विधानसभा चुनाव 2023: कांग्रेस का अभेद किला सरगुजा, निर्णायक भूमिका में होते है आदिवासी वोटर्स

कांग्रेस का अभेद किला सरगुजा, निर्णायक भूमिका में होते है आदिवासी वोटर्स
  • तीन सीट तीन विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत
  • कांग्रेस का अभेद किला भेदना बीजेपी के लिए चुनौती
  • तीन में से दो एसटी आरक्षित और एक अनारक्षित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सरगुजा जिले में तीन विधानसभा सीट अंबिकापुर,लुण्ड्रा,सीतापुर है। जिले की दो सीट लुण्ड्रा और सीतापुर अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है, जबकि अंबिकापुर विधानसभा सीट अनारक्षित है। सरगुजा में कांग्रेस का दबदबा है। 2018 में तीनों ही सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। पिछले तीन चुनावों में तीनों ही सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई है। वनांचल क्षेत्र सरगुजा कांग्रेस का गढ़ है। जिले की राजनीति में एसटी समुदाय सबसे अहम भूमिका में होता है।

प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर जिला सरगुजा का मुख्यालय अंबिकापुर है। ये जिला जनजाति बाहुल्य जिला है। सुरगुजा दो शब्दों से मिल कर बना है सुर + गजा यानि हाथियों वाली धरती। सुरगुंजा - सुर + गुंजा - आदिवासियों के लोकगीतों का मधुर गुंजन। छत्तीसगढ़ में बाक्साईड का सर्वाधिक भण्डारण वाला जिला सरगुजा है। सरगुजा के प्राचीन इतिहास में 3 ईसापूर्व से पहले मौर्य वंश से पहले इस क्षेत्र में नंदा कबीले का आगमन था। इस बाद एक राजपूत राजा राजा पलामू जो बिहार के निवासी थे उनके अधीन आ गया। राजा पलामू राक्षल कबीले से सम्बंधित रखते थे।

अंबिकापुर विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस से टीएस सिंहदेव

2013 में कांग्रेस से टीएस सिंहदेव

2008 में कांग्रेस से टीएस सिंहदेव

2003 में बीजेपी के कमल भान सिंह

अंबिकापुर विधानसभा सीट सरगुजा की एकमात्र अनारक्षित सीट 2008, 2013 और साल 2018 में यहां पिछले तीन लगातार चुनाव कांग्रेस जीत चुकी है। जबकि 2003 में बीजेपी ने जीत हासिल की थी। छत्तीसगढ़ का सबसे चर्चित नाम त्रिभुनेश्वर शरण सिंहदेव कहें या टीएस सिंहदेव जिन्हें छत्तीसगढ़ में लोग टीएस बाबा के नाम से जानते हैं । जीत और हार का फैसला ग्रामीण और आदिवासी मतदाता करते हैं। समीकरण के हिसाब से मानें तो गोंड, कंवर, उरांव और रजवार समाज के मतदाता ही जीत और हार में अहम भूमिका निभाते ,अंबिकापुर विधानसभा क्षेत्र में रोजगार का प्रमुख साधन कृषि है। किसानों की मजबूत स्थिति के कारण यहां बैंकिग, सभी प्रमुख मार्केट और फाइनेंस सेक्टर का अच्छा नेटवर्क है।

लुण्ड्रा विधानसभा सीट

2018 में कांग्रेस के डॉ प्रीतम राम

2013 में कांग्रेस से संत चिंतामणि गाहिरा

2008 में कांग्रेस से रामदेव

2003 में बीजेपी के विजयनाथ

विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित है। विधानसभा क्षेत्र में कंवर कोरवा और मसीही समाज के लोगों का दबदबा है। यहां कि राजनीति इन्हीं जातियों के इर्द गिर्द घूमती है। लुंड्रा विधानसभा आदिवासी बाहुल्य इलाका है, यहां 80 फीसदी के करीब एसटी वर्ग के वोटर्स है। गोंड , कवर, उरांव और यादव समाज का यहां दबदबा है। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। स्कूल , शिक्षा और सड़क की हालात बेहद खराब है।

सीतापुर विधानसभा सीट

विधानसभा सीट एसटी के लिए आरक्षित है। सीतापुर वो सीट है जहां आदिवासी वोटर्स की संख्या सबसे ज्यादा है। यहां 70 फीसदी से अधिक मतदाता एसटी वर्ग से है। उरांव समुदाय के लोग हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते और धर्मांतरण कर क्रिश्चियन धर्म पर अधिक विश्वास करते है। राजनीति दल यहां हिंदुत्व कार्ड खेलने की पूरी कोशिश कते है , हालांकि सफल नहीं हुए। कांग्रेस के अमरजीत भगत यहां से लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीत चुके है। बीजेपी यहां से आज तक खाता नहीं खोल पाई है। कंवर और गोंड समाज के वोटर्स एक साथ मतदान करते है। यहां के लोगों का प्रमुख रोजगार कृषि है। बतौली विकासखंड में प्रस्तावित एल्युमीनियम प्लांट यदि शुरू होगा तो रोजगार के अवसर उपलब्ध होगे । लेकिन स्थानीय लोग इस प्लांट का विरोध कर रहे है इसका असर चुनाव में दिखाई देगा।

2018 में कांग्रेस से अमरजीत भगत

2013 में कांग्रेस से अमरजीत भगत

2008 में कांग्रेस से अमरजीत भगत

2003 में कांग्रेस से अमरजीत भगत

जानिए छत्तीसगढ़ का सियासी सफर

1 नवंबर 2000 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 3 के अंतर्गत देश के 26 वें राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई। शांति का टापू कहे जाने वाले और मनखे मनखे एक सामान का संदेश देने वाले छत्तीसगढ़ की सियासी लड़ाई में कई उतार चढ़ाव देखे। छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीट है, जिनमें से 4 अनुसूचित जनजाति, 1 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। विधानसभा सीटों की बात की जाए तो छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीट है,इसमें से 39 सीटें आरक्षित है, 29 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, 51 सीट सामान्य है।

प्रथम सरकार के रूप में कांग्रेस ने तीन साल तक राज किया। राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तीन साल तक जोगी ने विधानसभा चुनाव तक सीएम की कुर्सी संभाली थी। पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और बीजेपी की सरकार बनी। उसके बाद इन 23 सालों में 15 साल बीजेपी की सरकार रहीं। 2003 में 50,2008 में 50 ,2013 में 49 सीटों पर जीत दर्ज कर डेढ़ दशक तक भाजपा का कब्जा रहा।

बीजेपी नेता डॉ रमन सिंह का चौथी बार का सीएम बनने का सपना टूट गया। रमन सिंह 2003, 2008 और 2013 के विधानसभा कार्यकाल में सीएम रहें। 2018 में कांग्रेस ने 71 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सरकार बनाई और कांग्रेस का पंद्रह साल का वनवास खत्म हो गया। और एक बार फिर सत्ता से दूर कांग्रेस सियासी गद्दी पर बैठी। कांग्रेस ने भारी बहुमत से जीत हासिल की और सरकार बनाई।

Created On :   28 Sept 2023 5:13 PM IST

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