भारत की विदेश नीति से पस्त हुआ यूएस, भारत और अमेरिका के बीच 11 अप्रैल को टू प्लस टू वार्ता, कई अहम मुद्दों पर होगी बातचीत

भारत की विदेश नीति से पस्त हुआ  यूएस, भारत और अमेरिका के बीच 11 अप्रैल को टू प्लस टू  वार्ता, कई अहम मुद्दों पर होगी बातचीत
रूस-यूक्रेन तनाव भारत की विदेश नीति से पस्त हुआ यूएस, भारत और अमेरिका के बीच 11 अप्रैल को टू प्लस टू वार्ता, कई अहम मुद्दों पर होगी बातचीत
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  • अमेरिका को भारत ने दिया करार जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग के बीच अमेरिका  भारत के रूख को टेढ़ी नजर से देख रहा है। अमेरिका की तरफ से विभिन्न परिषदों में  रूस के खिलाफ पेश किए गए कई  प्रस्तावों पर भारत ने ना तो हिस्सा लिया न ही रूस के विरोध में वोट किया। इसी से चिंतित होकर बार बार अमेरिका भारत को भविष्य में आने वाली समस्याओं को लेकर चेता चुका है।  इसी सिलसिले में भारत और अमेरिका के बीच 11 अप्रैल को द्विपक्षीय वार्ता होगी। ‘टू प्लस टू’ वार्ता में  दोनों देशों के बीच चौथे मंत्रिस्तरीय की बातचीत की जाएगी। इस बातचीत में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर की मेजबानी करेंगे। इस बैठक  को काफी अहम माना जा रहा है। इस समय रूस के समर्थन और विरोध को लेकर अमेरिका और भारत के बीच तनाव बढ़ गया है।

इससे पहले भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सदन में रूस के साथ संबंधों के महत्व पर प्रकाश डाला।  विदेश मंत्री ने संसद को बताया कि रूस "विभिन्न क्षेत्रों में भारत का एक महत्वपूर्ण भागीदार" है। उन्होंने कहा, "अन्य सभी देशों की तरह, हम भी यूक्रेन में रूस के युद्ध के निहितार्थ का आकलन कर रहे हैं।" और "यह तय कर रहे हैं कि हमारे राष्ट्रीय हित के लिए सबसे अच्छा क्या है।"

अमेरिका को भारत ने दिया करार जवाब

भारत ने अमेरिकी दूत से कहा  रूसी हथियारों के विकल्प बहुत महंगे है। कहीं और से सौदा करना अधिक महंगा  है। साथ ही भारत ने कहा  रूसी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ साझा उद्यम स्थापित करने के लिए तैयार है। जिसमें तकनीक ट्रांसफर विधि साझेदारी शामिल हैं। जबकि अमेरिकी कंपनियों की इसमें  कोई रूचि दिखाई नहीं दे रही हैं। इस वार्ता में रूस पर लगे प्रतिबंधों पर बातचीत होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति के आर्थिक सलाहकार  ब्रायन डीज ने तीखी भाषा में  कहा कि  कि मॉस्को के साथ भारत के  रणनीतिक जुड़ाव के नतीजे महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक होंगे। निश्चित रूप से ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम आक्रमण के संदर्भ में चीन और भारत दोनों के फैसलों से निराश हुए हैं।"

 

रक्षा जानकारों का मानना है कि  ये वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब यूक्रेन में रूसी युद्ध की आलोचना पूरी दुनिया कर रहा है लेकिन भारत अपने रूसी संबंधों के कारण अप तक इस बार चुप्पी साधे हुए है। भारत युद्ध का हल शांति और वार्ता से चाहता है। हालांकि भारत की नीति को लेकर अमेरिका अधिक मुखर हो गया है। आपको बता दें हाल ही में अमेरिका ने रूस से  हथियारों और रियायती तेल के खरीददारी को लेकर भारत को समझाइश दी। 

 

Created On :   8 April 2022 5:14 PM IST

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