भारत को भी चीन की तरह करना पड़ सकता है बिजली संकट का सामना, जानिए क्या है वजह ?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्या भारत में बत्ती गुल होगी ? क्या भारत चीन की तरह बिजली संकट झेलने के लिए तैयार है ? आखिर किन कारणों से आज हमारे देश के सामने पावर क्राइसिस आ गया है। दरअसल देश के 137 में से 72 पावर प्लांट्स के पास 3 दिन का कोयला है ! 50 पावर प्लांट्स के पास 4 से 10 दिन का कोयला है ! देश भर के प्रमुख संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति निम्न स्तर पर है। यानी आने वाले महीनों में चीन की ही तरह देश को बिजली की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (CEA) के नवीनतम आंकड़ों के बताते हैं कि देश थर्मल प्लांटों में कोयले के भंडार की अभूतपूर्व कमी का सामना कर रहा है, जिससे बिजली संकट पैदा हो सकता है। 5 अक्टूबर को बिजली उत्पादन के लिए कोयले का उपयोग करने वाले 135 थर्मल प्लांट में से 107 क्रिटिकल या सुपरक्रिटिकल स्टेज में थे। यानी उनके पास अगले 6-7 दिनों के लिए ही स्टॉक था। जोकि अब खत्म होने वाला है।
चीन के बाद भारत दुनिया में कोयले का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। भारत के बिजली उत्पादन में कोयले की हिस्सेदारी 70% से अधिक है, और लगभग तीन-चौथाई जीवाश्म ईंधन का घरेलू स्तर पर खनन किया जाता है। CEA के डेटा के अनुसार, कुल पावर स्टेशनों में से 17 के पास शून्य मात्रा में स्टॉक था, जबकि उनमें से 21 के पास 1 दिन का स्टॉक था। 16 पावर स्टेशनों के पास 2 दिन का कोल स्टॉक था और 18 के पास 3 दिन का कोयला स्टॉक बचा था। कुल 135 संयंत्रों में से 107 में 1 सप्ताह से अधिक समय तक स्टॉक नहीं था।
चीन में बत्ती गुल
चीन में बिजली का संकट अब बढ़ता ही जा रहा है। हालात ऐसे हो चुके हैं कि यहां फैक्ट्रियां, मॉल, दुकानें बंद करनी पड़ी हैं। उत्पादन ठप होने से जरूरी वस्तुओं की कमी भी देखी जा रही है। बिजली की कमी के कारण एप्पल, टेस्ला जैसी बड़ी कंपनियों को भी अपने उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है। कोयले की कमी को पूरा करने के लिए चीन अब विदेश से तेजी से आयात करने पर जोर दे रहा है।
ये चार कारण भी महत्वपूर्ण
- अर्थव्यवस्था में सुधार आते ही बिजली की मांग बढ़ गई है
- मॉनसून की शुरुआत से पहले कोयले का स्टॉक न रखना
- विदेशों से आने वाले कोयले की कीमतें बढ़ीं। इससे घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ गई
- कोयले की खदान के आसपास ज्यादा बारिश होने की वजह से सितंबर महीने में उत्पादन प्रभावित हुआ है
बिजली संकट के लिए क्या कर रही है केन्द्र सरकार
कोयले के स्टॉक पर नजर रखने के लिए भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय ने 27 अगस्त को एक कोर मैनेजमेंट टीम का गठन किया है। ये टीम हफ्ते में दो बार कोल स्टॉक की निगरानी और प्रबंधन का काम देखती है। इस कमेटी में ऊर्जा मंत्रालय, सीईओ, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड के अधिकारी हैं। केंद्र ने कैप्टिव माइन्स से कोयले की 50 प्रतिशत बिक्री की अनुमति देने के लिए नियमों में संशोधन किया हैं। यह निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कैप्टिव माइन्स दोनों पर लागू होगा। इस संशोधन के साथ, सरकार ने कैप्टिव कोल और लिग्नाइट ब्लॉकों की खनन क्षमताओं का अधिक उपयोग करके बाजार में अतिरिक्त कोयले को जारी करने का मार्ग प्रशस्त किया है। इससे बिजली संयंत्रों पर दबाव कम होगा।
केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह का आश्वासन
