चुनावी एग्जिट पोल: अलग-अलग होते हैं एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल, आसान भाषा में समझिए क्या है अंतर

अलग-अलग होते हैं एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल, आसान भाषा में समझिए क्या है अंतर
  • हरियाणा चुनाव का आज एग्जिट पोल होगा जारी
  • जम्मू-कश्मीर चुनाव का आज एग्जिट पोल होगा जारी
  • जानिए एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल क्या है अंतर

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का दौर अब खत्म हो चुका है। ऐसे में सभी को विधानसभा चुनाव के नतीजों का बेसब्री से इंतजार है। सभी लोग जानना चाहते हैं कि इन दोनों राज्यों में किसकी सरकार बनने वाली है? आज एग्जिट पोल के जरिए दोनों राज्यों के चुनावी नतीजे का अनुमान लगाया जाएगा। अक्सर ऐसा देखा जाता है कि लोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल में अंतर के बीच कंफ्यूज रहते हैं। उनके मन में यह सवाल पैदा होता है कि आखिर यह एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल है क्या? आइए आज हम आपको आसान शब्दों में बताएंगे कि एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल क्या है?

मौजूदा हालात

आपको बता दें कि, जम्‍मू कश्‍मीर में 10 साल बाद तीन चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान हुआ है। वहीं, हरियाणा में पिछले 10 सालों से बीजेपी की सरकार है। ऐसे में इस बार बीजेपी राज्य में हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। यहां भी शनिवार शाम छह बजे मतदान संपन्न हो चुका है। इस बीच लोगों में एग्जिट पोल को लेकर बेसब्री से इंतजार है। बीजेपी के पास जहां हरियाणा में साख बचाने की चुनौती होगी, तो वहीं जम्मू-कश्मीर में भी उसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कहां किसकी सरकार बनेगी।

एग्जिट पोल क्या होता है?

एग्जिट पोल एक तरह से चुनावी सर्वे होता है, जो मतदान के दौरान किया जाता है। ये देशभर की कई एजेंसियां, न्‍यूज चैनल और समाचार पत्रों की ओर से किया जाता है। इस सर्वे में मतदान करने के बाद मतदाताओं से चुनाव से जुड़े कुछ सवाल पूछे जाते हैं। उनके जवाब के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसके जरिए यह पता लगाया जाता है कि जनता की दिलचस्पी किसकी तरफ है। साथ ही ये भी अनुमान लगाया जाता है कि कौन सा राजनीतिक दल कितनी सीटें जीतने वाला है और कौन सा दल सरकार बना सकता है। आप इस तमाम नतीजों को देखने के लिए न्यूज चैनल या इसके सोशल मीडिया और यूट्यूब अकाउंट से जुड़ सकते हैं।

एग्जिट पोल की गाइडलाइंस की शुरूआत कैसे हुई?

"रिप्रेज़ेन्टेशन ऑफ़ द पीपल्स एक्ट"1951 के सेक्शन 126ए के तहत एग्ज़िट पोल को नियंत्रित किया जाता है। अगर एग्जिट पोल की शुरुआत की बात किया जाए तो इसका जन्मदाता अमेरिका है। दुनियाभर में सबसे पहले साल 1936 में अमेरिका ने अपना चुनावी एग्जिट पोल कराया था। इसे जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने न्यूयॉर्क शहर में एक चुनावी सर्वेक्षण के लिए किया। जहां मतदान केंद्रों से निकलने वाले मतदाताओं से ये सवाल पूछा गया था कि उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए किस उम्मीदवार को अपना मत दिया है।

भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत साल 1957 के लोकसभा चुनाव से हुई थी। इसका पूरा निरीक्षण इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के नेतृत्व में किया गया था। जिसकी अध्यक्षता एरिक डी कॉस्टा ने किया था। लेकिन इसे पूरी तरह से एग्जिट पोल नहीं कहा गया। उसके बाद 1980 में एनडीटीवी के प्रमोटर डॉ प्रणय रॉय ने पहली बार एग्जिट पोल किया। उन्होंने ही साल 1984 के चुनाव में दोबारा से एग्जिट पोल किया था।

फिर 1996 में दूरदर्शन ने एग्जिट पोल किया। इसमें "सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटी (सीएसडीएस)" ने फील्ड वर्क किया था। जहां इस एग्जिट पोल में बताया गया कि अमुख पार्टी चुनाव जीतेगी और ऐसा हुआ भी। उसके बाद से देश में एग्जिट पोल का चलन बढ़ गया और ये सिलसिला लगातार जारी है।

ओपिनियन पोल क्या होता है?

ओपिनियन पोल भी एक प्री-पोल सर्वे है जो चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले किया जाता है। इसमें सभी लोगों को शामिल किया जाता है, जिसमें आम लोगों की राय से राजनीतिक मूड समझा जाता है। इसे चुनाव ऐलान से पहले दिखाया जा सकता है। चुनाव का ऐलान होने और आदर्श आचार संहिता लागू होते ही इस पर बैन लगा दिया जाता है।

एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल दोनों ही बहुत अहम हैं। लेकिन इनकी कुछ लिमिट है। ये दोनों ही सटीक नहीं हो सकती है क्योंकि, मतदाता कभी भी अपनी राय बदल सकते हैं।

बता दें कि, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के नतीजे एक साथ 8 अक्टूबर को जारी किए जाएंगे।

Created On :   5 Oct 2024 10:48 AM GMT

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