यूक्रेन संकट पर भारत ने सुरक्षा परिषद में कहा, तत्काल तनाव कम करने की जरूरत
- बहुत बड़ा संकट
डिजिटल डेस्क, संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने बुधवार को यूक्रेन संकट को लेकर आयोजित सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में चेतावनी देते हुए कहा कि तनाव को तत्काल कम करने की जरूरत है, नहीं तो यह पूरा मामला बहुत बड़ा संकट बन जायेगा। तिरुमूर्ति ने कहा, पूरी स्थिति एक बड़े संकट में बदलने के खतरे में है। हम इस मामले में हो रही घटनाओं को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। अगर इनका ठीक तरह से समाधान नहीं निकाला गया तो इससे क्षेत्र की शांति और सुरक्षा खतरे में आ सकती है।
उन्होंने रूस का नाम लिये बगैर तत्काल तनाव करने की बात की और साथ ही खेद जताया कि तनाव को कम करने के लिये दोनों पक्षों के हालिया पहलों को समय देने के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के आहवान पर ध्यान नहीं दिया गया। सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि यह महासचिव के रूप में मेरे लिये सबसे दुख भरा पल है।
उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भावनात्मक अपील करते हुये कहा, मानवता के नाम पर आप अपनी सेना को वापस रूस बुलायें। मानवता के नाम पर यूरोप में एक ऐसा युद्ध न छेड़ें, जो इस सदी का सबसे खराब युद्ध हो सकता है और जिसके परिणाम सिर्फ यूक्रेन के लिये घातक नहीं हो सकते हैं बल्कि रूस के लिये भी त्रासद हो सकते हैं और जिसके प्रभाव का हम अनुमान नहीं लगा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह अनुमान लगाना मुश्किल है कि यह युद्ध कैसा होगा और कितने लोगों की जान जायेगी, कितने लोग विस्थापित होंगे और कितने लोगों को भविष्य से कोई आशा नहीं रहेगी।
संरा महासचिव ने रूस को साथ ही कहा है कि वह यूक्रेन के दो इलाकों को स्वतंत्र राष्ट्र का दर्जा देकर संयुक्त राष्ट्र के सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रोमरी डिकार्लो ने परिषद को बताया कि मीडिया से यह जानकारी मिली है कि रूस ने भारी संख्या में सेना की तैनाती करनी शुरू कर दी है और सेना का काफिला यूक्रेन की ओर बढ़ रहा है। यह भी खबर आ रही है कि रूस ने यूक्रेन की सीमा से लगे हवाईअड्डे को बंद कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस ग्रीनफील्ड ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर आपात स्थिति है और सुरक्षा परिषद को कार्रवाई करने की जरूरत है और इस संबंध में गुरुवार को प्रस्ताव पेश करेंगे। यूक्रेन के मामले में सुरक्षा परिषद में पेश किया जाना प्रस्ताव भारत को फिर दुविधा की स्थिति में डाल सकता है।
दरअसल इससे पहले जनवरी में परिषद की बैठक में पश्चिमी देशों के एजेंडे पर भारत ने तटस्थ रुख रखते हुये वोट नहीं दिया था। भारत रूस के साथ अपनी पुरानी मैत्री और अमेरिका तथा पश्चिमी देशों के साथ हाल में हुई नजदीकियों के दो पाट में फंसा है। रूस द्वारा यूक्रेन के दो प्रांतों दोनेस्क और लुहांस्क को स्वतंत्र घोषित किये जाने और वहां अपनी सेना भेजने के कदम से भी भारत पसोपेश में हैं क्योंकि वह भी समान की समस्या से जूझ रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भी रूस से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश में जुटे हैं और इसी कारण वह इस सप्ताह रूस के दौरे पर जाने वाले हैं।
(आईएएनएस)
Created On :   24 Feb 2022 1:00 PM IST