दिल्ली के एक अस्पताल ने कोविड-19 रोगियों को एंटीबॉडी थेरेपी से ठीक किया, 12 घंटों के भीतर मिली छुट्टी

Delhi hospital uses antibody therapy to successfully treat Covid-19 patients
दिल्ली के एक अस्पताल ने कोविड-19 रोगियों को एंटीबॉडी थेरेपी से ठीक किया, 12 घंटों के भीतर मिली छुट्टी
दिल्ली के एक अस्पताल ने कोविड-19 रोगियों को एंटीबॉडी थेरेपी से ठीक किया, 12 घंटों के भीतर मिली छुट्टी
हाईलाइट
  • थेरेपी को दिए जाने के 12 घंटों के भीतर मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई
  • मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी हो सकती है कारगर
  • सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का उपयोग किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नई दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के डॉक्टरों ने मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी का उपयोग करके कोविड-19 से पीड़ित दो मरीजों का सफलतापूर्वक इलाज किया है। इन दोनों मरीजों को रीजनरोन फार्मास्यूटिकल (Regeneron Pharmaceuticals) का एंटीबॉडी कॉकटेल REGN-COV2 (कासिरीविमाब और इम्डेविमाब) दिया गया था। इस थेरेपी को दिए जाने के 12 घंटों के भीतर दोनों मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।

एसजीआरएच के मेडिसिन विभाग की वरिष्ठ सलाहकार डॉ पूजा खोसला ने कहा कि जिन दो मरीजों को एंटीबॉडी दी गई, उनमें से एक 36 वर्षीय हेल्थकेयर वर्कर था। ये हेल्थ वर्कर हाई-ग्रेड फीवर, कफ, मायलगिया, कमजोरी और लो ब्लड सेल काउंट से पीड़ित था। दूसरे मरीज 80 वर्षीय आर के राजदान थे जो डायबिटीज और हायपरटेंशन जैसी कॉमरेडिडिटी से पीड़ित थे। उन्हें तेज बुखार और खांसी हो रही थी। मोनोक्लोनल एंडीबॉडी थेरेपी देने के 8 घंटे बाद दोनों मरीजों के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ। डॉ पूजा ने कहा कि मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थैरेपी का इस्तेमाल अगर सही समय पर किया जाये तो इसकी मदद से मरीजों को अस्पताल में भर्ती होने से मुक्ति मिल सकती है।

मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उस एंटीबॉडी की आइडेंटिकल कॉपी हैं जो एक स्पेसफिक एंटीजन को टारगेट करती हैं। इस ट्रीटमेंट का उपयोग पहले इबोला और एचआईवी जैसे घातक पैथोजन के इलाज में किया गया है। REGCov2 को रीजनरोन फार्मास्यूटिकल ने विकसित किया गया है जो फेज-3 Covid-19 प्रिवेंशन ट्रायल कर रहा है। हमारा शरीर किसी भी बीमारी से बचाव के लिए एंटीबॉडी प्रड्यूज करता है। यह एक तरह के प्रोटीन होते हैं।  किसी भी कोविड रोगी में सामान्य एंटीबॉडी संक्रमण के 14 दिनों के बाद ही विकसित होते हैं। लेकिन, कृत्रिम रूप से प्रयोगशाला में बनाई मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तुरंत काम करना शुरू कर देती है। इसे अलग-अलग बीमारी से लड़ने के हिसाब से लैब में तैयार किया जाता है।

कासिरिविमैब और इमडेविमैब को खास तौर पर कोविड महामारी फैलाने वाले वायरस SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ कार्य करने के लिए तैयार किया गया है। ये वायरस के अटैचमेंट और उसके बाद मानव कोशिकाओं में प्रवेश को ब्लॉक कर देती है। इस कॉकटेल में दोनो एंटीबॉडीज की 600-600 mg की खुराक दी जाती है। इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जा सकता है।

बता दें कि देश में सबसे पहले हरियाणा के 84 वर्षीय मोहब्बत सिंह को एंटीबॉडी कॉकटेल दिया गया था। कॉकटेल देने के बाद सिंह को निगरानी में रखा गया और फिर जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल को कोविड के खिलाफ लड़ाई में गेम चेंजर बताया जा रहा है। अध्ययनों से पता चला है कि यह ड्रग लेने वाले 80% रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ी। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प भी जब कोरोना से संक्रमित हुए थे तब उन्हें भी एंटीबाडी कॉकटेल दिया गया था।

Created On :   9 Jun 2021 9:39 PM IST

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