Economics Nobel Prize: पॉल आर मिलग्रोम और रॉबर्ट बी विल्सन ने जीता अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार
- पॉल आर मिल्ग्रॉम और रॉबर्ट बी विल्सन को इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल
डिजिटल डेस्क, स्टॉकहोम। अमेरिका के पॉल आर मिल्ग्रॉम और रॉबर्ट बी विल्सन ने इस साल का अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीता है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के महासचिव गोरान हैंसन ने सोमवार को स्टॉकहोम में विजेताओं के नाम की घोषणा की। ऑक्शन थ्योरी में सुधार और ऑक्शन करने के नए आविष्कार के लिए उन्हें इस पुरस्कार के लिए चुना गया है। पॉल और रॉबर्ट विल्सन ने अध्ययन किया है कि नीलामी (Auction) कैसे काम करती है। उन्होंने उन गुड्स एंड सर्विसेज के लिए नए ऑक्शन फॉर्मेट को डिजाइन करने के लिए अपने इनसाइट का उपयोग किया जिसे पारंपरिक तरीके से बेचना मुश्किल था। जैसे कि रेडियो फ्रीक्वेंसी। उनकी खोजों ने दुनिया भर के सेलर, बायर और टैक्स पेयर्स को लाभान्वित किया है।
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— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 12, 2020
The 2020 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Paul R. Milgrom and Robert B. Wilson “for improvements to auction theory and inventions of new auction formats.”#NobelPrize pic.twitter.com/tBAblj1xf8
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को शांति का नोबेल
इस बार शांति के नोबेल के लिए नार्वे की कमेटी ने वर्ल्ड फूड प्रोग्राम (WFP) को चुना गया है। भूख से निपटने के अपने प्रयासों और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांति की बेहतर स्थिति बनाने में योगदान के लिए दिया गया है। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने युद्ध और संघर्ष वाली जगहों पर भूख को हथियार के रूप में इस्तेमाल से रोकने के लिए ड्राइविंग फोर्स के रूप में भी कार्य किया। वर्ल्ड फूड प्रोग्राम दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जो फूड सिक्योरिटी को बढ़ावा देता है। 2019 में, WFP ने 88 देशों में करीब 100 मिलियन लोगों को सहायता प्रदान की। संगठन ने कोरोना के दौर में दुनियाभर में जरूरतमंदों को खाना खिलाने और मदद करने में भी अहम भूमिका निभाई। कोरोना महामारी के दौरान वर्ल्ड फूड प्रोग्राम की जिम्मेदारी और बढ़ गई है, क्योंकि भूख से जूझ रहे लोगों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। संस्था का कहना है कि जब तक वैक्सीन नहीं आती, तब तक खाना ही सबसे अच्छी वैक्सीन है।
लुइज ग्लूक को साहित्य का नोबेल
इससे पहले स्वीडिश नोबेल कमेटी ने गुरुवार को 77 साल की अमेरिकी कवियित्री लुइज ग्लूक को साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने का ऐलान किया था। 1968 में लुइस की पहली किताब फर्स्टबोर्न प्रकाशित हुई थी। इसके बाद से वे अमेरिका की जानी-मानी समकालीन साहित्यकार बन गईं। लुइस की कविताओं के 12 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनके कई निबंध भी लिखे हैं। लुइस कविताओं में साफगोई के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने बचपन, पारिवारिक जिंदगी, माता-पिता के बच्चों के साथ रिश्ते जैसे कई विषयों पर संजीदा कविताएं लिखी हैं। 1992 में आए ‘द वर्ल्ड आइरिस’ को लुइस के बेहतरीन कविता संग्रह में शुमार किया जाता है। इसमें ‘स्नोड्रॉप’ कविता में ठंड के बाद पटरी पर लौटी जिंदगी को दिखाया गया है। 1943 में न्यूयॉर्क में पैदा हुईं ग्लूक कैंब्रिज में रहती हैं... कविताएं लिखने के अलावा वे येल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी की प्रोफेसर हैं।
