साल का पहला सूर्य ग्रहण आज, जानिए दुनिया में कहा-कहा दिखेगा रिंग ऑफ फायर का अदभुत नजारा
- इस दुर्लभ खगोलीय घटना को आप ऑनलाइन भी देख सकते हैं
- इस साल का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण या रिंग ऑफ फायर 10 जून को दिखाई देगा
- भारत में सूर्य ग्रहण केवल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इस साल का पहला वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular solar eclipse) या रिंग ऑफ फायर 10 जून को दिखाई देगा जो आज है। यह खगोलीय घटना साल के पहले सुपर ब्लड मून और पूर्ण चंद्र ग्रहण के कुछ दिनों बाद होने जा रही है। साल का पहला ब्लड मून 26 मई को देखा गया था। नासा की ओर से पब्लिश मैप के अनुसार कनाडा, ग्रीनलैंड और उत्तरी रूस के कुछ हिस्सों में ही लोग रिंग ऑफ फायर को देख सकेंगे।
भारत में सूर्य ग्रहण केवल लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दिखाई देगा, लेकिन यहां पर लोग रिंग ऑफ फायर का अनुभव नहीं कर पाएंगे। पूर्वी अमेरिका, उत्तरी अलास्का, कैरिबियन के कुछ हिस्से, यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका में भी सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा। आंशिक रूप से नजर आएगा।
ज्यादातर जगहों पर सूर्य ग्रहण की यह घटना भारतीय समयानुसार दोपहर 01:42 बजे से शुरू होगी और यह शाम 06:41 पर अपने चरम पर होगी। नासा और टाइम डेट डॉट काम दोनों ने सूर्य ग्रहण के लाइव स्ट्रीम लिंक पब्लिश किए है, ताकि हर कोई 10 जून को इस दुर्लभ खगोलीय घटना को ऑनलाइन देख सके।
A global map of the shadow path for the June 10, 2021 annular solar eclipse. Times are in Coordinated Universal Time (UTC).
क्या होता है वलयाकार सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है। वहीं वलयाकार सूर्य ग्रहण उसे कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी से काफी दूर होते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच में इस तरह से आ जाता है जिससे कि सूर्य के मध्य का पूरा भाग चंद्रमा की छाया से ढक जाता है लेकिन सूर्य का बाहर वाला क्षेत्र प्रकाशित रहता है। इस स्थिति में चंद्रमा सू्र्य के लगभग 97% भाग तक को ढक लेता है। इस घटना के दौरान धरती से सूर्य देखने में आग की अंगूठी की तरह चमकता दिखाई देता है। इसे रिंग ऑफ फायर भी कहते हैं।
दरअसल, चांद पृथ्वी के आसपास एक अंडाकार कक्षा में चक्कर लगाता है। इस वजह से पृथ्वी से चांद की दूरी हमेशा घटती-बढ़ती रहती है। 10 जून को जब सूर्यग्रहण होगा तब चांद पृथ्वी से सबसे ज्यादा दूरी होगा। इसे साइंस की बाषा में एपोजी कहा जाता है। इस वजह से चांद का आकार सामान्य के मुकाबले कुछ छोटा दिखाई देता है। अपने इस छोटे आकार की वजह से चांद सूर्य को पूरी तरह ढंक नहीं पाएगा और चांद की सतह के किनारों से कुछ रोशनी धरती पर आती रहेगी। धरती से देखने पर ये लाल गोले जैसी दिखाई देगी।
सूर्यग्रहण को देखते समय क्या सावधानी रखें
नग्न आंखों से सूर्यग्रहण को कभी भी नहीं देखना चाहिए। क्योंकि सूर्य की किरणें आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। सूर्यग्रहण को देखने के लिए विशेष तौर पर बने चश्मों का ही प्रयोग करें। साधारण चश्मों से सूर्यग्रहण कभी न देखें। आप पिनहोल प्रोजेक्टर की मदद से भी सुरक्षित तरीके से सूर्यग्रहण देख सकते हैं। इंटरनेट पर पिनहोल प्रोजेक्टर बनाने के आसान तरीके आपको मिल जाएंगे।
Created On :   9 Jun 2021 8:30 PM IST