बीते रविवार को केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने आश्वासन दिया कि आगे भी कोयले की आपूर्ति बनी रहेगी। उन्होंने कहा, मैंने भारतीय गैस प्राधिकरण लिमिटेड से देश भर के बिजली स्टेशनों को आवश्यक मात्रा में गैस की आपूर्ति जारी रखने के लिए कहा है। उन्होंने मुझे आश्वासन दिया है कि आपूर्ति जारी रहेगी। न तो पहले गैस की कमी थी और न ही भविष्य में होगी। कोयला मंत्रालय ने कहा कि देश में पर्याप्त कोयले का भंडार है और कम इन्वेंट्री का मतलब यह नहीं है कि बिजली उत्पादन बंद हो जाएगा क्योंकि स्टॉक की लगातार भरपाई की जा रही है।
कोयला और नेचुरल गैस की सप्लाई में कमी आना
कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के जाने के बाद आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आई है और बिजली की मांग में भी महत्वपूर्ण उछाल देखा जा रहा है। इससे कोयले और लिक्विफाइड नेचुरल गैस की सप्लाई में भारी कमी आई है। क्वार्ट्ज इंडिया ने कोल मार्केटिंग कंपनी इमान रिसोर्सेज के सीनियर ट्रेडर वासुदेव पमनानी के हवाले से लिखा, कोविड के बाद, किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि अर्थव्यवस्था इतनी जल्दी यू-टर्न ले लेगी। लोगों को उम्मीद थी कि इकोनॉमी को रिकवर होने में 2-3 साल लगेंगे।
पावर जनरेशन फ्यूल की विश्वस्तर पर डिमांड तेजी से बढ़ी
इकोनॉमी के खुलने के साथ ही पावर जनरेशन फ्यूल की ग्लोबल डिमांड तेजी से बढ़ी है। प्रमुख कोयला उत्पादक देश मांग के अनुरूप सप्लाई बढ़ाने में विफल रहे हैं। ऐसे में पावर जनरेशन फ्यूल कोल और नेचुरल गैस में ग्लोबल लेवल पर कीमतों में वृद्धि देखी जा रही है। हाल के दिनों में एशिया के कोल प्राइज बेंचमार्क रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गए। चीन के बिजली संकट से भी पावन जनरेशन फ्यूल की ग्लोबल डिमांड बढ़ी है। वैश्विक बाजारों में उच्च कीमतों के कारण भारत घरेलू बाजार की मांग को पूरा करने के लिए कोयले का आयात नहीं कर पा रहा है। भारत कोयले का दूसरा सबसे बड़ा इंपोर्टर है।
कोयला भंडार वाले शीर्ष तीन राज्य
भारत के पास विश्व स्तर पर चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है। भारत में उच्चतम कोयला भंडार वाले शीर्ष तीन राज्य झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़ हैं, जो देश के कुल कोयला भंडार के लगभग 70 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं। कोयला मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल कोयले का अधिकांश हिस्सा बिजली उत्पादन के लिए खपत होता है। भारत का 80% से अधिक कोयला उत्पादन कोल इंडिया करती है।
अन्य देश भी कर रहे संकट का सामना
आपूर्ति संकट का सामना न केवल भारत बल्कि चीन और यूरोप को भी करना पड़ रहा है। वर्ल्ड लेवल पर कोयले का सबसे प्रमुख उपभोक्ता चीन है जो कोयले और बिजली दोनों की भारी कमी का सामना कर रहा है। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली कटौती और ब्लैकआउट देखा गया। कई फैक्ट्रियों ने भी प्रोडक्शन अस्थायी रूप से बंद कर दिया। नतीजतन, फरवरी 2020 के बाद पहली बार सितंबर में फैक्ट्री एक्टिविटी अप्रत्याशित रूप से सिकुड़ गई। इसी तरह, यूरोपियन यूनियन में ऊर्जा की लागत आसमान को छू रही है।
बड़े पैमाने पर बिजली कटौती नहीं हुई
भारत में अभी तक बड़े पैमाने पर बिजली कटौती नहीं हुई है। ग्रिड रेगुलेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि कमी अब तक ज्यादातर उत्तरी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख तक ही सीमित रही है। इमान रिसोर्सेज के सीनियर ट्रेडर वासुदेव पमनानी ने कहा, मुझे लगता है, बिजली की राशनिंग अनौपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है। जो क्षेत्र आयातित कोयला बिजली उत्पादन संयंत्रों पर निर्भर हैं, उन्हें बिजली की कटौती का सामना करना पड़ेगा। टाटा पावर, अडानी पावर, जेएसडब्ल्यू और ऐसे अन्य बिजली स्टेशन उत्पादन में कटौती कर रहे हैं।
इन राज्यों को बिजली कटौती का सामना नहीं करना पड़ेगा
