कोविड संकट पर सीजेआई बोले, मेरा परिवार भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो सका
- उस समय महामारी ने हमें लगभग नष्ट कर दिया था
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमना ने कोविड संकट को याद करते हुए सोमवार को कहा कि वकील, न्यायाधीश, रजिस्ट्री के अधिकारी दस्तावेजों को छूने से डरते थे, यहां तक कि उनके परिवार के सदस्य भी उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हो सके। प्रधान न्यायाधीश सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित भारत की स्वतंत्रता की 76वीं वर्षगांठ पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह, सुप्रीम कोर्ट के जज और बार के सदस्य भी शामिल हुए।
न्यायमूर्ति रमना ने कहा, मुझे वह समय याद है, जब मैंने प्रधान न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला था। उस समय महामारी ने हमें लगभग नष्ट कर दिया था। मेरे परिवार के सदस्य भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं हो सके, हर जगह डर था। हमारे कई करीबी और प्रिय जनों ने जान गंवाई। प्रधान न्यायाधीश रमना 26 अगस्त को पद छोड़ देंगे। न्यायमूर्ति यू.यू. ललित उनकी जगह लेंगे। 10 अगस्त को न्यायमूर्ति ललित को भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। नियुक्त पत्र पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर किए थे। 23 अप्रैल को सीजेआई एसए बोबडे की सेवानिवृत्ति के बाद 24 अप्रैल को जस्टिस रमना ने सीजेआई के रूप में पदभार संभाला।
न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि वकील, न्यायाधीश, रजिस्ट्री के अधिकारी दस्तावेजों को छूने से डरते थे और अदालत को कोविड के कारण लगभग एक साल का बैकलॉग विरासत में मिला था और लॉकडाउन था। उन्होंने कहा, पिछले 16 महीनों में हम केवल 55 दिनों के लिए शारीरिक रूप से इकट्ठा हो सके। काश स्थिति अलग होती और हम अधिक उत्पादक होते। लोगों के लिए उच्च उम्मीदें रखना उचित और स्वाभाविक है, लेकिन अफसोस की बात है कि प्रकृति की ताकतें इसके खिलाफ थीं। मुझे उम्मीद है कि निकट भविष्य में स्थिति सामान्य हो जाएगी और अदालतें पूरी क्षमता से काम करेंगी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, जब कोविड हमारे प्रियजनों को लील रहा था, उस समय हमारी पूरी प्रणाली ने न्याय देने के लिए निडर होकर काम किया और वकीलों और न्यायाधीशों दोनों ने बिना किसी रुकावट के ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से काम किया। उन्होंने कहा, कंप्यूटर समिति के मार्गदर्शन में हमारी वीडियो कॉन्फ्रेंस प्रणाली विकसित होती रही। जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस खानविलकर ने टीम को आवश्यक मार्गदर्शन दिया। सबसे कठिन समय में भी एससीबीए ने अपनी सेवाओं को सबसे ज्यादा जरूरतमंदों तक पहुंचाया। एससीबीए देश में सबसे गतिशील संघों में से एक के रूप में खड़ा है।
(आईएएनएस)
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Created On :   15 Aug 2022 5:00 PM IST