टीटीपी के साथ इमरान खान के गुप्त सौदे से नाराज पाकिस्तानी नागरिक
- तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने उन्हें फंसा लिया है
- दूसरी तरफ अफगान तालिबान उन्हें निशाना बना रहा है
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान दोहरी मुसीबत में घिरते नजर आ रहे हैं। एक तरफ तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने उन्हें फंसा लिया है तो दूसरी तरफ अफगान तालिबान उन्हें निशाना बना रहा है।
खान की मुसीबत फिलहाल इसलिए अधिक बढ़ी हुई है, क्योंकि पाकिस्तान में जमीनी स्तर पर एक यह आम धारणा उभर रही है, जहां लोग इमरान खान सरकार और संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधित संगठन टीटीपी के बीच संघर्ष विराम समझौते की घोषणा से नाराज और आहत हैं।
द न्यूज की एक हालिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष हिना जिलानी ने कहा, हजारों लोगों की हत्या के लिए चरमपंथी समूह टीटीपी को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, इससे पहले कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीतिक मुख्यधारा में लाने के लिए कोई बातचीत हो सके।
विपक्षी दल भी नाराज हैं, क्योंकि उन्हें टीटीपी के साथ इमरान खान के गुप्त सौदे के बारे में अंधेरा रखा गया था।
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा, समस्या यह है कि सरकार ने संसद को विश्वास में नहीं लिया है और टीटीपी के साथ एकतरफा बातचीत की है, जो सही नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि टीटीपी के साथ बातचीत करने का एकमात्र तरीका मजबूत स्थिति से है।
उन्होंने कहा, हमें विशेष रूप से संविधान के संबंध में वास्तविक रेड लाइन्स की आवश्यकता है।
हालांकि दोनों पक्ष गुप्त सौदे के नियमों और शर्तों पर चुप हैं, पाकिस्तानी मीडिया ने बताया है कि इमरान खान सरकार ने टीटीपी के सामने तीन शर्तें रखी हैं - संविधान स्वीकार करें, हथियार डालें और पहचान पत्र प्राप्त करें। जवाब में, आतंकवादी समूह ने भी अपनी शर्तों को आगे बढ़ाया है - कबायली पट्टी और मलकंद में शरीयत प्रणाली और अदालतें, डूरंड लाइन से पाकिस्तानी सैन्य बाड़ को हटाना, टीटीपी को कबायली क्षेत्रों में हथियार रखने की अनुमति दी जानी चाहिए और पाकिस्तानी सेना को आदिवासी बेल्ट से हटाना चाहिए।
पाकिस्तानी विशेषज्ञों का मानना है कि टीटीपी और सरकार दोनों ही सामरिक खेल में लगे हुए हैं। जबकि इमरान खान की रणनीति समूह को विभाजित करने की है, मगर टीटीपी से निकले बयानों से यह नहीं लगता है कि वे कमजोर स्थिति से बातचीत कर रहे हैं।
बातचीत के बीच, इमरान खान को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई, जिसने खान को तलब किया और टीटीपी आतंकवादियों के साथ गुप्त सौदों पर दो घंटे से अधिक समय तक उनसे पूछताछ की, जो 2014 में 140 स्कूली बच्चों की हत्या का मुख्य आरोपी समूह है।
एक जज ने खान से पूछा कि हम उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें (टीटीपी) बातचीत की मेज पर क्यों ला रहे हैं?
अदालत ने प्रधानमंत्री को अभिभावकों की मांगों पर ध्यान देने और स्कूल हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करने और चार सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों के अनुसार, तालिबान शासन के आंतरिक मंत्री और आतंकवादी संगठन के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी द्वारा सौदे की दलाली की गई है - यह ऐसा है जैसे एक आतंकवादी समूह दूसरे आतंकवादी समूह और सरकार के बीच बातचीत में मध्यस्थता कर रहा है।
एक विश्लेषक ने सवाल पूछते हुए कहा, आखिर इसका गारंटर कौन है - हक्कानी? एक आतंकी संगठन., इमरान खान इन आतंकी संगठनों पर कैसे भरोसा कर सकते हैं?
कुछ पाकिस्तानी पर्यवेक्षकों को लगता है कि इमरान खान अपने अस्तित्व के लिए आतंकवादी संगठनों के साथ पहले टीएलपी और फिर टीटीपी के साथ सौदे कर रहे हैं, क्योंकि उनकी सरकार देश पर पकड़ खो रही है। बिगड़ती आर्थिक स्थिति इमरान खान को सता रही है, जो पहले से ही आईएसआई प्रमुख की नियुक्ति सहित कई विवादों में हैं।
यहां तक कि इमरान खान के बदलाव के नारे नया पाकिस्तान के समर्थकों ने भी उनकी गलतियों और पूर्वाग्रहों के बारे में बात करना शुरू कर दिया है।
(यह आलेख इंडियानैरेटिव डॉट कॉम के साथ एक व्यवस्था के तहत लिया गया है)
--इंडियानैरेटिव
मृत्युंजय कुमार झा
(आईएएनएस)
Created On :   15 Nov 2021 4:30 PM GMT