काउंटिंग पर सवाल!: चुनाव की मतगणना प्रक्रिया पर याचिकाकर्ता ने उठाया सवाल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बार-बार एक ही मामला नहीं सुन सकते

- चुनाव की मतगणना प्रक्रिया पर याचिकाकर्ता ने उठाया सवाल
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- बार-बार एक ही मामला नहीं सुन सकते
- पिछले साल भी इस मामले पर हुई थी सुनवाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चुनाव आयोग की ओर से अपनाई जा रही मतगणना प्रक्रिया वाली याचिका को देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने खारिज कर दिया है। साथ ही, संजीव खन्ना ने साफ कहा है कि वह अदालत में रोज-रोज एक ही मामले की सुनवाई नहीं करते रहेंगे।
याचिकाकर्ता हंसराज जैन की याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो गई थी। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की। जिसे अब सुप्रीम कोर्ट ने भी खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता हंसराज जैन ने अपनी अपील में चुनाव आयोग द्वारा अपनाई जा रही मौजूदा मतगणना प्रणाली में बदलाव करने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया सुनिश्चित कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी मांग रखी। हालांकि, सुनवाई के दौरान सोमवार को मुख्य न्यायाधीश ने संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही, संजीव खन्ना ने कहा कि हमने पहले ही इस पर फैसला कर दिया है। हम बार-बार इस मामले में उलझे नहीं रह सकते।
क्या थी मांग
याचिकाकर्ता हंसराज जैन ने अर्जी में कहा था कि EVM-VVPAT को लेकर चुनाव आयोग ने हलफनामा दाखिल किया था कि अगर 100 फीसदी EVM को VVPAT से जोड़ा गया और वोटों की गिनती में उसका मिलान किया गया तो 12 दिन लगेंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। जैन ने सीजेआई खन्ना के सामने दावा किया कि अगर उनको मौका दिया जाए तो वह 48 घंटे में गिनती पूरी करके दिखा सकते हैं।
याचिकाकर्ता हंसराज ने कहा कि उन्होंने इस तथ्य से पहले चुनाव आयोग को अवगत कराया था लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया तो, हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी लेकिन, हाईकोर्ट ने भी उनकी बात नहीं सुनी, इसलिए अब मैं यहां (सुप्रीम कोर्ट) अपील करने आया।
याचिकाकर्ता की पूरी बात सुनने के बाद सीजेआई ने कहा कि हम इस पूरे मामले की पहले ही सुनवाई कर चुके हैं। अब इस मामले पर कोई सुनवाई नहीं कर सकते। जिसके बाद सीजेआई ने याचिका को खारिज कर दिया।
पिछले साल भी इस मामले पर हुई थी सुनवाई
गौरतलब है कि, पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अप्रैल महीने में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी याचिका में मांग की थी कि वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों का उपयोग ईवीएम के माध्यम से डाले गए वोटों का 100 फीसदी सत्यापन किया जाए। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। तब तत्कालीन पीठ में मौजूद रहे जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि चुनावी प्रक्रिया पर अंधाधुंध सवाल उठाने से अनुचित संदेह पैदा हो सकता है।
तब चुनाव आयोग ने भी मामले पर कहा था कि मौजूदा मतगणना प्रणाली में ईवीएम और वीवीपीएटी का उपयोग शामिल है। यह पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से चुनाव कराने में सक्षम है। आयोग ने उस वक्त जानकारी दी थी कि हरेक विधानसभा क्षेत्र में किसी भी पांच मतदान केंद्रों से वीवीपीएटी पर्चियों को रैंडमली सत्यापित करने का मौजूदा प्रोटोकॉल पारदर्शी है।
Created On :   7 April 2025 7:08 PM IST