अयोध्या: मुस्लिम पक्ष के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा- फैसले से संतुष्ट नहीं, पुनर्विचार की मांग करेंगे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। फैसला विवादित जमीन पर रामलला के हक में निर्णय सुनाया गया। फैसले में कहा गया कि, राम मंदिर विवादित स्थल पर बनेगा और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में 5 एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी। अदालत ने कहा कि 02.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन रहेगी। केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया है।
फैसले पर सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के फरमान के मुताबिक किसी दूसरी जगह मस्जिद बनाना उन्हें मंजूर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल हिंदू पक्ष को मंदिर के निर्माण के लिए दे दी है और मुस्लिम पक्ष को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही कोई और वैकल्पिक जमीन देने का आदेश दिया गया है।
जिलानी ने कहा, मस्जिद अनमोल है। पांच एकड़ क्या होता है? 500 एकड़ भी हमें मंजूर नहीं। जिलानी ने कहा, शरिया हमें मस्जिद किसी और को देने की इजाजत नहीं देता, उपहार के तौर पर भी नहीं। उन्होंने कहा कि, जमीन स्वीकार करने पर अंतिम निर्णय सुन्नी वक्फ बोर्ड लेगा।
जिलानी ने फिर कहा कि बोर्ड सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करता है, लेकिन निर्णय पर असहमति प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। उन्होंने कहा, हम फैसले का इस्तकबाल करते हैं, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। फैसला हमारी उम्मीदों के मुताबिक नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वह समीक्षा याचिका दायर करेंगे। लेकिन अंतिम निर्णय कानूनी टीम के साथ विचार-विमर्श करने के बाद भी लेंगे। हम अपने साथी वकीलों के साथ चर्चा करके तय करेंगे कि रिव्यू पिटीशन दायर करनी है या नहीं।
जिलानी ने आगे कहा, भारत के प्रधान न्यायाधीश का आज का आदेश देश के कल्याण में लंबे समय तक सक्रिय रहेगा। फैसले पर प्रतिक्रिया पूछने पर मुस्लिम या सुन्नी वक्फ बोर्ड के एक अन्य वकील राजीव धवन ने कोई जवाब नहीं दिया।
Zafaryab Jilani, All India Muslim Personal Law Board: We will file a review petition if our committee agrees on it. It is our right and it is in Supreme Court"s rules as well. #AyodhyaJudgment https://t.co/ICu8y7fOzI pic.twitter.com/iAoOIcjMTz
— ANI (@ANI) November 9, 2019
Kamaal Faruqi,All India Muslim Personal Law Board:Iske badle hume 100 acre zameen bhi de to koi fayda nahi hai.Hamari 67 acre zameen already acquire ki huyi hai to humko daan mein kya de rahe hain vo?Humari 67 acre zameen lene ke baad 5 acre de rahe hain. Ye kahan ka insaaf hai? pic.twitter.com/Pdgyhmhv7Z
— ANI (@ANI) November 9, 2019
Created On :   9 Nov 2019 1:14 PM IST