विपक्षी सांसदों ने की देश की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को राष्ट्रपति प्रणाली से बदलने की मांग
- राष्ट्रपति प्रणाली के बारे में अफवाहें गंभीर चिंता का विषय
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान में विपक्षी सांसदों ने देश की संसदीय लोकतांत्रिक प्रणाली को राष्ट्रपति प्रणाली से बदलने की मांग की है, इस मामले पर नेशनल असेंबली में बहस की मांग की गई है। ये जानकारी एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट से सामने आई है। यह मुद्दा एक गंभीर चर्चा के दौरान सामने आया जब विपक्ष ने व्यवस्थित और नियोजित अभियान की निंदा की।
पीएमएल-एन के सांसद अहसान इकबाल ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रपति प्रणाली के बारे में अफवाहें गंभीर चिंता का विषय हैं। यह दुखद है कि देश की स्थापना के 75 साल बीतने के बाद भी, संसदीय लोकतंत्र पर अभी तक कोई सहमति नहीं दी गई है। पूर्व योजना मंत्री ने कहा, हमें किसी दुश्मन की जरूरत नहीं है, अगर हम इस पर निर्णय लेने में भी सक्षम नहीं हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा, हम किसी को भी ऐसी कोई व्यवस्था थोपने की इजाजत नहीं देंगे। इससे पहले बुधवार को संयुक्त विपक्ष के सदस्यों ने पाकिस्तान के 1973 के संविधान में प्रावधान के अनुसार देश में संघीय संसदीय प्रणाली को बनाए रखने और मजबूत करने का संकल्प व्यक्त करते हुए नेशनल असेंबली सचिवालय को एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
इकबाल ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर विपक्षी सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित हस्त-लिखित प्रस्ताव की एक तस्वीर ट्वीट की, जिसका शीर्षक था, चलो देखते हैं कि यह शुक्रवार को विधानसभा के एजेंडे में आता है या नहीं। इकबाल ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, जब धांधली के जरिए थोपी गई सरकार ने देश को बर्बाद कर दिया है, तब इंदिरा गांधी जैसा आपातकाल लगाने और विभिन्न फॉर्मूले के जरिए व्यवस्था में बदलाव की फुसफुसाहट सुनाई दे रही है।
मंच को संबोधित करते हुए, पीएमएल-एन सचिव ने याद किया कि पहले भी राष्ट्रपति प्रणाली ने शिकायतों को हवा दी थी जिसके कारण बाद में देश का विभाजन हुआ। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संस्थापकों ने संसदीय लोकतंत्र की परिकल्पना की थी। जनरल याह्या खान के शासन के दौरान देश को दो भागों में विभाजित कर दिया गया था। शेख मुजीब ने ढाका के पतन से पहले देश से मार्शल लॉ को खत्म करने की मांग की थी।
(आईएएनएस)
Created On :   22 Jan 2022 1:00 PM IST