संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से स्वस्थ इंसान में हो सकता है, नए तरह के वैरिएंट का जन्म!

Contact with infected animals can lead to the birth of a new variant in a healthy human!
संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से स्वस्थ इंसान में हो सकता है, नए तरह के वैरिएंट का जन्म!
कोविड-19 संक्रमित जानवरों के संपर्क में आने से स्वस्थ इंसान में हो सकता है, नए तरह के वैरिएंट का जन्म!
हाईलाइट
  • ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में हलचल
  • जानवरों से भी जन्म ले सकता है नया वैरिएंट

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन ने दुनियाभर में हलचल मचा दी है। आपको बता दें कि भारत में भी इसकी दस्तक हो गई है। इसी बीच अमेरिका की एक संस्था की हैरान करने वाली रिसर्च सामने आई है। जिसमें ये खुलासा हुआ है कि जब कोरोना संक्रमित इंसान जानवरों के संपर्क में आते हैं और संक्रमित जानवर किसी स्वस्थ इंसान के संपर्क में आ जाए तो नए के वैरिएंट का जन्म हो सकता है। 

इन जानवरों पर किया गया शोध

आपको बता दें कि अमेरिका के कॉलेज ऑफ वेटनरी मेडिसिन एंड बायोमेडिकल साइंसेज में रिसर्च टीम ने बिल्लियों, कुत्तों, फेरेट्स और हैम्स्टर्स में संक्रमण के बाद कोरोना वायरस में होने वाले उत्परिवर्तन प्रकारों का विश्लेषण किया। गौरतलब है कि यह रिसर्च हाल ही में नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज की आधिकारिक पत्रिका पीएनएएस में प्रकाशित हुई थी। इसमें विभिन्न प्रकार के जानवरों जैसे जंगली, चिड़ियाघर और घरेलू जानवरों में रिसर्च की गई। रिसर्च के मुताबिक, यदि कोई जानवर कोरोना संक्रमित इंसान के संपर्क में आता है तो नए प्रकार के कोरोना वायरस वैरिएंट का जन्म हो सकता है। इस रिसर्च से इस बात को बल मिला है कि कहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट का जन्म भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा तो नहीं ?

सहायक प्रोफेसर एरिक गग्ने ने ये कहा

आपको बता दें कि पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय में वन्यजीवी रोग पारिस्थितिकी के सहायक प्रोफेसर एरिक गग्ने कहती हैं कि मनुष्यों के आस-पास रहने वाले जानवरों के लिए ये वायरस अधिक जोखिम वाला है, इसलिए इसने कोविड-19 फैमिली के विभिन्न वैरिएंट को उत्पन्न करने का अवसर दिया है। दरअसल, दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के खतरनाक वेरिएंट ओमिक्रॉन पर कुछ दिन पहले वैज्ञानिकों ने चौकानें वाले खुलासे किए थे। वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि ओमिक्रॉन रोडेंट्स यानी चूहों जैसे जीव के जरिए इंसानों तक पहुंचा है। इस प्रक्रिया को रिवर्स जूनोसिस कहते हैं। 


 

Created On :   5 Dec 2021 5:20 PM IST

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