विशेषाधिकार हनन: बसपा सांसद दानिश अली ने विशेषाधिकार हनन को लेकर लोकसभा स्पीकर को लिखा खत, खतरे में पड़ सकती है बिधूड़ी की सदस्यता

बसपा सांसद दानिश अली ने विशेषाधिकार हनन को लेकर लोकसभा स्पीकर को लिखा खत, खतरे में पड़ सकती है बिधूड़ी की सदस्यता
  • विशेषाधिकार को लेकर बसपा सांसद की मांग
  • लोकसभा स्पीकर को लिखी चिट्ठी
  • पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को जाना पड़ा था जेल

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकतंत्र के मंदिर नए संसद को बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने अपनी अमर्यादित टिप्पणियों से तार तार कर दिया। बिधूड़ी के बयानों पर सियासत होने लगी है और विपक्षी पार्टियों ने बीजेपी की सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है। आपको बता दें गुरूवार को लोकसभा सदन में दक्षिणी दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी ने यूपी की अमरोहा सीट से बीएसपी सांसद दानिश अली पर विवादित टिप्पणी की, इस दौरान दो पूर्व केंद्रीय मंत्री ठहाके भी लगा रहे थे। बिधूड़ी का बयान अब तूल पकड़ रहा है। विपक्षी दल और सांसद अली लोकसभा स्पीकर से बिधूड़ी के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे है।

हालांकि लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने सांसद बिधूड़ी को सख्त चेतावनी दे दी है, वहीं बीजेपी ने बिधूड़ी को कारण बताओं नोटिस जारी करते हुए 15 दिन में जवाब देने की मोहलत दी है। जबकि बसपा सांसद दानिश अली ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को चिट्ठी लिखी है। जिसमें उन्होंने बिधूड़ी के मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने की मांग की है।

आपको बता दें विशेषाधिकार हनन मामले में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जेल जाना पड़ा था। इमरजेंसी खत्म होने के बाद मोरारजी देसाई की सरकार में गृहमंत्री चौधरी चरण सिंह ने इंदिरा गांधी के खिलाफ जस्टिस शाह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर इंदिरा गांधी द्वारा की गई ज्यादतियों को लेकर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखा था। जिसमें इंदिरा गांधी पर काम में बाधा डालने, अधिकारियों को धमकाने, शोषण करने और झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप था। 20 दिसंबर 1978 को गांधी की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई थी। साथ ही सत्र चलने तक जेल भेजने का आदेश भी दिया गया था। 26 दिसंबर 1978 को इंदिरा गांधी को रिहा कर दिया गया था। और एक महीने बाद लोकसभा से उनका निष्कासन वापस ले लिया था।

इससे पहले 1976 में सुब्रमण्यम स्वामी के खिलाफ राज्यसभा में देश-विरोधी गतिविधियों, सदन को अपमानित करने को लेकर विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया गया था। सदन से प्रस्ताव मंजूर होने के बाद स्वामी को सदन से निष्कासित कर दिया गया था।

यदि सांसद बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार समिति के पास जाता है, तो बिधूड़ी को निलंबित किया जा सकता है, निष्काषित किया जा सकता है, उनकी सदस्या रद्द की जा सकती है, या फिर उन्हें जेल हो सकती है। ये सब छानबीन करने वाली विशेषाधिकाकर समिति और लोकसभा स्पीकर पर निर्भर करता है। हालांकि माफी मांगने पर कुछ राहत भी मिल सकती है। विशेषाधिकार हनन के मामले में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की सदस्यता निलंबित कर दी गई थी, साथ ही उन्हें जेल जाना पड़ा था।

जैसा कि विधित है कि सदन के सदस्यों को संविधान में कुछ विशेषाधिकार मिले है। रमेश बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार हनन से जुड़ा हुआ है। इसकी जांच के लिए लोकसभा और राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति होती है। लोकसभा के नियम 227 के तहत सदस्य के द्वारा लोकसभा स्पीकर की अनुमति से पेश विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव और उसकी जांच विशेषाधिकार समिति को भेजी जाती है ,ये कमेटी जांच कर अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर चर्चा के लिए रखती है। समिते के फैसले पर मोहर लगने के बाद विशेषाधिकार हनन का दोषी पाए जाने पर सांसद को निलंबित किया जा सकता है या सदन से बहिष्कृत किया जा सकता है। विशेषाधिकार के किसी भी मामले पर अब स्पीकर के ऊपर निर्भर करता है कि वो मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेजे या न भेजे।

आपको बता दें लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में 15 और राज्यसभा की समिति में 10 सदस्य होते हैं। इस कमेटी का अध्यक्ष सत्ताधारी पार्टी का सांसद होता है। कमेटी में सभी राजनैतिक दलों के सांसदों को शामिल किया जाता है।

Created On :   23 Sept 2023 4:33 AM GMT

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