वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: नए कानून पर हो रही हिंसा को लेकर जताई चिंता,रोक लगाने से भी किया इनकार, केंद्र से पूछे तीखे सवाल

नए कानून पर हो रही हिंसा को लेकर जताई चिंता,रोक लगाने से भी किया इनकार, केंद्र से पूछे तीखे सवाल
  • सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर हुई सुनवाई
  • सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने की सुनवाई
  • गुरुवार दोपहर 2 बजे से दोबारा सुनवाई होगी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नए वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार (16 अप्रैल) को सुनवाई की। इस कानून के खिलाफ कोर्ट में 100 से भी अधिका याचिकाएं लगाई गई हैं। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से कई कड़े सवाल भी पूछे, लेकिन कानून के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाई। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कानून के विरोध में देशभर के अलग-अलग शहरों में हो रही हिंसा पर परेशान व्यक्त की। सुप्रीम कोर्ट ने आज इस मामले पर कोई आदेश जारी नहीं किया है। कल यानी गुरुवार (17 अप्रैल 2025) दोपहर 2 बजे दोबारा सुनवाई होगी।

बता दें कि इस मामले पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच सुनवाई कर रही है। वहीं केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पैरवी कर रहे हैं। वहीं, कानून के विरोध में कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी और सीयू सिंह कोर्ट के सामने दलीलें रख रहे हैं। अपीलकर्ताओं की तरफ से अब तक की सुनवाई में वक्फ बोर्ड के निर्माण, वक्फ की पुरानी संपत्तियों के पंजीकरण, बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री और विवादों के निपटारे को लेकर मुख्य दलील दीं गई।

आज तक की खबर के मुताबिक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से वक्फ बाय यूजर की संपत्तियों को लेकर कड़े सवाल किए। सीजेआई ने साफ शब्दों में कहा कि यदि इन संपत्तियों को डिनोटिफाई किया गया। तो यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता से पूछा कि आप अब भी मेरे सवाल का जवाब नहीं दे रहे हैं, क्या वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी जाएगी या नहीं? इस पर मेहता ने जवाब दिया कि अगर संपत्ति रजिस्टर्ड है, तो वक्फ मानी जाएगी। इस पर CJI ने तीखा रुख अपनाते हुए कहा कि ये तो पहले से स्थापित व्यवस्था को पलटना होगा। अगर आप वक्फ बाय यूजर संपत्तियों को डिनोटिफाई करने जा रहे हैं, तो यह एक गंभीर मुद्दा होगा।

उन्होंने आगे कहा कि मैंने प्रिवी काउंसिल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक के कई फैसले पढ़े हैं, जिनमें वक्फ बाय यूजर को मान्यता दी गई है। आप ये नहीं कह सकते कि सभी ऐसी संपत्तियां फर्जी हैं. इस पर एसजी तुषार मेहता ने तर्क दिया कि कई मुसलमान वक्फ बोर्ड के माध्यम से संपत्ति दान नहीं करना चाहते, इसलिए वे ट्रस्ट बनाते हैं। वहीं, CJI ने पूछा कि ऐसी कई संपत्तियां हैं जो वक्फ बाय यूजर के तौर पर रजिस्टर्ड नहीं हैं, लेकिन लंबे समय से उनका धार्मिक उपयोग हो रहा है। आप उन्हें कैसे मान्यता नहीं देंगे?

वहीं कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानून के सपोर्ट में दलील दी कि वक्फ संशोधन बिल पर विमर्श के लिए जेपीसी का गठन किया गया था, इसके लिए 38 मीटिंग की गईं। 92 लाख ज्ञापनों की जांच की गई। बिल लोकसभा और राज्यसभा से पास हुआ, इसके बाद बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगी।

कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर तर्क देते हुए अपीलकर्ता कपिल सिब्बल ने कहा ' हम उस प्रावधान को चुनौती देते हैं, जिसमें कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ बना सकते हैं। सरकार कैसे कह सकती है कि केवल वे लोग ही वक्फ बना सकते हैं जो पिछले 5 सालों से इस्लाम को मान रहे हैं? इतना ही नहीं राज्य कैसे तय कर सकता है कि मैं मुसलमान हूं या नहीं और इसलिए वक्फ बनाने के योग्य हूं?'

भास्कर डॉट कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक, पुरानी वक्फ संपत्तियों के रजिस्ट्रेशन पर सिब्बल ने कहा, यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है। अब ये 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे। यहां समस्या है। इस पर केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन हमेशा अनिवार्य रहेगा। 1995 के कानून में भी ये जरूरी था। सिब्बल साहब कह रहे हैं कि मुतवल्ली को जेल जाना पड़ेगा। अगर वक्फ का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ तो वह जेल जाएगा। यह 1995 से है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें है, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। सीजेआई ने केंद्र से पूछा कि ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर करेंगे। उनके पास क्या दस्तावेज होंगे? वक्फ बाई यूजर मान्य किया गया है, अगर आप इसे खत्म करते हैं तो समस्या होगी।

बोर्ड में गैर मुस्लिम के होने को लेकर सिब्बल ने कहा, 'केवल मुस्लिम ही बोर्ड का हिस्सा हो सकते थे। अब हिंदू भी इसका हिस्सा होंगे। यह अधिकारों का हनन है। आर्टिकल 26 कहता है कि सभी मेंबर्स मुस्लिम होंगे। यहां 22 में से 10 मुस्लिम हैं। अब कानून लागू होने के बाद से बिना वक्फ डीड के कोई वक्फ नहीं बनाया जा सकता है।

इस पर चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, इसमें क्या समस्या है? उन्होंने कहा, 'हमें उदाहरण दीजिए। क्या तिरुपति बोर्ड में भी गैर-हिंदू हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह मुसलमानों को हिंदू धार्मिक ट्रस्टों का हिस्सा बनने की अनुमति देने को तैयार है। हिंदुओं के दान कानून के मुताबिक, कोई भी बाहरी बोर्ड का हिस्सा नहीं हो सकता है। वक्फ प्रॉपर्टी है या नहीं है, इसका फैसला अदालत को क्यों नहीं करने देते।

Created On :   16 April 2025 5:16 PM IST

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