स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी: प्लाज्मा थेरेपी नहीं है कोरोना का इलाज, किया जा रहा शोध
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण की स्थिति को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय के ज्वॉइंट सेक्रेटरी लव अग्रवाल ने बताया, देश में रिकवरी रेट बढ़कर 23.3 फीसदी हो गया है, 17 दिन से 28 जिलों में कोई केस सामने नहीं आया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने प्लाज्मा थेरेपी को लेकर भी चेतावनी दी है। मंत्रालय के मुताबिक, कोरोना के लिए अभी कोई मान्य थेरेपी नहीं है, प्लाज्मा थेरेपी (Plasma therapy) को लेकर प्रयोग चल रहा है।
#WATCH Health Ministry briefing on COVID19 situation (28th April) https://t.co/nFtcFLq0jJ
— ANI (@ANI) April 28, 2020
दरअसल कोरोना संकट के बीच देश में प्लाज्मा थेरेपी चर्चा का विषय बनी हुई है। दावा किया जा रहा था, कोरोना के मरीजों पर इस थेरेपी का असर हो रहा है। मंगलवार को स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह स्पष्ट कर दिया कि, प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना का इलाज नहीं माना जा सकता। इस थेरेपी को लेकर फिलहाल शोध किया जा रहा है और अभी यह दावा करने के पर्याप्त सबूत नहीं हैं कि, प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के तौर पर किया जा सकता है।
Until ICMR concludes its study a robust scientific proof is available, Plasma therapy should be used only for research or trial purpose. If plasma therapy is not used in proper manner under proper guideline then it can also cause life threatening complications: Lav Aggarwal,MHA https://t.co/zz9nBRRztg
— ANI (@ANI) April 28, 2020
प्रेस ब्रीफिंग के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, फिलहाल कोविड -19 के लिए कोई उपचार नहीं हैं और यह दावा करने के लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं हैं कि, कोरोना महामारी के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया जा सकता है।
Plasma therapy isn"t a proven therapy. It"s still in experimental stage, right now ICMR is doing it as an experiment to identifydo additional understanding of this therapy. Till it"s approved no one should use it,it"ll be harmful to patientillegal: Lav Aggarwal, Health Ministry pic.twitter.com/MFjgpWyb25
— ANI (@ANI) April 28, 2020
संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थेरपी कितनी प्रभावी है, इस पर रिसर्च करने के लिए नेशनल लेवल पर एक स्टडी शुरू की है। जब तक जांच पूरी नहीं होती और कोई साइंटफिक प्रूफ नहीं मिल जाता, तब तक प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग केवल अनुसंधान या परीक्षण के उद्देश्य के लिए किया जाना चाहिए।
ICMR ने भी किया आगाह
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने भी इस थेरेपी को लेकर आगाह करते हुए कहा है कि, अभी तक प्लाज्मा थेरपी के बारे में हम किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंचे हैं। कोरोना पीड़ितों को ये इलाज मुहैया कराया जाए यह ठीक नही होगा। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिन भी इसको प्रयोगिक थेरेपी के रूप में देख रहा है।
Currently, there are no approved, definitive therapies for #COVID19. Convalescent plasma is one of the several emerging therapies. However, there is no robust evidence to support it for routine therapy. @US_FDA has also viewed it as an experimental therapy (IND). 1/4
— ICMR (@ICMRDELHI) April 28, 2020
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Created On :   28 April 2020 4:14 PM IST