अलीगढ़ जामा मस्जिद मामला: संभल जामा मस्जिद के बाद अलीगढ़ की जामा मस्जिद पर उठे सवाल, अदालत तक पहुंचा मामला
- अलीगढ़ जामा मस्जिद पर उठा सवाल
- कोर्ट में दाखिल हुई अर्जी
- एएसआई के पास नहीं है कोई संपत्ति दर्ज नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से आदेश जारी किया गया है कि, किसी भी धार्मिक स्थल के परिवर्तन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई नहीं की जाएगी। वहीं संभल के बाद अब अलीगढ़ की जामा मस्जिद का मामला भी न्यायालय पहुंच गया है। अलीगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट केशवदेव गौतम ने अलीगढ़ के जिला कोर्ट में जामा मस्जिद को हिंदू किला बताया है और याचिका दायर की है। जिसमें दावा किया गया है कि, जामा मस्जिद के पास ओम का निशान पाया गया है, साथ ही याचिका में ये भी दावा किया गया है कि अलीगढ़ की जामा मस्जिद असल में हिंदुओं का बाला ए किला है।
याचिकाकर्ता की तरफ से किया गया दावा
कोर्ट में दाखिल की हुई याचिका में याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है कि आरटीआई के तहत उन्हें जानकारी दी गई थी कि जामा मस्जिद के नाम से एएसआई के पास कोई संपत्ति नहीं दर्ज है। याचिका में ये भी दावा किया गया है कि किला एएसआई की तरफ से नोटिफाई है साथ ही इसके टीले के अवशेष बौद्ध स्तूप या मंदिर से मिलते जुलते हैं। याचिका में यह भी दावा किया गया कि जामा मस्जिद असल में हिंदुओं का किला है जिस पर भूमाफियाओं ने धर्म विशेष के नाम पर अवैध कब्जा कर रखा है और आसपास दुकान मकान से किराया वसूल कर सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग किया जा रहा है।
कब बनी थी अलीगढ़ की मस्जिद?
याचिका में ये दावा किया गया कि मस्जिद सार्वजनिक जमीन पर बनी हुई है और हिंदुओं के बाला ए किला का इतिहास खत्म करके उसे जामा मस्जिद में बदल दिया गया है। ऐसी याचिका में मांग की गई है कि प्रशासन कब्जा हटा कर इसे सरकार कंट्रोल में ले और इसको तीर्थस्थल बनाया जाए।
ऐसा माना जाता है कि ये मस्जिद मुगल शासनकाल के समय मोहम्मद शाह (1719-1728) के समय में कोल जो कि अब अलीगढ़ हो गया है। उसके गवर्नर साबित खान की तरफ से साल 1724 में बनवानी शुरू की गई थी। मस्जिद के निर्माण में चार साल का समय लगा और साल 1728 में यह पूरी हो गई थी।
Created On :   7 Jan 2025 2:32 PM IST