दलितों से शादी के मामले में महाराष्ट्र रहा फिसड्डी , आन्ध्रप्रदेश बना लीडर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में जातियों की बेड़ियां तोड़ने और अंतरजातीय विवाह को प्रोत्साहित करने के मकसद से डॉ आंबेडकर के नाम से शुरू की गई योजना तमाम कोशिशों के बावजूद अपने लक्ष्य को पाने में विफल रही है। डॉ आंबेडकर स्कीम फोर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज नामक इस योजना की हालत यह है कि महाराष्ट्र जैसा प्रगतिशील सूबा भी इस योजना के कार्यान्वयन में फिसड्डी साबित हुआ है।
योजना के तहत यदि कोई दलित से अंतरजातीय विवाह करता है, तो उस नवदंपति को केन्द्र सरकार ढाई लाख रुपए बतौर प्रोत्साहन राशि देती है। देश में हर साल 500 दंपति को इसका फायदा देने का लक्ष्य है, लेकिन पिछले 3 साल के दौरान महज 323 शादियां ही इस योजना के तहत हो पाई हैं, जबकि लक्ष्य 1,500 शादियां कराने का था। केन्द्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के मुताबिक वर्ष 2016-17 के दौरान इस योजना के तहत देश में सिर्फ 67 जोड़े ही शादी के बंधन में बंधे। इसी प्रकार वर्ष 2017-18 व 2018-19 के दौरान ऐसी शादियों की संख्या क्रमश: 136 व 120 रही। मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 22 जुलाई तक पूरे देश में इस योजना के तहत महज 60 शादियां हुई हैं। इसमें अकेले आन्ध्रप्रदेश में 28 शादियां पंजीकृत हुई हैं।
महाराष्ट्र में होनी थी 99 शादियां, हुई सिर्फ 21
दरअसल इस योजना में हर राज्य को वहां की दलित आबादी के हिसाब से ऐसी शादियां कराने का लक्ष्य दिया है। इस हिसाब से उत्तरप्रदेश में ऐसी सबसे ज्यादा 102 शादी कराने का लक्ष्य है तो महाराष्ट्र को 33 शादियां कराने का लक्ष्य दिया गया, लेकिन महाराष्ट्र इस योजना के तहत शादियां कराने में सुस्त रहा है। यहां पिछले तीन साल में ऐसी 99 शादियों का लक्ष्य था, लेकिन हुई सिर्फ 21 शादियां। वर्ष 2016-17 में महाराष्ट्र में ऐसी एक भी शादी पंजीकृत नहीं हुई तो वर्ष 2017-18 में 15 और वर्ष 2018-19 में छह जोड़ी शादियां ही हुई हैं। चालू वित्तीय वर्ष में इस योजना के तहत महाराष्ट्र में अब तक तीन शादी पंंजीकृत हुई है।
लक्ष्य से काफी पीछे है उत्तरप्रदेश
इस मामले में आन्ध्रप्रदेश की स्थिति सबसे अच्छी है। पिछले तीन वर्ष के दौरान आन्ध्रप्रदेश में ऐसी 49 जोड़ी शादियां हुई है जो सबसे ज्यादा है। चालू वित्त वर्ष का आंकड़ा भी जोड़ लें तो यह यह संख्या बढ़कर 77 हो जाती है। आन्ध्रप्रदेश को एक वर्ष में 21 शादियां कराने का लक्ष्य दिया गया है। उत्तरप्रदेश में तीन साल के दौरान दिए गए 306 के लक्ष्य की जगह सिर्फ 22 शादियां ही हुई है। इसी प्रकार मध्यप्रदेश को प्रति वर्ष ऐसी 28 शादियां कराने का लक्ष्य दिया गया है, परंतु पिछले तीन वर्षों के दौरान यहां कुल चार जोड़ी शादियां ही हो पाई है।
क्या है इस योजना की खासियत?
डॉ आंबेडकर स्कीम फॉर सोशल इंटीग्रेशन थ्रू इंटरकास्ट मैरिज योजना की शुरुआत मनमोहन सरकार ने वर्ष 2013 में की थी। इसके तहत हर साल कम-से-कम 500 अंतरजातीय शादियां कराने का लक्ष्य रखा गया। शादी के बाद नवदंपतियों को ढाई लाख रुपए बतौर सहायता राशि दी जाती है। इसके लिए शर्त यह है कि नवदंपति में से कोई भी एक दलित समुदाय का होना चाहिए। इसके साथ ही यह भी कि यह उनकी पहली शादी होनी चाहिए और शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत होनी चाहिए।
Created On :   19 Oct 2019 6:05 PM IST