रिटायर्ड सैनिक को किया था विदेशी घोषित, SC ने निष्पक्ष सुनवाई के दिए आदेश

SC told NRC coordinator to ensure fair hearing without cutting short the process
रिटायर्ड सैनिक को किया था विदेशी घोषित, SC ने निष्पक्ष सुनवाई के दिए आदेश
रिटायर्ड सैनिक को किया था विदेशी घोषित, SC ने निष्पक्ष सुनवाई के दिए आदेश

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। असम के एक रिटायर्ड सैनिक, जो 30 साल से सेना में सेवा दे रहे थे, को राज्य पुलिस ने विदेशी घोषित कर दिया था। इस मामले के सामने आने के एक दिन बाद गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिज़न्स (NRC) के समन्वयक प्रतीक हजेला को निष्पक्ष सुनवाई सुनिश्चित करने का आदेश दिया। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने ये भी साफ तौर पर कहा कि 31 जुलाई की डेडलाइन को पूरा करने के चक्कर में प्रक्रिया को छोटी करने की कोशिश न की जाए।

सुप्रीम कोर्ट का यह ऑबजर्वेशन भारतीय सेना में रहकर 32 साल तक देश की सेवा करने वाले मोहम्मद सनाउल्लाह को "विदेशी" करार देने और पुलिस कस्टडी में लेने के बाद आया है। सनाउल्लाह को इसके बाद डिटेंशन कैंप भेज दिया गया था। सनाउल्ल्लाह अगस्त 2017 में भारतीय सेना के इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स (ईएमई) के साथ सूबेदार के रूप में रिटायर हुए थे। दो दशक पहले उन्होंने कारगिल युद्ध भी लड़ा था। सनाउल्लाह को विदेशियों के लिए बने ट्रिब्यूनल ने विदेशी घोषित किया है।

सनाउल्लाह को इस वर्ष 23 मई को फॉरेन ट्रिब्यूनल (एफटी) नंबर 2 कामरूप (ग्रामीण) ने विदेशी घोषित किया था। उनके परिवार के सदस्य और वकील बताते हैं कि सनाउल्लाह की भारतीय नागरिकता उनके पूर्वजों के दस्तावेजों और भारतीय सेना के साथ उनके रोज़गार से आसानी से साबित की जा सकती है। सनाउल्ला वर्तमान में असम पुलिस की बॉर्डर विंग में उप-निरीक्षक के पद पर कार्यरत है। बॉर्डर विंग पुलिस की एक ऐसी विशेष विंग है जो राज्य में अवैध प्रवासियों का पता लगाने से संबंधित है।

बता दें कि देश में असम अकेला ऐसा राज्य है, जहां सिटिजनशिप रजिस्टर की व्यवस्था है। ये कानून देश में लागू नागरिकता कानून से अलग है। असम समझौता साल 1985 से ही लागू है और इस समझौते के तहत 24 मार्च 1971 की आधी रात तक असम में दाखिल होने वाले लोगों को ही भारतीय माना जाएगा। नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के मुताबिक, जिस व्यक्ति की सिटिजनशिप रजिस्टर में नहीं होती है, उसे अवैध नागरिक माना जाता है। इसे 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इसमें यहां के हर गांव के हर घर में रहने वाले लोगों के नाम और संख्या दर्ज की गई है।

Created On :   30 May 2019 5:44 PM IST

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