ध्रुवीकरण की राजनीति: बिहार विधानसभा चुनाव में बाबा धीरेंद्र का हिंदू राष्ट्र बयान का एक्सपेरिमेंट, सफल हुआ तो अन्य राज्यों के साथ पूरे देश में देगा सुनाई!

बिहार विधानसभा चुनाव में बाबा धीरेंद्र का हिंदू राष्ट्र बयान का एक्सपेरिमेंट, सफल हुआ तो अन्य राज्यों के साथ पूरे देश में देगा सुनाई!
  • होली के बहाने ध्रुवीकरण की कोशिश
  • बिहार की डेमोग्रेफी का सबसे बड़ा कारण बाबा के हिंदू राष्ट्र वाले
  • क्या बिहार विधानसभा चुनाव में होगा हिंदू राष्ट्र का प्रयोग?

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बागेश्वर धाम बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार दौरे पर है। अपने दौरे के दौरान शास्त्री "हिंदू राष्ट्र और जातपात की करो विदाई, हम सब हैं भाई भाई" की बात बार बार कर रहे है। बाबा के हिंदू राष्ट्र के बयान से बिहार में गर्मी आने से पहले सियासी पारा चढ़ गया है। बाबा के बयान से राजनीति में भी हलचल पैदा हो गई है, बाबा के बयान के कुछ समर्थक में तो कुछ विरोध में बोल रहे है। धार्मिक नेता के तौर पर शास्त्री के बयानों पर राजनीति होने का आरोप लगाया जा रहा है। कई नेता कह रहे है, बाबा इस साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जमीन तैयार कर रहे है। शास्त्री बीजेपी के इशारे में काम कर रहे है। बीजेपी के इशारे पर हिंदू हिंदू की राजनीति कर रहे है। धीरेंद्र शास्त्री अपनी कथा वाली सभा में कहते है कि जात -पात के भेदभाव वाली दीवार मिटा दों।

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि शास्त्री जिस मध्यप्रदेश की छतरपुर जिले से आते है, सबसे अधिक जातिगत भेदभाव की घटना उनके जिले में होती है। यहां दलित के हाथ से प्रसाद लेने पर सरपंच ने 20 दलित परिवारों का हुक्का पानी बंद कर समाज से अलग कर दिया था। गुटखा उधार न देने पर एक दलित महिला और उसके परिवार पर ठाकुरों ने हमला कर दिया था। यहीं के बकस्वाहा थाना के चौरइ गांव में एक दलित दूल्हे को घोड़ी पर सवार देखकर सामान्य जाति के लोगों ने पथराव किया। धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में 251 जोड़ों की शादी करवाई, आपको बता दें सामूहिक शादी की परंपरा शोषित पीड़ित पिछड़ेपन और गरीबी की निशानी होती है। बाबा ने इस शादी में जितना धन बर्बाद किया उतने धन से ये सभी 250 जोड़ों के परिवार अमीर बन जाते है। और गरीब के जंजाल से मुक्त हो जाते है। बाबा बार- बार भले ही कहते हो कि जातपात की करो विदाई, हम सब हैं भाई भाई।

आपको बता दें बिहार में बीजेपी अकेले के बलबूते पर सरकार बनाने की सोच रही है। बिहार में जातियों का समीकरण इस तरह है कि यहां किसी एक पार्टी का सिक्का नहीं चल पाया है। बाबा शास्त्री जातियों पर बंटे बिहार की वोटों को हिंदुओं के नाम पर एक जगह इकट्ठा करना चाहते है। बिहार की राजनीति में बाबा हिंदू राष्ट्र के नाम पर चुनावी एक्सपेरिमेंट कर रहे है। सब जानते है कि बिहार की भूमि से ही बौद्ध धर्म पूरे संसार में फैला। यहां बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या अधिक है। दूसरी तरफ मुस्लिम मतदाता भी सियासी रूप से चुनाव में भूमिका निभाते है। हिंदुओं में आज जो नीची जाति है वो अधिकतर बौद्ध धर्म से प्रभावित है। वो धार्मिक रूप से भले ही हिंदु है लेकिन राजनीतिक रूप से धार्मिक विचार धारा से ना होकर समाजवादी और कल्याणकारी विचारधारा वाली पार्टी को समर्थित करती है। बाबा शास्त्री के जरिए अगर बिहार में हिंदू राष्ट्र का प्रयोग सक्सेस होता है, तब बीजेपी अन्य राज्यों और फिर पूरे देश में इस प्रयोग को चुनाव में भुनाने की पुरजोर कोशिश में रहेगी। बिहार में बौध्दों के सबसे प्रसिद्ध महाबोधि मंदिर से हिंदुओं के हटने की मांग जोरों शोरों से चल रही है। यह भी एक सियासी मुद्दा बनकर चुनाव में सुनाई दे सकता है।

