पाकिस्तान में छात्रों का 29 नवंबर को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान

Nationwide protest announcement of students in Pakistan on 29 November
पाकिस्तान में छात्रों का 29 नवंबर को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान
पाकिस्तान में छात्रों का 29 नवंबर को देशव्यापी प्रदर्शन का ऐलान

इस्लामाबाद, 21 नवंबर (आईएएनएस)। पाकिस्तान में प्रगतिशील व वामपंथी छात्र संगठनों ने बेहतर शिक्षा और बेहतर शैक्षिक माहौल की मांग के साथ 29 नवंबर को पूरे देश में विद्यार्थी एकजुटता मार्च निकालने का ऐलान किया है।

यह ऐलान ऐसे समय में किया गया है जब देश में फीस बढ़ोतरी, परिसरों में पुलिस की छात्रों पर कार्रवाइयों और उनकी गिरफ्तारियों को लेकर विद्यार्थियों में असंतोष पाया जा रहा है।

मार्च के आयोजकों में से एक लाहौर के बीकनहाऊस विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र हैदर कलीम ने डॉन से कहा, हम सड़कों पर उतरने के लिए इसलिए बाध्य हुए हैं कि हर विद्यार्थी को दाखिले से पहले एक शपथपत्र भरने को कहा जा रहा है। वैसे तो छात्र संघों पर प्रतिबंध नहीं है लेकिन कई आदेशों के जरिए ऐसे प्रतिबंध थोपे जा रहे हैं कि विद्यार्थी राजनीति में हिस्सा न ले सकें और परिसरों में प्रदर्शन न कर सकें।

कलीम मार्च का आह्वान करने वाले प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फेडरेशन (पीआरएसएफ) के प्रमुख हैं। पीआरएसएफ के साथ प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स कलेक्टिव (पीएससी) भी आयोजकों में शामिल है जिनका मानना है कि आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए छात्रों को खुला माहौल मिलना चाहिए। इन संगठनों ने शपथपत्र की अनिवार्यता के खिलाफ लाहौर हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है लेकिन उन्हें लगता है कि मामला अदालत में शायद ही सुलझ सके।

ऐसा ही मार्च छात्रों ने बीते साल भी आयोजित किया था।

विद्यार्थियों की यह मांग भी है कि परिसरों में सुरक्षाबलों का गैरजरूरी हस्तक्षेप रोका जाए और राजनैतिक गतिविधियों के कारण गिरफ्तार सभी छात्रों को रिहा किया जाए।

कलीम ने सिंध विश्वविद्यालय के 17 छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज होने के संदर्भ में कहा, आप जानते हैं कि हाल में सिंध यूनिवर्सिटी में क्या हुआ। छात्र पानी की सुविधा मांग रहे थे और उन पर राजद्रोह का मामला दर्ज कर दिया गया।

सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता व छात्रा सिदरा इकबाल ने कहा, बलोचिस्तान में विश्वविद्यालय सेना की छावनियां लगने लगे हैं।

छात्र संगठनों का यह भी कहना है कि हास्टल में रहने वाली छात्राओं के लिए ही समय की पाबंदी क्यों होनी चाहिए। पाबंदी हो तो लड़कों और लड़कियों दोनों के लिए हो, लेकिन बेहतर यह है कि किसी के लिए न हो क्योंकि स्नातक में पढ़ने वाले विद्यार्थी कोई बच्चे नहीं हैं।

छात्र संगठनों का कहना है कि अपने विचार के लिए भीड़ द्वारा मार दिए गए छात्र मशाल खान की याद में 13 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश का ऐलान किया जाना चाहिए। मशाल की हत्या 13 अप्रैल 2017 को कर दी गई थी।

 

Created On :   21 Nov 2019 7:30 PM IST

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