पीएफआई ने की कर्नाटक सीरियल मर्डर की निष्पक्ष जांच की मांग

PFI demands fair probe into Karnataka serial murder
पीएफआई ने की कर्नाटक सीरियल मर्डर की निष्पक्ष जांच की मांग
कर्नाटक पीएफआई ने की कर्नाटक सीरियल मर्डर की निष्पक्ष जांच की मांग
हाईलाइट
  • हत्या के मामलों की जांच करना पुलिस विभाग का दायित्व

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राज्य कार्यकारी समिति ने गुरुवार को कर्नाटक के तटीय जिलों में हुई सिलसिलेवार हत्याओं की निष्पक्ष जांच की मांग की। पीएफआई के एक बयान में कहा गया है कि हाल ही में 10 दिनों के भीतर तटीय कर्नाटक में 3 युवकों की हत्या कर दी गई। तीनों हत्याकांडों को समान महत्व देकर गंभीरता से लेने वाली भाजपा सरकार इस मामले में विफल रही है।

बयान में कहा गया है कि भाजपा इसके बजाय अपने पार्टी कार्यकर्ता की हत्या पर अत्यधिक ध्यान दे रही है। पीएफआई के बयान में आरोप लगाया गया है कि हालांकि राज्य में हत्या के मामलों की जांच करना पुलिस विभाग का दायित्व है, लेकिन तीन हत्याओं में से यह घोषणा की गई है कि प्रवीण की हत्या की जांच एनआईए को सौंपी जाएगी, जिसका एकमात्र कारण यही है कि वह भाजपा का कार्यकर्ता था।

इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार की सख्त कानूनों के तहत मुस्लिम समुदाय के मासूम युवाओं को शिकार बनाने की दुर्भावनापूर्ण मंशा इससे जाहिर होती है। इसलिए, पॉपुलर फ्रंट की राज्य कार्यकारी समिति ने मांग की है कि राज्य सरकार को अपने भेदभावपूर्ण रवैये को छोड़ देना चाहिए और तीनों मामलों में समान और निष्पक्ष जांच की सुविधा प्रदान करनी चाहिए।

बयान में कहा गया है कि हत्याओं के बारे में मीडिया के एक वर्ग द्वारा प्रसारित की जा रही अपमानजनक खबर लोगों को भावनात्मक रूप से उत्तेजित कर रही है। इसके अलावा, इस प्रकार का मीडिया नैरेटिव युवाओं मेंप्रतिशोध की मानसिकता पैदा कर रहा है। इसमें कहा गया है कि हत्या के मामलों की पुलिस जांच जारी है और इसी बीच मीडिया मुस्लिम समुदाय और पीएफआई जैसे संगठनों के खिलाफ बदमान करने वाले अभियान में सक्रिय रूप से शामिल है।

आरोप लगाया गया है कि मीडिया का ऐसा व्यवहार न केवल स्वस्थ समाज के लिए हानिकारक है, बल्कि पत्रकारिता की नैतिकता के भी विरुद्ध है। इस संबंध में कार्यकारिणी समिति की मांग है कि मीडिया को इस तरह के निंदनीय अभियानों को रोकना चाहिए और जिले में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाना चाहिए।

बयान में कहा गया है कि तीनों पीड़ित गरीब परिवार के थे। इस संबंध में सभी प्रभावित परिवारों को समान मुआवजा प्रदान करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है, लेकिन मुख्यमंत्री बोम्मई, जिन्होंने प्रवीण के घर का दौरा किया और मुआवजे के रूप में 25 लाख रुपये दिए, उसी गांव में मसूद के आवास पर नहीं गए और न ही उन्होंने उनके परिवार के लिए किसी भी मुआवजे की घोषणा की।

पीएफआई ने कहा कि इसी तरह, न तो सरकारी प्रतिनिधि और न ही लोगों के प्रतिनिधि फाजिल के परिवार से मिलने गए और उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। केरल के एक प्रवासी वर्कर मसूद, भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष प्रवीण कुमार नेट्टारे और दक्षिण कन्नड़ जिले के मंगलपेट के दिहाड़ी मजदूर मोहम्मद फाजिल की हत्याओं ने सांप्रदायिक विभाजन और सांप्रदायिक ताकतों द्वारा लक्षित हत्याओं पर एक बहस को प्रज्वलित किया है।

जांच में पता चला है कि मसूद की हत्या रोड रेज के एक मामले में हुई थी और पुलिस ने 24 घंटे के भीतर सभी 8 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इसके अलावा पता चला है कि हलाल मांस पर प्रतिबंध के लिए प्रचार करने के लिए प्रवीण की हत्या कर दी गई और प्रवीण की हत्या के प्रतिशोध में फाजिल की हत्या कर दी गई। पुलिस ने फाजिल मामले के सभी मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

आरोप लगाया गया है कि सत्तारूढ़ भाजपा सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के लिए पीएफआई और एसडीपीआई पर उंगली उठा रही है। दोनों संगठनों ने हत्याओं में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है और भाजपा को अपने आरोप साबित करने की चुनौती दी है।

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   4 Aug 2022 10:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story