स्वतंत्रता सेनानी की सूची से नेहरू की तस्वीर हटाने के बाद, कर्नाटक सरकार ने अब उन्हें स्वीकारा

After removing Nehrus picture from the list of freedom fighters, Karnataka government now accepted him
स्वतंत्रता सेनानी की सूची से नेहरू की तस्वीर हटाने के बाद, कर्नाटक सरकार ने अब उन्हें स्वीकारा
कर्नाटक में घमासान स्वतंत्रता सेनानी की सूची से नेहरू की तस्वीर हटाने के बाद, कर्नाटक सरकार ने अब उन्हें स्वीकारा

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। कर्नाटक में सत्तारूढ़ भाजपा ने सोमवार को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर स्वतंत्रता संग्राम में पहले भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के योगदान को आखिरकार स्वीकार किया। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बेंगलुरु के मानेकशॉ परेड ग्राउंड में अपना मुख्य भाषण देते हुए कहा, इस देश को विदेशी व्यावसायिक ताकतों से मुक्त करने के लिए लड़ने वाले महान व्यक्तित्वों को सम्मान देना हमारा पहला कर्तव्य है।

सीएम बोम्मई ने कहा, असंख्य लोगों ने स्वतंत्र संघर्ष के लिए बलिदान दिया और अपने प्राणों की आहुति दी। महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, भगत सिंह, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद, जवाहरलाल नेहरू और अन्य महान हस्तियां ऐतिहासिक हैं। स्वतंत्रता के पहले युद्ध से बहुत पहले विस्तारवादी अंग्रेजों के खिलाफ कित्तूर रानी चन्नम्मा, बहादुर संगोली रायन्ना द्वारा शुरू किया गया संघर्ष प्रेरणादायक है। सीएम बोम्मई ने कहा, बलिदान के माध्यम से मिली आजादी के फल का आनंद लेते हुए, अगर हम कर्तव्यों का पालन करते हैं तो यह उनके लिए एक बड़ी श्रद्धांजलि है।

सीएम बोम्मई ने सवाल किया, स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य, महात्मा गांधी के बेटे और पोते कहां हैं? दिवंगत पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री और डॉ बीआर अंबेडकर के परिवार के सदस्य कहां हैं? स्वतंत्रता संग्राम के लाभार्थियों को इस सवाल का जवाब देना चाहिए। अगले 25 साल युवाओं को सफल होकर देश की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा, तब स्वतंत्रता आंदोलन के लिए खून दिया गया था, अब आप अपना पसीना बहाएं। उन्होंने कहा कि वह आरएसएस के फॉलोअर हैं क्योंकि वह देशभक्ति, उद्देश्यों और देशभक्ति की विचारधारा को नमन करते हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश का विभाजन हुआ जो एक त्रासदी है। वीर सावरकर और अब्दुल गफूर खान ने विभाजन को रोकने के प्रयास किए। हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई, 10 लाख लोग शरणार्थी बनकर भारत आए। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश की यात्रा इस तरह शुरू हुई। उन्होंने कहा, स्वतंत्रता के समय देश की जनसंख्या 33 करोड़ थी और भोजन की कमी थी। आज जनसंख्या 130 करोड़ है, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित है। मेरी पहली श्रद्धांजलि मेरे किसानों को है।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Aug 2022 5:00 PM IST

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