AMU में जिन्ना की तस्वीर पर बवाल जारी, सुबह हटाई, शाम को फिर लगा दी
डिजिटल डेस्क, अलीगढ़। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर लगे होने पर बवाल जारी है। बुधवार को यूनिवर्सिटी कैंपस के आसपास हिंदूवादी संगठनों के प्रदर्शन के बाद हटाई गई उनकी तस्वीर को एक बार फिर यूनिवर्सिटी में लगा दिया गया है। हालांकि एएमयू प्रशासन का कहना है कि तस्वीर को हटाया ही नहीं गया था, इसे बस साफ-सफाई के लिए कुछ देर उतारा गया था। बता दें कि मो. अली जिन्ना की तस्वीर यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के यूनियन हॉल में लगी हुई है। सन 1938 में यहां जिन्ना को छात्र संघ ने आजीवन सदस्यता प्रदान की थी। तभी से यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर लगी हुई है।
बुधवार को हुआ था बड़ा हंगामा
यूनिवर्सिटी कैंपस में जिन्ना की तस्वीर लगे होने की बात सामने आने पर प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को इसे हटाने की मांग करते हुए जमकर हंगामा मचाया। परिसर के बाहर जिन्ना का पुतला भी फूंका गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और यूनिवर्सिटी छात्रों के बीच झड़पें भी हुई। मामला बढ़ता देख पुलिस को प्रदर्शनकारियों और छात्रों पर लाठीचार्ज लाठी चार्ज करना पड़ा, साथ ही आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इस दौरान एक दर्जन से ज्यादा छात्र और प्रदर्शनकारी घायल हो गए।
यूनिवर्सिटी में बढ़ाई गई सुरक्षा
बुधवार को हुए इस प्रदर्शन के बाद यूनिवर्सिटी कैंपस और उसके बाहर सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी गई है। डीएम सीबी सिंह ने कहा, "हालात नियंत्रण में हैं और फिलहाल कैंपस में शांति है। सुरक्षा व्यवस्था के लिए आरएएफ की दो टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं।" वहीं विश्वविद्यालय के छात्रसंघ भवन पर पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। इस कार्यक्रम में हामिद अंसारी को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय छात्रसंघ का आजीवन मानद सदस्य बनाया जाना था। हामिद अंसारी बिना कार्यक्रम में शामिल हुए वापस दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
BJP सांसद ने तस्वीर हटाने के लिए लिखा था पत्र
BJP सांसद सतीश गौतम और BJP के अन्य नेताओं ने जिन्ना की तस्वीर यूनिवर्सिटी से हटाने की मुहिम छेड़ी है। इसे लेकर सतीश गौतम ने एक पत्र भी लिखा था। सतीश गौतम ने कुलपति को लिखे गए पत्र में कहा था कि अगर विश्विद्यालय में किसी की तस्वीर लगानी ही है तो उन्हें महेंद्र प्रताप जैसे महान व्यक्तियों की तस्वीर लगानी चाहिए, जिन्होंने विश्विद्यालय बनाने के लिए अपनी जमीन दान में दी थी। वहीं विश्वविद्यालय के प्रवक्ता शाफे किदवई ने दशकों से लटकी जिन्ना की तस्वीर का बचाव किया था। किदवई ने तस्वीर लगाने का कारण बताते हुए कहा था कि जिन्ना विश्वविद्यालय के संस्थापक सदस्यों में शामिल थे और उन्हें छात्रसंघ की आजीवन सदस्यता दी गई थी। हालांकि बुधवार को सफाई का हवाला देते हुए जिन्ना की तस्वीर को हटा दिया गया था।
Created On :   3 May 2018 12:21 PM IST