अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की तरीफ में पढ़े कसीदे, मोदी को दुनियाभर में सम्मान मिलने की बताई वजह

Ashok Gehlot read the ballads in the way of PM Modi, told the reason for Modi getting respect all over the world
अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की तरीफ में पढ़े कसीदे, मोदी को दुनियाभर में सम्मान मिलने की बताई वजह
गहलोत के बदले बोल अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की तरीफ में पढ़े कसीदे, मोदी को दुनियाभर में सम्मान मिलने की बताई वजह

डिजिटल डेस्क, जयपुर। अक्सर बीजेपी सरकार व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीएम मोदी की तारीफ करके नई सियासी बहस छेड़ दी है। गहलोत ने मंगलवार को बांसवाड़ा के पास मानगढ़ धाम में मानगढ़ धाम की गौरव गाथा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि पीएम मोदी को दुनियाभर में सम्मान मिलता है, क्योंकि वह ऐसे देश के प्रधानमंत्री है, जहां लोकतंत्र की जड़ें काफी मजबूत हैं और जो महात्मा गांधी का देश है। इस दौरान पीएम मोदी स्वयं मंच पर भी उपस्थित थे।

गहलोत ने मोदी की तारीफ की

सीएम अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि यह देश गांधी का है, यहां लोकतंत्र की जड़ें काफी गहरी हैं। 70 साल के बाद भी यहां लोकतंत्र खत्म नहीं हुआ। यही वजह है कि देश के पीएम नरेंद्र मोदी दुनिया के जिस मुल्क में जाते हैं, उनका सम्मान किया जाता है। गहलोत ने पीएम मोदी की भले ही तारीफ की हो लेकिन राजस्थान की सियासी बाजार में गरमी  बढ़ा दी है। अब राजनीतिक गलियारों में इस बयान के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। 

पीएम मोदी ने संबोधन में कही ये बात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को बांसवाड़ा में मानगढ़ धाम के दर्शन किए। इस मौके पर उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि दुर्भाग्य से आदिवासी समाज को इतिहास के पन्नों में जो जगह मिलनी चाहिए, वह नहीं मिली। आज देश उस कमी को पूरा करने का काम कर रहा है। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारत का अतीत, वर्तमान व भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता है। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुए अत्याचार को याद करते हुए कहा कि 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ में जो नरसंहार हुआ था, वह अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा थी।

जानें भील समुदाय की बहादुरी के बारे में

बताया जाता है कि मानगढ़ की पहाड़ी भील समुदाय राजस्थान, गुजरात व मध्य प्रदेश की अन्य जनजातियों के लिए काफी महत्व रखती है। स्वतंत्रता संग्राम के वक्त यहां भील व अन्य जनजातियों ने लंबे समय तक अंग्रेजों से पंगा लिया था। स्वतंत्रता सेनानी श्री गोविंद गुरु के नेतृत्व में 17 नवंबर 1913 को करीब 1.5 लाख से अधिक भीलों ने मानगढ़ पहाड़ी पर सभा की थी। उसी वक्त सभा पर अंग्रेजों ने गोलियां चला दीं। जिसमें करीब 1,500 आदिवासियों की जान चली गई थी। अंग्रेजों की ये क्रूरता आज भी देश नहीं भूला है। 

Created On :   1 Nov 2022 3:09 PM IST

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