ट्रंप के बयान का अब्दुल्ला, मुफ्ती ने किया स्वागत, कहा- पीएम की पहल सराहनीय
- अब्दुल्ला ने कहा
- पीएम नरेन्द्र मोदी की पहल सराहनीय
- ट्रंप के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्ता वाले बयान का अब्दुल्ला-मुफ्ती ने स्वागत किया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड के कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्ता वाले बयान का घाटी में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों और अलगाववादी नेताओं ने स्वागत किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, साथ ही जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर ट्रंप की पेशकश की सरहाना की।
अब्दुल्ला ने कहा "यह खुशी की बात है कि पीएम मोदी ने कश्मीर मामले पर राष्ट्रपति ट्रंप से बातचीत की और कहा कि कश्मीर का मामला जटिल है। अगर ऐसे में मदद आती है, तो यह अच्छा होगा।" उन्होंने कहा कि "मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देना चाहता हूं कि वे भी चाहते हैं कि इस मुद्दे को हर हाल में सुलझाया जाए। इससे भारत और पाकिस्तान के बीच जारी विवाद सुलझेगा।"
महबूबा मुफ्ती ने कहा, "जम्मू कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के विचार को भारत सरकार द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद ट्रंप का कथन नीति में बड़े बदलाव को जाहिर करता है। टकराव सुलझाने में अमेरिका का भी कोई शानदार रिकार्ड नहीं रहा है, लेकिन आशा है कि दोनों देश इस मौके का इस्तेमाल वार्ता के जरिये शांति स्थापित करने के लिए करेंगे।
Despite GOI refuting idea of third party mediation on JK, the disclosure made by Trump marks a huge policy shift. Even though USA doesn’t hold a great record in resolving protracted conflicts, hope both countries seize this opportunity to forge peace through dialogue.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 23, 2019
बता दें कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से बातचीत के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि पीएम मोदी ने कश्मीर मुद्दा सुलझाने के लिए उनसे मध्यस्त बनने के लिए कहा है। ट्रंप के बयान के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि पीएम मोदी ने ट्रंप से ऐसा कुछ भी नहीं कहा।
संसद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि ट्रंप से कभी ऐसा कोई आग्रह नहीं किया गया, उन्होंने कहा कि इस मामले पर भारत का रुख एक ही रहा है। सभी मुद्दों पर पाकिस्तान के साथ लंबित मुद्दों पर सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता ही की जा सकती है। किसी भी वार्ता के लिए उसे सीमा पार से होने वाला आतंक पूरी तरह रोकना होगा।
Created On :   24 July 2019 1:06 AM IST