आरे वन क्षेत्र में न करें कोई विकास कार्य: सुप्रीम कोर्ट

Do not do any development work in Aarey forest area: Supreme Court
आरे वन क्षेत्र में न करें कोई विकास कार्य: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली आरे वन क्षेत्र में न करें कोई विकास कार्य: सुप्रीम कोर्ट
हाईलाइट
  • किसी भी हाल में अब किसी पेड़ को नहीं काटा जाएगा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगर मुंबई मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) आरे वन क्षेत्र में पेड़ नहीं काटने के अपने दायित्व (वचन) का उल्लंघन करता है तो वह इस पर कड़ा रुख अपनाएगा। न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया के साथ न्यायमूर्ति यू. यू. ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एमएमआरसीएल को वन क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं करना चाहिए। याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनीता शेनॉय ने पिछली सुनवाई के दौरान एमएमआरसीएल द्वारा दायर हलफनामे की सामग्री का खंडन किया। उन्होंने कहा कि समतलीकरण व अन्य काम चल रहा है और क्षेत्र में कोई काम नहीं होना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि अक्टूबर 2019 में आश्वासन दिया गया था कि किसी भी तरह से कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा। पीठ ने कहा, एमएमआरसी की ओर से पेश अधिवक्ता रुक्मिणी बोबडे ने कहा कि उनके मुवक्किलों ने पहले ही एक हलफनामा दायर कर दिया है कि 7.10.2019 के आदेश के बाद से कोई पेड़ नहीं काटा गया है और किसी भी हाल में अब किसी पेड़ को नहीं काटा जाएगा। शीर्ष अदालत ने दलीलें सुनने के बाद मामले को मंगलवार को आगे की सुनवाई के लिए रखा है।

5 अगस्त को एमएमआरसीएल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि मुंबई के आरे जंगल में कोई पेड़ नहीं काटा गया है, बल्कि कुछ खरपतवार, झाड़ियों और शाखाओं को हटा दिया गया है। याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने तब दलील दी थी कि मेट्रो कार शेड परियोजना के लिए आरे वन क्षेत्र में यथास्थिति के आदेशों के बावजूद पेड़ों की कटाई फिर से शुरू कर दी गई है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले पर विस्तार से सुनवाई की जरूरत है।

एमएमआरसीएल का प्रतिनिधित्व करने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि क्षेत्र में कोई पेड़ नहीं काट रहा है और 2019 में शीर्ष अदालत द्वारा यथास्थिति के आदेश पारित किए जाने के बाद, कोई पेड़ नहीं काटा गया है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में झाड़ियां, खरपतवार आदि उग आई हैं और उन्हें ही संबंधित प्राधिकरण द्वारा हटाया जा रहा है। मेहता ने इस बात पर जोर दिया कि मामले में एमएमआरसीएल द्वारा दायर हलफनामे का हवाला देते हुए केवल कुछ शाखाओं की ट्रिमिंग की गई है। शीर्ष अदालत ने 2019 में आरे कार शेड प्लॉट में पेड़ों की कटाई के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का स्वत: संज्ञान लिया था। इसने 7 अक्टूबर, 2019 को यथास्थिति का आदेश दिया था, जब मेहता ने एक वचन दिया था कि सुनवाई की अगली तारीख तक पेड़ों की कोई भी ताजा कटाई नहीं की जाएगी। यथास्थिति के आदेश को समय-समय पर बढ़ाया गया था।

(आईएएनएस)

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Created On :   24 Aug 2022 11:30 AM GMT

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