'वक्फ' पर खींचतान जारी: वक्फ कानून पर विरोधियों को चिराग पासवान का जवाब, विपक्ष पर गुमराह कराने का लगाया आरोप

वक्फ कानून पर विरोधियों को चिराग पासवान का जवाब, विपक्ष पर गुमराह कराने का लगाया आरोप
  • वक्फ कानून को लेकर सियासत जारी
  • केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का विपक्ष को जवाब
  • लोगों को गुमराह करने का लगाया आरोप

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक के पास होने के बाद विपक्षी दल सत्तापक्ष पर हमलावर है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दर्ज याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इनमें एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, जमीयत उलेमा ए हिंद, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद समेत 15 लोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की हैं। इस बीच लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास पासवान) चीफ और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा है कि विपक्ष पिछले कानून का बचाव करने के लिए अदालतों में भाग रहा है, लेकिन ये भी देखिए कितने मुस्लिम ऐसे थे जो इस कानून के खिलाफ कोर्ट भी नहीं जा सकते थे।

सीएए को लेकर कही ये बात

हाल ही में द इंडियन एक्सप्रेस के कार्यक्रम एक्सप्रेस अड्डा में चिराग पासवान शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने वक्फ संशोधन कानून और उस पर विपक्ष के विरोध को लेकर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) हो या आर्टिकल 370 को हटाना हो, हर बार विपक्ष ने विरोध किया, लेकिन वे गलत साबित हुए। उन्होंने कहा कि सीएए पड़ोसी मुल्कों में सताए हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए लाया गया, जिसे लेकर विपक्ष ने गलत माहौल बनाने की कोशिश की कि इसका मकसद नागरिकता छीनना है। हालांकि, उनके ये पैंतरे काम नहीं कर सके।

चिराग पासवान ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर भी ऐसा ही प्रतिक्रिया थी। लेकिन हाल ही में यहां हुए विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष गलत साबित हुआ। जैसा कि वो अनुच्छेद 370 को लेकर भविष्यवाणियां कर रहे थे, लेकिन नेशनल कांफ्रेंस ने जीत हासिल की और उमर अब्दुल्ला फिर से मुख्यमंत्री बने।

बता दें, जम्मू कश्मीर में 5 अगस्त, 2019 से आर्टिकल 370 को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो भागों में विभाजित कर दिया गया था। ये दोनों ही केंद्र शासित प्रदेश हैं। केंद्र सरकार के आर्टिकल 370 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाएं दायर हुई थी। सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के छह धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है, जिनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई हैं। 11 मार्च, 2024 को इसे देशभर में लागू किया गया था।

विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दर्ज कराई याचिका

चिराग पासवान ने कहा कि अब वक्फ संशोधन कानून को लेकर भी विपक्ष का यही प्रोपेगेंडा है, लेकिन लोगों को समय के साथ समझ आ जाएगा कि वक्फ संशोधन कानून सही है और उनकी भलाई के लिए है। उन्होंने कहा, "आप (विपक्ष) पुराने कानून के बचाव के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन कितने ऐसे मामले हैं जो पिछले कानून के खिलाफ कोर्ट भी नहीं जा सके।"

बता दें, वक्फ संशोधन कानून को प्रभाव में लाने के लिए 8 अप्रैल को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी की थी। इसका उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव कर वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण से जुड़ी समस्याओं का समाधान करना है। हालांकि, कानून का विरोध करने वालों का कहना है कि वक्फ एक धार्मिक संस्था है, उसके कामकाज में सरकारी दखल गलत है।

वहीं, याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाते हुए कहा कि नया वक्फ कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 15 (समानता), 25 (धार्मिक स्वतंत्रता) 26 (धार्मिक मामलों की व्यवस्था) और 29 (अल्पसंख्यक अधिकार) जैसे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं ने कानून में बदलाव को अनुच्छेद 300A यानी संपत्ति के अधिकार के भी खिलाफ बताया है।

Created On :   10 April 2025 2:39 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story