दो महिला वैज्ञानिकों को रसायन का नोबेल
जीनोम को एडिट करने की विधि (जेनेटिक सीजर) की खोज के लिए इस साल दो महिला वैज्ञानिकों इमैनुएल कारपेंतिए और जेनिफर डौडना को रसायन के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। इमैनुएल कारपेंतिए अमेरिकी और जेनिफर डौडना फ्रांसीसी मूल की प्रोफेसर है। इन प्रोफेसरों की खोज ने डीएनए में बहुत ही सटीक तरीके से बदलाव को संभव बनाया है। इसकी मदद से गंभीर रोगों का इलाज संभव हो सकेगा। दोनों वज्ञानिकों ने 2012 में जेनेटिक सीजर (CRISPR/Cas9) की खोज की थी। इस टूल ने कई महत्वपूर्ण खोजों में योगदान दिया है। इसकी मदद से प्लांट रिसर्चर्स मोल्ड, कीटों और सूखे का सामना करने वाली फसलों को विकसित करने में सफल हो पाए हैं। वहीं इसकी मदद से नई कैंसर थैरेपियों पर काम चल रहा है। विरासत में मिली बीमारियों का इलाज करने में सक्षम होने का सपना भी सच होने वाला है।
तीन वैज्ञानिकों को मिला फिजिक्स का नोबेल
इससे पहले मंगलवार को इस साल के फिजिक्स के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज, स्टॉकहोम ने तीन वैज्ञानिकों को इसके लिए चुना है। इसमें आधा सम्मान रोजर पेनरोज को ब्लैक होल निर्माण को आइंस्टीन की सापेक्षकता के सिद्ंधात (जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी) से जुड़ाव की खोज के लिए और शेष आधा सम्मान संयुक्त रूप से रिनहार्ड गेंजेल और एंड्रिया गेज को गैलेक्सी के केंद्र में स्थित अत्यधिक घनत्व वाले पदार्थ (सुपरमैसिव कॉम्पैक्ट ऑब्जेक्ट) खोज के लिए दिया गया।
तीन वैज्ञानिकों को मिला चिकित्सा का नोबेल
सोमवार को मेडिसिन के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी। इस साले का चिकित्सा नोबेल अमेरिका के वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर, चार्ल्स एम राइस और ब्रिटेन के माइकल हागटन को दिया गया है। हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज करने करने के लिए इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार दिया गया है। हेपेटाइटिस सी एक ब्लेड-बोर्न वायरस है और यह हेपेटाइटिस सी रोग का कारण बनता है जो लीवर को प्रभावित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का आकलन है कि दुनिया में 70 मिलियन हेपेटाइटिस के केस हैं। हर साल इस बीमारी की वजह से दुनिया में 4 लाख लोगों की मौत होती है। इस रोग को क्रॉनिक बीमारी की श्रेणी में रखा जाता है और लीवर से जुड़ी बीमारियों और कैंसर का प्रमुख कारण है।
1.1 मिलियन डॉलर का पुरस्कार
नोबेल पुरस्कार जीतने पर 10 मिलियन स्वीडिश क्राउन (1.1 मिलियन डॉलर) का पुरस्कार दिया जाता है। तीनों वैज्ञानिक पुरस्कार राशि शेयर करेंगे। नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड बनार्ड नोबेल की याद में दिया जाता है। अल्फ्रेड ने अपनी मृत्यु से पहले संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा ट्रस्ट को दिया था ताकि उन पैसों से मानव जाति के लिए काम करने वाले शख्सियतों को सम्मानित किया जा सके। पहला नोबेल शांति पुरस्कार 1901 में दिया गया था। नोबेल पुरस्कार 6 क्षेत्रों में दिया जाता है। इसकी घोषणा हर साल 12 अक्टूबर तक की जाती है। ये क्षेत्र हैं, भौतिकी, रसायन विज्ञान, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र।
Created On :   12 Oct 2020 5:22 PM IST