श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन: मंदिर निर्माण के लिए देह त्यागने को तैयार थे स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी महाराज, विश्व प्रसिद्ध भारत माता मंदिर का कराया था निर्माण
- राम मंदिर आंदोलन में थी महती भूमिका
- मंदिर निर्माण कार्य शुरू नहीं होने पर देह त्यागने को थे तैयार
- भारत माता मंदिर किया था स्थापित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सबसे पहली धर्म संसद प्रयागराज में आयोजित हुई लेकिन, इसमें राम मंदिर निर्माण का मुद्दा उतनी प्रमुखता से नहीं उठाया गया। दूसरी धर्म संसद साल 1989 में हरिद्वार में आयोजित हुई और इस बार राम मंदिर से संबंधित कई अहम फैसले लिए गए। इस सम्मेलन में देश भर के साधु-संत बड़ी संख्या में उपस्थित हुए थे। मंदिर आंदोलन को लेकर हरिद्वार में हुई धर्म संसद और इससे जुड़ी गतिविधियों में भारत माता मंदिर के संस्थापक महामंडलेश्वर और संत स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि महाराज की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। धर्म, संस्कृति और समाज कल्याण के क्षेत्र में उनके विशिष्ट योगदान के लिए सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से भी नवाजा था। धर्म और सामाजिक समरसता को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए सत्यमित्रानंद गिरी महाराज ने 65 से अधिक देशों का भ्रमण किया।
हरिद्वार धर्म संसद
साल 1989 में हरिद्वार में दूसरी धर्म संसद आयोजित हुई जहां अयोध्या में कार सेवा और मंदिर आंदोलन शुरू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया गया। वहां मौजूद 13 अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर , श्री महंत , साधु-संत और अन्य लोगों ने अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के लिए कारसेवा और आंदोलन की शुरूआत करने का बड़ा फैसला लिया। इसके बाद भी हरिद्वार में कई और धर्म संसद आयोजित हुई। जिसके साथ अयोध्या के बाद हरिद्वार मंदिर आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों का केंद्र बन गया। राम मंदिर आंदोलन में कार सेवा के लिए हरिद्वार के साधु-संतो ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। साल 1992 में जब विवादित ढांचा गिराया गया तब भी हरिद्वार से बड़ी संख्या में लोग कारसेवा के लिए गए थे। आंदोलन और कारसेवा के लिए साधु-संतो को संगठित करने में स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी जी महाराज की भूमिका अहम थी।
देह त्यागने को थे तैयार
साल 2018 में स्वामी सत्यमित्रानंद जी महारज ने 6 दिसंबर तक मंदिर निर्माण कार्य शुरू नहीं होने पर देह त्यागने का ऐलान कर दिया था। इस मांग को लेकर उन्होंने हरकी पौड़ी पर आमरण अनशन शुरू करने की चेतावनी दी थी जिसे लेकर भयंकर खलबली मच गई थी। सरकार सहित संत-साधुओं ने उन्हें रोकने का भरपूर प्रयास किया। संत-महात्मा, विशिष्टजन और शिष्यों के कहने पर स्वामी जी ने अपना संकल्प वापस ले लिया। राम मंदिर का निर्माण होते हुए देखने की उनकी प्रबल इच्छा थी लेकिन 25 जून 2019 को ही उनकी मृत्यु हो गई।
भारत माता मंदिर की स्थापना
भारत माता मंदिर की स्थापना के लिए स्वामी सत्यमित्रानंद गिरि को पूरे विश्व में ख्याति मिली। साल 1983 में उन्होंने सप्तसरोवर में गंगा तट पर 108 फीट ऊंचे आठ मंजिला भवन का निर्माण करवाया। भारत माता मंदिर नाम का यह भवन उस समय संपूर्ण विश्व में चर्चा का विषय बन गया। भारत के निर्माण और रक्षा में अपना सर्वस्य लुटाने वाले महान व्यक्तित्वों को यह भवन समर्पित किया गया। भारत माता मंदिर की पहली मंजिल पर भारत माता की मूर्ति स्थापित है तो दूसरी मंजिल देश के लिए जान की बाजी लगाने वाले शूरवीरों और वीरांगनाओं को समर्पित है। तीसरी मंजिल 'मातृ मंदिर' है जो स्त्री शक्ति को समर्पित किया गया है। इसी तरह भवन की प्रत्येक मंजिल विभिन्न शक्तियों को समर्पित की गई हैं।
Created On :   19 Jan 2024 12:52 AM IST