तिब्बत के पठार पर कृत्रिम बारिश कराएगा चीन, सूखे से राहत की कवायद
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- इसके लिए वह सिल्वर आयोडीन के चैंबर लगा रहा है।
- कृत्रिम बारिश से ये भी आशंका पैदा हो रही है कि कही इससे भारत की तरफ आने वाली नदियों में बाढ़ न आ जाए।
- मॉनसून के बादलों को इन चैंबरों की मदद से बरसाया जाएगा।
- सूखे से राहत के लिए चीन तिब्बत के पठार में कृत्रिम बारिश कराएगा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूखे से राहत के लिए चीन तिब्बत के पठार में कृत्रिम बारिश कराएगा। इसके लिए वह सिल्वर आयोडीन के चैंबर लगा रहा है। मॉनसून के बादलों को इन चैंबरों की मदद से बरसाया जाएगा। बताया जा रहा है कि चीन की एक मिलिटरी कंपनी को ये जिम्मेदारी सौंपी गई है। जो अब तक करीब 500 चैंबर वहां लगाएं जा चुके है। कृत्रिम बारिश से ये भी आशंका पैदा हो रही है कि कही इससे भारत की तरफ आने वाली नदियों में बाढ़ न आ जाए। चीन अपने दक्षिणी इलाके को सूखे से राहत दिलाने के लिए ये पूरी कवायद कर रहा है।
6 लाख 20 हजार वर्ग मील क्षेत्र में कृत्रिम बारिश
चीन के दक्षिणी इलाके में लंबे समय से बारिश नहीं हुई है। इस कारण यहां पर अकाल पड़ा हुआ है। यहां के लोगों को पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ रहा है। खेती-बाड़ी के लिए यहां तक की पीने के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नहीं है। इस समस्या को देखते हुए चीन ने इसका वैज्ञानिक समाधान खोज निकाला है। चीन के वैज्ञानिकों ने सरकार को सुझाव दिया है कि अगर तिब्बत के पठार में मॉनसून के बादलों को बरसा दिया जाए तो वहां से दक्षिणी चीन की नदियों में पानी बढ़ जाएगा। चीन सरकार ने अपनी सैन्य कंपनी एयरोस्पेस साइंस ऐंड टेक्नॉलजी कॉर्पोरेशन को इस मिशन का जिम्मा सौंपा है। तिब्बत के 6 लाख 20 हजार वर्ग मील क्षेत्र में कृत्रिम तरीके से बारिश कराने की योजना चीन सरकार की है।
कृत्रिम बारिश का सक्सेस रेट बेहद कम
वहीं भारतीय वैज्ञानिक चीन की इस कोशिश को फिजूल करार दे रहे है। भारत के मौसम वैज्ञानिक डॉ. डी. शिवानंद पई के मुताबिक कृत्रिम रूप से बारिश कराने का सक्सेस रेट बेहद कम है। ऐसा बहुत की कम देखने को मिला है कि कृत्रिम बारिश कराई गई हो। इस वजह ये है कि मॉनसून के बादलों को बरसाने के लिए बादलों में पर्याप्त नमी होना जरूरी है। वहीं ये प्रोसेस काफी महंगी भी है। जेएनयू के सीनियर वैज्ञानिक डॉ. शतेन्द्र शर्मा भी डॉ. शिवानंद की राय से इक्तफाख रखते है। जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका असर भारत के मॉनसून पर भी देखने को मिलेगा? तो उन्होंने कहा, इससे भारत में मॉनसून की बारिश पर कोई असर पड़ेगा। उनका मानना है कि चीन को भी कोई खास कामयाबी नहीं मिल पाएगी।
भारत के मॉनसून पर असर पड़ने की आशंक कम
वहीं डॉ. शिवानंद ने कहा कि तिब्बत में बंगाल की खाड़ी से बादल पहुंचते हैं और ऑस्ट्रेलिया से भी मॉनसूनी बादल वहां पहुंचते हैं। भारत में मॉनसून के बादल अरब सागर, हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से पैदा होते हैं और यह हिमालय से टकराकर भारत में बरसते हैं। ऐसे में उम्मीद कम ही है कि चीन की कोशिश से भारत के मॉनसून पर कोई प्रभाव पड़े।
बाढ़ के खतरे की भी आशंका कम
भारत में बाढ़ के खतरे को लेकर दोनों वैज्ञानिकों ने कहा, तिब्बत में ज्यादा बारिश होने से भारत में बाढ़ का खतरा पैदा हो इस बात की आशंका भी कम ही है। यहां हम आपको बता दें कि तिब्बत के पठार से ब्रह्मपुत्र, सतलुज और सिंधु नदियां निकलती हैं, जो भारत में आती हैं। इसके साथ ही वहां से यांग्त्से, मीकॉन्ग और यलो रिवर भी निकलती हैं, जो चीन में बहती हैं।
Created On :   6 April 2018 11:21 PM IST