बयान: उर्मिला ने रोलट एक्ट से की नागरिकता कानून की तुलना, कहा- इतिहास के काले कानूनों में होगा दर्ज
- CAA को गरीब और मुस्लिम विरोधी बताया
- उर्मिला ने CAA की रोलट एक्ट से तुलना की
डिजिटल डेस्क, मुंबई। देशभर में नागरिकता संशोधन एक्ट (CAA) के खिलाफ चल रहे विरोध के बीच बॉलीवुड एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर ने CAA तुलना अंग्रेजों के रोलेट एक्ट से की है। उनका कहना है कि इतिहास में CAA को एक काले कानून तौर पर रिकॉर्ड किया जाएगा। बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि कोई बॉलीवुड सेलिब्रिटी ने CAA का विरोध किया हो या इसके खिलाफ कोई विवादित बयान दिया हो। उर्मिला से पहले फरहान अख्तर, स्वरा भास्कर, विशाल ददलानी, दिया मिर्जा समेत कई एक्टर्स इस एक्ट के खिलाफ तिखी प्रतिक्रिया दे चुके हैं।
#WATCH Urmila Matondkar:After end of WW II in 1919, British knew unrest was spreading in Indiathat may rise after war was over. So, they brought a law commonly known as Rowlatt Act. That 1919 lawCitizenship (Amendment)Act of 2019 will be recorded as black laws in history(30.1) https://t.co/tIoLS2HTh7 pic.twitter.com/rmmnb52Kk4
— ANI (@ANI) January 31, 2020
उर्मिला मातोंडकर ने गुरुवार को महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित एक प्रोग्राम के दौरान कहा कि "1919 में सेकेंड वर्ल्डवार (WW-2) के खत्म होने बाद ब्रिटिश को यह मालूम था कि भारत में अशांति फैल रही है और युद्ध के बाद और बढ़ सकती है। इसी कारण ब्रिटिशों ने एक कानून लाया, जिसे रोलेट एक्ट के नाम से जाना जाता है।" उन्होंने आगे कहा कि "इतिहास में रोलेट एक्ट और CAA को काले कानूनों के रूप में दर्ज किया जाएगा।" उन्होंने यह भी बताया कि रोलेट एक्ट में सरकार को देश विरोधी गतिविधियां करने पर किसी भी शख्स को सबूत के बिना और पूछताछ किए बिना जेल में डालने का प्रावधान था।
मुस्लिम और गरीबों के खिलाफ CAA
उर्मिला ने CAA और रोलेट एक्ट को एकसमान बताते हुए कहा कि "मैंने 1919 का वक्त देखा तो नहीं, लेकिन पढ़ा जरूर है और आज की गतिविधियां मुझे उस दौर की याद दिलाती हैं। जिन प्रकार से आज लोग सड़कों पर उतर रहे हैं (CAA के विरोध में), इसी तरह लोग उस समय सड़क पर उतरे थे।" उन्होंने बताया कि CAA, गरीब व्यक्तियों और मुस्लिमों के खिलाफ है। उन्होंने आगे कहा कि "85 फीसदी हिंदुओं को 15 फीसदी मुस्लिमों का डर बताकर अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।"
उर्मिला ने दिए गलत तथ्य
अपने संबोधन के दौरान द्वितीय विश्वयुद्ध (WW-2) के खत्म होने का समय 1919 बताया, जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध 1919 में नहीं बल्कि 1945 में खत्म हुआ था। बता दें कि प्रथम विश्व युद्ध का समय 28 जुलाई 1914 से 11 नवंबर 1918 तक था, जबकि द्वितीय विश्वयुद्ध 1 सितंबर से 1939 से 2 सितंबर 1945 तक चला था।
Created On :   31 Jan 2020 12:34 PM IST