पिता की शहादत के बाद बिटिया ने भी लिया सैनिक बनने का फैसला, देशसेवा के लिए गजटेड अफसर का पद भी ठुकराया
- बेटी के फैसले पर गर्व- मां
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ढाई साल की उम्र में अपने पिता को खोने वाली बेटी अब देश की सेवा करने जा रही है। बहुत कम उम्र में पिता को खोने का गम और फिर उनके पद चिन्हों पर चलना शायद एक बेटी के लिए काफी मुश्किल भरा रहा होगा। हम बात कर रहे हैं, हरियाणा की रहने वाली इनायत वत्स के बारे में। उनके पिता नवनीत वत्स सेना में मेजर थे। साल 2003 में इनायत के पिता एक आतंकवाद विरोधी अभियान में देश के लिए शहीद हो गए थे। इनायत अपने पिता को आदर्श मानकर अब सेना में जाकर देशा सेवा करने जा रही हैं। सेना में जाने वाली इनायत अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी है। उनके नाना भी सेना में एक कर्नल थे।
पंचकुला की इनायत, अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। वह जब ढाई साल की थी तब उनके पिता मेजर नवनीत वत्स शहीद हो गए थे। श्रीनगर में एक बिल्डिंग क्लियरेंस के दौरान आतंकवादियों ने इनायत के पिता को गोली मार दी थी। जिसके बाद मेजर नवनीत वत्स को मरणोपरांत सेना पदक से सम्मानित किया गया था। इनायत इस साल अप्रैल में ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी चेन्नई में ट्रेनिंग के लिए शामिल होंगी।
पिता की तरह सेना में भर्ती होने का था सपना
इनायत ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की है। इस वक्त वह डीयू के हिंदू कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं। बता दें कि, इनायत को हरियाणा सरकार की ओर से राजपत्रित अधिकारी के पद का ऑफर दिया गया था। यह ऑफर उन्हें सरकार की ओर से शहीदों के परिजनों के लिए नौकरी की योजना के तहत दिया गया था। हालांकि, इनायत ने हरियाणा सरकार की तरफ से मिले गजटेड अधिकारी की नौकरी को स्वीकार नहीं किया। इसके पीछे की बड़ी वजह यह है कि वह पिता की तरह सेना में जाना चाहती हैं। इनायत बताती है कि उनका बचपन से ही सपना था कि वह पिता की तरह सेना में भर्ती हों। इसमें इनायत की मां शिवानी ने भी उनका खूब साथ दिया है।
बेटी के फैसले पर गर्व- शिवानी
इनायत की मां कहती हैं कि वह एक बहादुर की बेटी है। उनकी बेटी ने जब स्नातक की पढ़ाई पूरी की, तब उन्होंने सोचा था कि उनकी बेटी हरियाणा सरकार की प्रस्तावित नौकरी लेगी और मेरे पास ही रहेगी। लेकिन वह शहीद की बेटी है, और उसके लिए सेना में जाना ही एक मात्र लक्ष्य था और उसने वह हासिल कर लिया। इनायत की मां शिवानी बताती हैं कि उनकी 23 साल की उम्र में शादी हुई थी। शादी के पहले साल में ही वह गर्भवती हो गईं। बेटी का जन्म हुआ। सब कुछ ठीक चल रहा था। शादी के चार साल पूरे होने को थे, लेकिन उससे पहले ही उनके पति इस दुनिया को अलविदा कह गए। जिसके बाद शिवानी की पास के चंडी मंदिर में आर्मी पब्लिक स्कूल में नौकरी लग गई। वे वहां पर नौकरी करते हुए बेटी को पालने लगीं।
इनायत की मां ने कही ये बातें
शिवानी ने बताया कि उनसे एक बार इनायत ने पूछा था कि, 'अगर मैं लड़का होती, तो तुम क्या करतीं?' मैंने बेटी से कहा, "मैं उसे एनडीए या आईएमए में शामिल होने के लिए कहती।" इनायत की मां आगे कहती है कि 'मुझे बहुत खुशी है कि उनकी बेटी ने एक आरामदायक जीवन को छोड़कर, उसने अपने पिता का अनुसरण करना चुना।' इनायत ने बताया कि उनके दो मामा है। एक मामा 9-सिख लाइट इन्फैंट्री के कर्नल विश्वानाथ तिवारी और दूसरे मामा 4/3-गोरखा राइफल्स के कर्नल मृदुला वर्मा ने उन्हें सेना में शामिल होने के लिए तैयार करने में मदद की। बता दें कि यह उनका दूसरा प्रयास था. उसने पहले सेवा चयन बोर्ड क्वालिफाई किया लेकिन अंतिम मेरिट लिस्ट में उसे जगह नहीं मिल पाई थी।
Created On :   6 Feb 2023 3:45 PM IST