उत्तरकाशी टनल हादसा: कितनी खतरनाक है रैट होल माइनिंग? जिसके जरिए थोड़ी ही देर में बाहर निकलने वाले हैं सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूर
- कुछ ही देर में सिलक्यारा टनल से बाहर निकलेंगे मजदूर
- 17वें दिन भी जारी है मजदूरों को बाहर निकालने का काम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोशिशें जारी है। अब कुछ ही देर बाद सभी मजदूरों को टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा। जिसका सबसे बड़ा क्रेडिट रैट होल माइनर्स को दिया जाएगा। क्योंकि, इन सभी लोगों ने मशीन से भी ज्यादा तेज काम किया। ऐसे में आइए समझने की कोशिश करते हैं कि रैट होल माइनिंग क्या होता है और यह किस तरह से काम करता है?
कैसे काम करता है रैट होल माइनिंग
रैट होल माइनिंग चूहों के बिल खोदने की तकनीक पर काम करता है। इस माइनिंग के जरिए कोयला और खनिज निकाला जाता है। इसमें माइनिंग करने वाले लोग चार फीट खुदाई करके ऐसे गड्ढों में घुसते हैं जहां केवल एक इंसान ही जा सकता है। माइनिंग करने के दौरान जैसे-जैसे गड्ढा गहरा होता जाता है। मजदूर के लिए मुश्किलें भी बढ़ती जाती है। वे बांस की सीढ़ी और रस्सियों के सहारे गहरे गड्ढे में नीचे जाते हैं और कोयला जमा करके बाहर निकालते हैं।
इस तरह की माइनिंग पहले मेघालय के पर्वतों में हुआ करती थी। पहले माइनर्स बिना किसी सेफ्टी के गड्ढे के नीचे जाते हैं। बारिश के मौसम में रैट होल माइनिंग करना काफी मुश्किल होता है। गड्ढों में पानी भरने के चलते मजदूर अंदर फंस जाते हैं। जिसके चलते कई बार माइनर्स की जान भी चली जाती है। रैट होल माइनिंग के दौरान श्रमिक तब तक सुरंग के अंदर खुदाई करते हैं, जब तक कि अंदर उन्हें कोयला नहीं मिल जाए। यह काफी मेहनत का काम माना जाता है। जिसमें खतरा भी काफी ज्यादा है।
रोक के बावजूद रैट होल माइनिंग चलन में
रैट होल माइनिंग में सुरंग की साइज काफी ज्यादा छोटी होती है। जिसके चलते कई बार इस होल में महिलाओं और बच्चों को भी काम पर लगाया जाता है। होल में इतनी छोटी जगह होती है कि इसमें काम करने वाले लोग घुटने के बल रेंगकर कोयला निकालते हैं। इस दौरान श्रमिकों को घुटन और भूस्खलन जैसी खतरों का सामना करना पड़ता है। रैट-होल खदानों में अक्सर बुनियादी सुरक्षा उपाय जैसे वेंटिलेशन, प्रकाश और श्रमिकों के लिए सुरक्षात्मक गियर नहीं होते हैं। इन्हीं सभी चीजों को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने इस माइनिंग पर रोक लगा दी थी। कई जगहों पर इस तरह की माइनिंग पर रोक जरूर लगी हुई है। लेकिन, कई जगहों पर अभी भी इसे प्रयोग में लाया जाता है। जिसके चलते आज भी कई लोगों की मौत होती रहती है।
खतरनाक होने के बावजूद अब रैट माइनिंग का सहारा क्यों?
सिलक्यारा टनल में फंसे लोगों को सिरदर्द और उल्टी जैसी समस्याओं से भी दो-चार होना पड़ रहा है। इसका मतलब यह है कि टनल के अंदर ऑक्सीजन कम होने का भी खतरा बढ़ गया है। इसी के चलते विशेषज्ञों ने रैट होल माइनिंग के जरिए मजदूरों को बाहर निकालने का विकल्प बेहतर समझा।
सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने का काम तीन चरणों में जारी है। सुरंग में एक व्यक्ति खुदाई कर रहा है, दूसरा मलबे को जमा कर रहा है। वहीं, तीसरा आदमी उसे बाहर निकाल रहा है। इस मेहनत भरे काम के लिए बहुत सारे इंतजाम किए गए हैं। सुरंग में रैट होल माइनिंग कर रहे लोग के लिए ऑक्सीजन का सप्लाई दिया जा रहा है। ताकि, उन्हें सुरंग की खुदाई करने के दौरान घुटन न हो।
Created On :   28 Nov 2023 6:35 PM IST