हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: सरकार बनाने की उम्मीद पाले बैठी कांग्रेस का बिगड़ेगा खेल, छोटे दल और निर्दलीय बन सकते हैं जीत में रोड़ा
- हरियाणा चुनाव में छोटे दल बदल सकते हैं सियासी समीकरण
- त्रिशंकू विधानसभा की स्थिति में बन सकते हैं किंगमेकर
- तोड़ सकते हैं कांग्रेस के अपनी दम पर सरकार बनाने का सपना
डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। हरियाणा की सत्ता पर काबिज कौन होगा इसका फैसला कुछ ही दिनों में हो जाएगा। राज्य के इस सियासी दंगल में सत्ताधारी बीजेपी और कांग्रेस के अलावा जननायक जनता पार्टी और चंद्रशेखर रावण की आजाद समाज पार्टी गठबंधन में चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, दूसरी तरफ इंडियन नेशनल लोकदल और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन है, इन्होंने राज्य की सभी 90 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। गोपाड कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा अन्य क्षेत्रीय दल और निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में हैं। जो कि त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं।
चुनाव आयोग के मुताबिक सभी दल और निर्दलीयों को मिलाकर कुल 1051 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में औसत रूप से प्रत्येक सीट पर 11.7 प्रत्याशी। इसमें भी निर्दलीय और छोटे दलों के उम्मीदवार हैं।
बात करें आम आदमी पार्टी की तो दिल्ली मॉडल के आधार वह हरियाणा में अपना खाता खोलने की उम्मीद लगाए बैठी है। वहीं दूसरी ओर भाजपा को उम्मीद है कि इनेलो-बसपा और जेजेपी-एएसपी के गठबंधन से विपक्षी दलों के वोट विभाजित हो जाएंगे।
2009 विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तों उस समय इनेलो और कांग्रेस के बीच 48 सीटों पर सीधा मुकाबला था, जिसका आधे से ज्यादा विधानसभा सीटों पर असर था। वहीं, 2014 के चुनाव में भाजपा और इनेलो के बीच 37 सीटों पर और कांग्रेस और भाजपा के बीच 18 सीटों पर तो वहीं कांग्रेस और इनेलो के बीच 12 सीटों पर मुकाबला देखने को मिला था। 2019 विधानसभा में भाजपा कांग्रेस के बीच 51 सीटों पर प्रमुख मुकाबला देखने को मिला था तो वहीं भाजपा और जेजेपी 16 अन्य सीटों पर मुख्य दावेदार भी थे।
बीते तीन चुनावों में देखा गया है कि छोटे दल और अन्य निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार अहम किरदार निभाते हैं। 2009 के चुनाव में इन प्रत्याशियों ने 30 फीसदी वोट शेयर के साथ 15 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2019 के विधानसभा चुनाव में उनका वोट शेयर घटकर 18 फीसदी पर पहुंच गया था और सीटें घटकर आठ पर आ गई थीं। हालांकि इसके बाद भी विधानसभा में इनका प्रभाव 45 मतलब आधी सीटों पर बना रहा।
इस बार के चुनाव में कई चुनावी विशेषज्ञ और ज्योतिषी कांग्रेस की सरकार बनने की बात कह रहे हैं। किसान आंदोलन और पहलवानों के विरोध प्रदर्शन के बाद राज्य में सत्ता विरोधी लहर भी चल रही है, जिसका फायदा राज्य के सबसे बड़े विपक्षी दल कांग्रेस को ही मिलने की संभावना है। लेकिन, चुनाव में राज्य के क्षेत्रीय दल और निर्दलीय उम्मीदवार का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो यह कांग्रेस के लिए अच्छा साबित नहीं होगा। इससे उसे दो नुकसान हो सकते हैं एक तो ये दल कांग्रेस के लिए वोट कटवा साबित हो सकते हैं जिसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है। वहीं दूसरी तरफ इनके जीतने पर त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति निर्मित हो सकती है। जिसमें ये छोटे दल किंगमेकर बनकर उभर सकते हैं। इस तरह खुद की दम पर राज्य की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रही कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है।
Created On :   30 Sept 2024 9:57 PM IST