बहुविवाह से ज्यादा जरुरी है अयोध्या विवाद, केस बड़ी बेंच में ट्रांसफर हो - मुस्लिम पक्षकार
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को अयोध्या-बाबरी मामले में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है, मुसलमानों के लिए अयोध्या भूमि विवाद का मुद्दा बहुविवाह से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस वजह से मामले को पांच जजों वाली बड़ी बैंच को सौंप दिया जाए। मुस्लिम पक्षकारों की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने ये याचिका दाखिल की है। मामले की अगली सुनवाई 27 अप्रैल को होगी।
दोनो पक्षकारों की दलील के बाद होगा फैसला
राजीव धवन ने कहा, "अयोध्या भूमि विवाद मुसलमानों में बहुविवाह से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण है और पूरा देश इस पर जवाब चाहता है।" सुनवाई पूरी होने के बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि दोनों पक्षकारों की दलील सुनने के बाद यह फैसला लिया जाएगा कि इस मामले को पांच जजों वाली संवैधानिक बेंच के पास भेजा जाए या नहीं। 27 अप्रैल को अब इस मामले की अगली सुनवाई होगी। बता दें कि पिछले महीने सुनवाई के दौरान धवन ने कहा था, "भगवान राम के लाखों साल पहले अयोध्या में जन्म लेने का दावा किया जाता है। वह विवादित जगह पर ही जन्मे थे, उसका क्या प्रमाण है?"
SC ने 32 याचिकाओं को किया था खारिज
गौरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट ने 14 मार्च को राम जन्मभूमि को लेकर हुई सुनवाई में 32 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने साफ-साफ कहा था कि इस मामले को लेकर अब कोर्ट कोई नई याचिका स्वीकार नहीं करेगा। बीजेपी के फायर ब्रांड नेता सुब्रमण्यम स्वामी की भी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट केवल मुख्य पक्षकारों की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच फिलहाल इस मामले की सुनवाई कर रही है।
क्या है पूरा विवाद?
अयोध्या विवाद इस देश का सबसे बड़ा विवाद है, जिस पर राजनीति भी होती रही है और सांप्रदायिक हिंसा भी भड़की है। हिंदू पक्ष ये दावा करता है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है और इस जगह पर पहले राम मंदिर हुआ करता था। जिसे बाबर के सेनापति मीर बांकी ने 1528 में तोड़कर यहां पर मस्जिद बना दी थी। तभी से हिंदू-मुस्लिम के बीच इस जगह को लेकर विवाद चलता रहा है। अयोध्या विवाद ने 1989 के बाद से तूल पकड़ा और 6 दिसंबर 1992 को हिंदू संगठनों ने अयोध्या में राम मंदिर की जगह बनी विवादित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। जिसके बाद ये मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया और अब सुप्रीम कोर्ट में है।
Created On :   6 April 2018 6:36 PM IST