Waqf Law Dispute Case: वक्फ कानून पर पाकिस्तान की टिप्पणी से भड़का भारत, याद दिलाई औकात, कहा - 'पहले अपना गिरेबान झांके..'

- वक्फ बिल पर पाकिस्तान ने की भारत की आलोचना
- विदेश मंत्रालय ने किया जोरदार पलटवार
- अपने यहां के अल्पसंख्यकों पर ध्यान देने की दी नसीहत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ बिल के कानून बनने के बाद देश में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इसे लेकर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान द्वारा भी प्रतिक्रिया दी गई थी। उसकी ओर से इसे भेदभाव पूर्ण कानून कहा गया था। पाकिस्तान के इस बयान पर भारत की ओर से जोरदार पलटवार करते हुए कहा गया है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की बात आने पर पड़ोसी देश को अपने खुद के खराब रिकॉर्ड को देखना चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक बयान में कहा, "हम भारत की संसद से पारित वक्फ संशोधन अधिनियम पर पाकिस्तान की गई प्रेरित और निराधार टिप्पणियों को दृढ़ता से अस्वीकार करते हैं। भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने का पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है। अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के मामले में पाकिस्तान को दूसरों को उपदेश देने के बजाय अपने खुद के खराब रिकॉर्ड पर गौर करना चाहिए।"
क्या था पाकिस्तान का बयान?
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया था, "इस भेदभावपूर्ण कानून का पारित होना भारत में बढ़ते बहुसंख्यकवाद को भी दर्शाता है। इस बात की गंभीर आशंका है कि यह भारतीय मुसलमानों को और अधिक हाशिए पर धकेलने में योगदान देगा।"
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "भारत में 1913 से 2025 तक वक्फ कानूनों में किए गए बदलाव समाज के लाभ के लिए वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए एक मजबूत प्रयास को दर्शाते हैं। प्रत्येक कानून का उद्देश्य वक्फ बंदोबस्ती के मुख्य उद्देश्य को बनाए रखते हुए मौजूदा समस्याओं को हल करना है।"
सरकार का मानना है कि वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 वक्फ प्रबंधन को अधिक पारदर्शी, जिम्मेदार और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कई भारतीय नेताओं ने विधेयक के बारे में फैलाई जा रही आशंकाओं और गलतफहमियों को दूर किया। उन्होंने दोहराया है कि वक्फ समितियों का नेतृत्व अभी भी मुसलमान करेंगे और इसमें कोई धार्मिक या सामुदायिक पक्षपात शामिल नहीं है।
बता दें कि वक्फ विधेयक पर लोकसभा और फिर राज्यसभा में लगातार कई दिनों तक तीखी बहस चली थी। इन दोनों ही जगहों से पास होने के बाद इसे 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई थी। जिसके बाद यह विधेयक से कानून बन गया था।
Created On :   16 April 2025 1:03 AM IST