वैसे आपको बता दें शास्त्री जैसे ना जाने कितने बाबा आए और चले गए, जिन्होंने सिर्फ बयानों से जाति तोड़ने का काम किया लेकिन वो सफल नहीं हुए। क्योंकि बाबाओं की मंशा सच्ची न होकर सत्ता प्रेरित होती है। बाबा ही नहीं सत्तारूढ़ पार्टी के कई विधायक ध्रुवीकरण करने के होली रंग और रमजान पर अनाप शनाप हो गया। बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने तो यह तक कह दिया कि होली के दिन मुस्लिम लोग घरों में रहे, सड़क पर ना निकले। उन्हें कलेजा बड़ा रखना होगा। सवाल ये है कि बीजेपी विधायक खुद कलेजा क्यों बढ़ा नहीं रख लेते। क्यों ना सब एक मानवतावादी समानतावादी रंग में घुल मिल जाए। न केवल बिहार देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में भी मुस्लिमों को लेकर विवादित बयानबाजी हो रही है। एक ही पार्टी के नेताओं की विवादित बयानबाजी सवाल खड़ा करती है। अचानक इस तरह के विवादित बयानों की बाढ़ आना सभ्य मानव समाज के लिए अनुचित है।

विपक्षी नेताओं का कहना है कि बिहार में चुनाव है और बाबा हिंदू राष्ट्र की बात बार बार उठाकर बीजेपी की जमीन तैयार कर रहे है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि वे भाजपा के इशारों पर काम कर रहे हैं। बाबा का कहना है कि हिंदू राष्ट्र की मांग सबसे पहले बिहार से उठेगी? चुनावी राजनीति के हिसाब से विपक्षी नेताओं को ये बात चुभ रही है। वैसे आपको बता दें कोई भी मनुष्य जब संत या बाबा बनता है तो वह सबसे पहले जाति, धर्म , परिवार और समाज को छोड़ता है। उसकी सिर्फ एक ही जाति रहती है मानव जाति। बाबा हिंदू राष्ट्र की बात कर अपनी मानवीय जाति पर स्वयं सवाल खड़ा करवा रहें है। शास्त्री कई मौके पर कह चुका है कि मैं राजनीति की बात ना ही करता हूं ना करूंगा, उनका कहना है कि वो हिंदू और हिंदुओं की बात करता हूं। चुनाव से पहले बाबा शास्त्री के हिंदुवादी वाले बयान चुनावी राजनीति और हिंदू विचारधारा वाली सरकार से मिलीभगत होने की तरफ इशारा करती है।

एक समाचार चैनल ने तो यहां तक लिखा है कि बाबा यहां सबको सचेत कर रहे हैं कि अगर हिंदू एक नहीं हुए तो बीजेपी जैसी पार्टियों की दुर्गति के जिम्मेदार आप होंगे। बाबा खुलकर कहते हैं कि भारत पर पहला अधिकार हिंदुओं का है। इसलिए बीजेपी विरोधियों को लगता है कि धीरेंद्र शास्त्री बीजेपी के लिए हिंदुओं के बीच अलक जगाने बिहार आए हुए हैं।

Created On :   11 March 2025 5:15 PM IST

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