ड्रैगन की विस्तारवादी नीति को लेकर ताइवान ने जताई चिंता, दुनियाभर के देशों को किया आगाह, भारत से लगाई मदद की गुहार

Taiwan expressed concern about Dragons expansionist policy, also warned countries around the world, pleaded for help from India
ड्रैगन की विस्तारवादी नीति को लेकर ताइवान ने जताई चिंता, दुनियाभर के देशों को किया आगाह, भारत से लगाई मदद की गुहार
चीन-ताइवान विवाद ड्रैगन की विस्तारवादी नीति को लेकर ताइवान ने जताई चिंता, दुनियाभर के देशों को किया आगाह, भारत से लगाई मदद की गुहार
हाईलाइट
  • लोकतांत्रिक देशों को चीन की गतिविधियों पर एकजुटता की जरूरत

डिजिटल डेस्क, ताइपे। चीन और ताइवान के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है। चीन जहां ताइवान के समुद्री क्षेत्र में लगातार घुसपैठ की कोशिश कर रहा हैं तो वहीं ताइवान इसको लेकर चिंतित है। ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने फिर से ड्रैगन के विस्तारवादी नीति पर सवाल उठाया है और दुनियाभर के देशों को भी सतर्क रहने की अपील की है।

उन्होंने दुनिया के लोकतांत्रिक देशों से चीन की गतिविधियों को लेकर एकजुटता दिखाने की बात कही है। वू ने एशिया और उसके बाहर चीन की बढ़ते हुए हरकतों पर कड़ी निगरानी की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा है कि अब लोकतंत्र के एकजुट होने का समय आ गया है। चीन की हरकतें ताइवान व दक्षिण चीन सागर तक ही सीमित नहीं हैं। 

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चीन बिछा रहा है जाल 

ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने चिंता जाहिर करते हुए कहा है कि श्रीलंका में आर्थिक व राजनीतिक संकट ने दुनिया को दिखा दिया कि चीन ने अपनी विशाल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और कर्ज का जाल बिछाकर इस राष्ट्र को मुश्किल में डाल दिया है। श्रीलंका में चीन ने जो कार्रवाई की है वो दुनिया के मुल्कों की आंखें खोलने वाली है। ताइवान के साथ जापान के समर्थन पर उन्होंने तारीफ की और कहा कि अन्य देशों को भी सामने आना चाहिए।

भारत से की मदद की मांग

ताइवान मामला पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। चीन की हरकतों पर दुनिया की नजर है। इसी बीच दुनिया भर में अपनी ताकत का एहसास कराने भारत, ताइवान के लिए एकमात्र सहारा दिख रहा है क्योंकि जब भी कोई देश मुसीबतों में फंसता है तो भारत को जरूर याद करता है। इसी कड़ी में ताइवान ने भारत से मदद की गुहार लगाई है क्यों कि वह इंटरनेशनल क्रिमिनल पुलिस ऑर्गेनाइजेशन यानी इंटरपोल में शामिल होना चाहता है। ताइवान को पता है कि अगर वह भारत का समर्थन हासिल कर ले तो उसकी बात बन जाएगी और वह भी इंटरपोल का सदस्य बन जाएगा।

उधर, क्रिमिन इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के आयुक्त ने कहा, ताइवान इंटरपोल का सदस्य नहीं है। जिसकी वजह से हम आम सभा में अपना प्रतिनिधिमंडल नहीं भेज सकते। आगे उन्होंने कहा भारत मेजबान देश है, जिसके पास हमें निमंत्रित करने की शक्ति है। हम पर्यवेक्षक के तौर पर ताइवान को बुलाने की भारत समेत अन्य सदस्य देशों से उम्मीद जताते हैं।

इस वजह से चीन का हो रहा विरोध

ताइवान खुद पर चीन के किसी भी नियंत्रण को लेकर विरोध करता रहा है। हाल ही में अमेरिकी स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन आगबबूला हो गया था और अमेरिका को धमकी तक दे डाली थी कि ताइवान मसले पर किसी भी अन्य देश की दखंलदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चीन और ताइवान के बीच तभी से कड़वाहट और बढ़ गई है।

चीन दुनियाभर के देशों को अपनी शक्ति दिखाने के लिए समुद्री इलाकों में मिसाइलें दागी और लड़ाकू विमान भी उतारे थे। हालांकि, ताइवान को अमेरिका का समर्थन हासिल है ये बात अमेरिका खुद बता चुका है कि ताइवान की सुरक्षा को लेकर हर तरह की मदद भी मुहैया कराई जाएगी। 

Created On :   20 Aug 2022 4:42 PM IST

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