष्य अयोध्या के बीकापुर से निषाद पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ना है।
(आईएएनएस)
Created On :   13 Jan 2022 4:31 PM IST