भास्कर हिंदी एक्सक्लूसिव: कांशीराम की बहुजन राजनीति के साथ केजरीवाल की रणनीति से आगामी समय में भाजपा -कांग्रेस को हो सकता है भारी नुकसान!
- केजरीवाल की रणनीति से संकट में पड़ सकती है बीजेपी
- बीजेपी पर बनियों की पार्टी होने का लगा हुआ है टैग
- शहर, शिक्षा , स्वास्थ्य, फ्री बिजली और पानी के साथ आप की चुनावी रणनीति
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 70 विधानसभा सीट वाली दिल्ली से शुरू हुई अरविंद केजरीवाल की राजनीति के वक्त किसी ने नहीं सोचा था कि केजरीवाल द्वारा बनाई पार्टी पूरे देश में पैर पसारेगी। भले ही केजरीवाल की राजनैतिक करियर के पीछे की नींव अन्ना हजारे के आंदोलन से माना जाती है। पढ़े लिखे अधिकारी रहे केजरीवाल की पॉलिटिक्स ने दिल्ली से निकलकर पंजाब में सरकार बनाई। दिल्ली में भारी बहुमत से केजरीवाल की आप पार्टी ने सरकार बनाई। कार्यकाल के दौरान केजरीवाल पर मुख्यमंत्री रहते हुए भ्रष्टाचार के कथित रूप से कई आरोप लगे। वैसे झाडू के साथ भ्रष्टाचार को मिटाने आए केजरीवाल खुद ही भ्रष्टाचार के आरोपों के शिकार हो गए। शराब ने लेकर शिक्षा और शीश महल के आरोपों से आप और आप के मुखिया समय समय पर सुर्खियों में बने रहते है।
अन्ना आंदोलन से उभरे केजरीवाल
आप को भले ही याद नहीं हो लेकिन आपको बता दें जब आम आदमी पार्टी बनने से पहले उसके अधिकारी समाजसेवी सड़कों पर उतरकर कांग्रेस की केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तब बीजेपी वाले गदगद हो रहे थे। होना भी स्वभाविक है क्योंकि अन्ना आंदोलन से सिंची हुई आप ने कांग्रेस को पहले दिल्ली फिर पंजाब से उखाड़ फेंका। दिल्ली से निकलते हुए आम आदमी पार्टी धीरे धीरे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए मुश्किल बनती गई। केजरीवाल की शुरू हुई मुफ्त वाली रेवड़ियों की योजना चुनावी प्रचार के जरिए जब देश के दूसरों शहरों के लोगों को पता चली तो अन्य शहरों के जनता ने आप पार्टी की ओर रूख करना शुरू कर दिया। आप पार्टी का वोट बैंक धीरे धीरे बढ़ने लगा। चूंकि मौजूदा दौर में शहरों में बीजेपी खूब फल फूल रही है,लेकिन शहरों में आप का बढ़ता वोट बैंक भाजपा के लिए चिंता का सवाल बनने लगा है। बने भी क्यों ना, जिस तरह आप के संयोजक केजरीवल अपनी रणनीति से अपनी पार्टी को बढ़ा रहा है। आने वाले समय में वह कांग्रेस के साथ बीजेपी के लिए संकट बन सकती है। क्योंकि जिस तरह से कांशीराम ने बहुजन को इकट्ठा करके राजनीति और सत्ता को जो पाठ पढ़ाया उससे कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ आज तक कांग्रेस इस नुकसान की भरपाई नहीं कर पाई है।
कांशीराम की बहुजन और केजरीवाल की बनिया राजनीति
कांशीराम की तरह ही केजरीवाल भी अपनी सूझबूझ और रणनीति से अपनी पार्टी का कद दिल्ली से निकालकर अन्य राज्यों में फैला रहा है। वो कोई मामूली रणनीति नहीं है। 70 विधानसभा सीटों पर दिल्ली में हो रहे विधानसभा चुनाव में जब आप केजरीवाल के पिछले और मौजूदा दौर के प्रत्याशियों की तरफ नजर दौड़ाआगों तो पता चलेगा कि केजरीवाल राजनीति में बनिया बिजनसमैन व्यापारियों को अधिक तवज्जों दे रहे है। भले ही केजरीवाल चुनाव और अपनी रणनीति में शिक्षा को मिसाइल की तरह पेश कर रहे है, लेकिन उनके अधिक प्रत्याशी कम पढ़े लिखे है। दो -चार पढ़े लिखे मंत्री बनाने से वो शिक्षा के तौर पर सियासत और स्कूली शिक्षा को बेहतर कर गरीब वंचित समाज में महानायक की तरह अपने आपको पेश कर रहे है। लेकिन प्रत्याशियों में उनके अधिकतर प्रत्याशी कम पढ़े लिखे लेकिन धनवान और व्यापारी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले है। आगामी राजनीति में केजरीवाल की सोच ब्राह्मण वर्ग और बनिया वर्ग की लड़ाई के तौर पर देखने को मिल सकती है। बु्द्धजीवी वर्ग सिर्फ बुद्धि से सियासत पा सकता है, चला सकता है, लेकिन धनवान वर्ग व्यापारी वर्ग राजनीति कि दिशा और दशा बदल सकता है। जिस प्रकार कांशीराम ने बहुजन राजनीति की शुरूआत करके दलित और ओबीसी वर्ग को नेता बनने को जो मौका दिया ठीक उसी प्रकार अगर केजरीवाल ने व्यापारी वर्ग को सियासत का स्वाद चखाया तो बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है। अभी तक जो धनवान वर्ग सियासी दांव पेंच खेलने चलने में बुद्धजीवी वर्ग पर निर्भर रहता था वो स्वयंनिर्भर हो सकता है। केजरीवाल के व्यापारी वोट बैंक से शहरों में बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है, क्योंकि बीजेपी को बनियों की पार्टी माना जाता है। भले ही बीजेपी में बनियों का वर्चस्व नगण्य रहा है। या बहुत ही कम देखने को मिलता है। वह सिर्फ वोट बैंक बनने तक ही सीमित है। केजरीवाल की रणनीति से भले ही कांग्रेस और बीजेपी को नुकसान हो सकता है, लेकिन अगर दलित और बहुजन वोट बीएसपी के साथ ही टिका रहा तो आने वाले समय में बीएसपी को भारी लाभ हो सकता है। यहीं वजह है कांग्रेस नेता राहुल गांधी बार बार अपने अभियान संबोधन और आंदोलनों में आोबीसी और दलित यानि बहुजन समाज को नेतृत्व और भागीदारी देने की बात कह रहे है।
विशेष नोट- ये लेखक के अपने निजी विचार है।
Created On :   4 Feb 2025 5:55 PM IST