वार-पलटवार!: निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए बयान पर जयराम रमेश ने दी प्रतिक्रिया, कहा- SC को कमजोर करने की कोशिश जारी

- निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए बयान पर सियासत तेज
- धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार- निशिकांत
- निशिकांत दास के सुप्रीम कोर्ट पर विवादित बोल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट पर दिए बयान पर कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता ने कहा, "वे सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। संवैधानिक पदाधिकारी, मंत्री, भाजपा सांसद सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट एक ही बात कह रहा है कि जब कोई कानून बनता है तो आपको संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ नहीं जाना चाहिए और अगर कानून संविधान के खिलाफ है तो हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे। जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि इलेक्टोरल बॉन्ड जैसे कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने जो किया है वो असंवैधानिक है।"
इससे पहले बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि अगर कानून बनाना सुप्रीम कोर्ट का ही काम है, तो फिर संसद भवन को बंद कर दिया जाना चाहिए। बता दें कि, वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चर्चा जारी है।
निशिकांत दास के सुप्रीम कोर्ट पर विवादित बोल
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, "देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार है। सुप्रीम कोर्ट अपनी सीमा से बाहर जा रहा है। अगर हर बात के लिए सुप्रीम कोर्ट जाना है, तो संसद और विधानसभा का कोई मतलब नहीं है, इसे बंद कर देना चाहिए।"
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, "आप अपॉइंटिंग अथॉरिटी को निर्देश कैसे दे सकते हैं? राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करते हैं। संसद इस देश का कानून बनाती है। आपने नया कानून कैसे बनाया? किस कानून में लिखा है कि राष्ट्रपति को तीन महीने के भीतर फैसला करना है? इसका मतलब है कि आप इस देश को अराजकता की ओर ले जाना चाहते हैं। जब संसद बैठेगी तो इस पर विस्तृत चर्चा होगी।"
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट में वक्फ एक्ट में हुए संशोधनों के खिलाफ चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है। इस बीच बीजेपी नेता निशिकांत दुबे का बयान आना हर किसी को चौंकाने का काम कर रहा है। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक, इस संशोधित कानून के तहत 'वक्फ बाय यूजर' जैसी धाराएं और गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल करने का प्रावधान संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
सुप्रीम कोर्ट को वक्फ मामले पर सरकार को देना होगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा। सरकार ने अदालत को भरोसा दिलाया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड या परिसद में किसी गैर-मुस्लिम की नियुक्ति नहीं होगी। पहले से नोटिफाइड वक्फ संपत्तियों को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा। साथ ही, जिलाधिकारियों को भी आदेश दिया गया है। वे इन संपत्तियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं करें।
कोर्ट ने सरकार से एक हफ्ते के भीतर स्पष्ट जवाब देने को कहा है। साथ ही, मामले से संबंधित दस्तावेज दाखिल करने को कहा है। पूरे मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। यह सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच कर रही है। बुधवार और गुरुवार को लगातार दो दिनों तक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अदालत ने वक्फ एक्ट की कुछ धाराओं पर गहरी चिंता जताई है। अदालत ने कहा कि वह संशोधित कानून की कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगाने पर विचार कर सकती है।
Created On :   19 April 2025 10:57 PM IST