वासुदेव पमनानी के अनुसार, कोयले के विशाल भंडार वाले भारतीय राज्य और भारत के वाणिज्यिक कोयला-खनन उद्योग - मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को बिजली की कमी का सामना नहीं करना पड़ सकता है। भारत में ठंड में आवासीय बिजली की मांग भी कम हो जाती है। इसके विपरीत चीन में कड़ाके की ठंड में बिजली की मांग बढ़ जाती है। विश्लेषकों का मानना है कि अगले छह महीने भारत के बिजली उद्योग के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में कोयले की कमी के कारण 13 थर्मल पावर प्लांट बंद हो चुके हैं। महाराष्ट्र राज्य विद्युत नियामक आयोग ने आम लोगों से पीक आवर्स के दौरान बिजली का कम से कम उपयोग करने की अपील की।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का दावा है कि एमपी अच्छी स्थिति में है। राज्य सरकार ने अपने बिजली स्टेशनों के लिए आठ मीट्रिक टन कोयले की खरीद के लिए निविदाएं जारी की हैं। तोमर ने कहा, संकट राष्ट्रीय स्तर पर है और मध्य प्रदेश इस स्थिति में बेहतर स्थिति में है।
दिल्ली
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते शनिवार को कहा था कि दिल्ली को कोयले की कमी के कारण बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया ताकि कोयले और गैस को बिजली की आपूर्ति करने वाले संयंत्रों में बदल दिया जा सके।
केरल
केरल के ऊर्जा मंत्री के कृष्णनकुट्टी ने कहा कि राज्य सरकार को थर्मल पावर प्लांटों के लिए कोयले नहीं मिल रहा है। लिहाजा हमें लोड-शेडिंग का सहारा लेना पड़ सकता है।
पंजाब
पंजाब में तीन थर्मल पावर प्लांटों को बंद करने के लिए मजबूर किया गया है और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र से राज्य को कोयले की आपूर्ति बढ़ाने का अनुरोध किया है। कृषि प्रधान राज्य के थर्मल पावर प्लांट वर्तमान में केवल 2,800 मेगावाट ही उत्पादन कर पा रहे हैं। जबकि यहां 5,620 मेगावाट की आवश्यकता है।
कर्नाटक
कर्नाटक राज्य में कोयले की कमी के कारण बिजली संकट बढ़ने लगा है। राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई केन्द्र सरकार से मदद मांगी है। उन्होंने राज्य के लिए कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए पत्र लिखा है। बसवराज ने कहा, मैं पहले ही कह चुका हूं कि हमने केंद्र से कोयले की आपूर्ति चार रैक बढ़ाने का अनुरोध किया है।
भारत के साथ दुनिया के कई देश भी कर रहे संकट का सामना
आपूर्ति संकट का सामना न केवल भारत बल्कि चीन और यूरोप को भी करना पड़ रहा है। वर्ल्ड लेवल पर कोयले का सबसे प्रमुख उपभोक्ता चीन है जो कोयले और बिजली दोनों की भारी कमी का सामना कर रहा है। अधिकांश क्षेत्रों में बिजली कटौती और ब्लैकआउट देखा गया। कई फैक्ट्रियों ने भी प्रोडक्शन अस्थायी रूप से बंद कर दिया। नतीजतन, फरवरी 2020 के बाद पहली बार सितंबर में फैक्ट्री एक्टिविटी अप्रत्याशित रूप से सिकुड़ गई। इसी तरह, यूरोपियन यूनियन में ऊर्जा की लागत आसमान को छू रही है।
बड़े पैमाने पर बिजली कटौती नहीं हुई
भारत में अभी तक बड़े पैमाने पर बिजली कटौती नहीं हुई है। ग्रिड रेगुलेटर पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन के आंकड़ों से पता चलता है कि कमी अब तक ज्यादातर उत्तरी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और लद्दाख तक ही सीमित रही है। इमान रिसोर्सेज के सीनियर ट्रेडर वासुदेव पमनानी ने कहा, मुझे लगता है, बिजली की राशनिंग अनौपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है। जो क्षेत्र आयातित कोयला बिजली उत्पादन संयंत्रों पर निर्भर हैं, उन्हें बिजली की कटौती का सामना करना पड़ेगा। टाटा पावर, अडानी पावर, जेएसडब्ल्यू और ऐसे अन्य बिजली स्टेशन उत्पादन में कटौती कर रहे हैं।
Created On :   11 Oct 2021 9:05 AM IST