मिराज फाइटर प्लेन उड़ाने पायलट को लेनी पड़ती है कड़ी ट्रेनिंग
- अक्टूबर 1969 में हुई थी अकादमी की स्थापना
- भारत की सेना ने दिया पुलवामा का जवाब
- भारत के 12 मिराज 2000 ने पाकिस्तान में की एयर स्ट्राइक
डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। पाकिस्तान के बालकोट में आतंकियों के ठिकानों पर हमला करने वाले लड़ालू विमान मिराज के पायलट्स को शुरुआती ट्रेनिंग डुंडीगुल एयर फोर्स अकैडमी में दी गई थी।
पायलट्स ने बतौर फ्लाइट कैडेट पहले फ्लाइंग कोर्स किया, उसके बाद फाइटर ट्रेनिंग विंग से फ्लाइंग कोर्स किया। उन्होंने अपनी बेसिक और एप्लाइड ट्रेनिंग तेलांगना में स्थित हैदराबाद के एयरफोर्स स्टेशन डुंडीगुल से ली। बता दें, भारत ने पुलवामा आतंकी हमले का मुंह तोड़ जवाब दिया है। भारतीय सेना ने मंगलवार तड़के 3:30 बजे एयर स्ट्राइक की। जिसमें पाक के बालकोट शहर में आतंकी ठिकानों को 21 मिनट में उड़ा डाला। एयर स्ट्राइक में 12 मिराज 2000 का इस्तेमाल किया गया था।
फाइटर पायलट्स डुंडीगुल अकैडमी में लेते है ट्रेनिंग
वायुसेना के बहतरीन फाइटर पायलट्स डुंडीगुल एकैडमी से ट्रेनिंग लेते है। अकैडमी की स्थापना अक्टूबर 1969 में हुई थी। वायुसेना असोसिएशन के रिटायर्ड विंग कमांडर टीजे रेड्डी ने बताया है कि " भारतीय वायुसेना से कमीशन किए गए सभी फाइटर पायलट डुंडीगुल एयरफोर्स से पास आउट होते हैं। पहले हाकिमपेट और डुंडीगुल में बेसिक और अप्लाइड ट्रेनिंग दी जाती है। वहीं अधमपुर और पठानकोर्ट में मिराज के फाइटर पायलट्स को ऑपरेशनल ट्रेनिंग दी जाती है।"
3 चरणों में दी जाती है ट्रेनिंग
बता दें, यह एयरफोर्स अकैडमी 7000 एकड़ में फैली है। जहां तीन चरणों में बेसिक और अप्लाइड प्रशिक्षण दी जाती है। प्री-फ्लाइंग ट्रेनिंग 6 महीने तक चलती है। इसके बाद स्टेज-1 में सिम्यूलेटर और ड्यूअल फ्लाइंल और फिर स्टेज-2 जहां किरन मार्क-1 और किरण मार्क-2 फाइटर ट्रेनिंग दी जाती है। क्लोज फॉर्मेशन और नाइट फ्लाइंग अगले चरण में सिखाए जाते हैं।
Created On :   28 Feb 2019 12:09 AM IST